हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) का घरेलू इलाज और उससे बचाव - Natural Remedies for Blood Pressure

रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) आज बड़ी त्रासदी बन गया है। खासकर शहरों और महानगरों में इससे पीड़ित लोगों की तादाद में काफी वृद्धि होती जा रही है। प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान इस व्याधि के मूल कारणों को समझने और उसका स्थाई निदान सुझाने का दावा करता है।

रक्तचाप क्या है - What Is Blood Pressure In Hindi

शरीर में रक्त संचार के लिए दिल सिकुड़ता-फैलता रहता है। जब दिल सिकुड़ता है तो वह बड़े जोर से रक्त को धमनियों में ढकेलता है। धमनियाँ रक्त ग्रहण करते समय फैलती है। और फिर रक्त को आगे बढ़ाने के लिए सिकुड़ती हैं।

बारी-बारी से रक्त प्रसार व ग्रहण के निमित्त हृदय में संकुचन या प्रसार क्रिया होती है। यदि धमनियाँ लचीली, नरम व स्वच्छ होती हैं तो हृदय को रक्त प्रवाहित करने और धकेलने में अतिरिक्त, श्रम नहीं करना पड़ता है।

एक सामान्य आदमी में 80 (निम्न) से 120 (उच्च) मि.मी। ब्लड प्रेशर होता है। 90-100 (निम्न) से 140-150 मि.मी। (उच्च) तक मोडरेट ब्लड प्रेशर माना जाता है। लेकिन 150 मि.मी. से ज्यादा प्रेशर होने पर उसे खतरनाक श्रेणी का माना जाता है। इसी तरह से रक्तचाप घट भी जाता है।

उच्च रक्तचाप(हाई ब्लड प्रेशर) – High Blood Pressure In Hindi

उच्च रक्तचाप(हाई ब्लड प्रेशर) – High Blood Pressure : यदि किसी कारणवश धमनियाँ संकरी और कड़ी हो गई तो हृदय को रक्त प्रवाहित करने के लिए अतिरिक्त श्रम करना पड़ता है। यह अतिरिक्त चाप ही उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) है।

कम रक्तचाप(लो ब्लड प्रेशर) - Low Blood Pressure In Hindi

कम रक्तचाप(लो ब्लड प्रेशर) - Low Blood Pressure : धमनियों की दीवारें ढीली होकर फैल जाती हैं। और छिद्र आवश्यकता से अधिक खुल जाते हैं। इसे ‘लो ब्लड प्रेशर’ कहते हैं।

रक्तचाप के कारण - Causes Of Blood Pressure In Hindi

  • कृत्रिम अप्राकृतिक जीवन के कारण ही रक्तचाप होता है।
  • असंयमित खान-पान और आहार-विहार से रक्त में विकार बढ़ता चला जाता है।
  • विकार युक्त रक्त से धमनियाँ संकरी और कड़ी होती जाती हैं और रक्त संचरण में बाधा आती है। यानि ब्लड प्रेशर का रोग शरीर की दूषित अवस्था में शुरू होता है और दूषित अवस्था में ही भयंकर रूप लेता जाता है और अंततः रोगी के लिए प्राणघातक सिद्ध होता है।
  • मोटपा या रक्तचाप का बड़ा कारण है। एक सामान्य आदमी का वजन 45 से 60 किलो के बीच होना चाहिए। यदि वजन इससे ज्यादा बढ़ता है तो रक्त कोशिकाओं, नलियों और हृदय पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • तनाव की वजह से भी रक्तचाप होता है। निजी, घरेलू और दफ्तर की समस्याओं से मन-मस्तिष्क पर यदि तनाव बना रहता है तो इससे रक्त में विकार उत्पन्न होते रहते हैं।
  • बुढ़ापा भी रक्तचाप का एक कारण है। पचास से ऊपर की आयु के लोग रक्तचाप के ज्यादा शिकार होते हैं। बुढ़ापे में धमनियों की दीवारें मोटी हो जाती हैं और इसमें रक्त संचार ठीक ढंग से नहीं हो पाता।
  • वंशानुगत कारण भी हैं। मां या बाप रक्तचाप से पीड़ित हो तो संतान में भी इसकी आशंका रहती है। यदि मां-बाप दोनों को रक्तचाप हो तो बच्चे में रक्तचाप होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • गुर्दे में खराबी होने से भी रक्तचाप होता है। गुर्दा रक्त में से मल पदार्थों को छान कर बाहर करता रहता है। यदि गुर्दे में दोष आ गया तो रक्त में विकार बढ़ता जाता है जो रक्तचाप का कारण बनता है।

रक्तचाप से बचने के घरेलु उपाय - Home Remedies To Avoid Blood Pressure In Hindi

  • सबसे पहले हमें खान-पान सुधारना चाहिए।
  • तेल, घी मक्खन आदि वसायुक्त पदार्थों का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए।
  • आलू और चावल का उपयोग कम कर देना चाहिए।
  • मिर्च-मसालों, नमक और खटाई का प्रयोग कम हो।
  • दालों, हरी सब्जियों, फलों आदि का सेवन करना चाहिए।
  • भोजन कम और नियमित अंतराल पर करना चाहिए।
  • मांसाहारी भोजन छोड़ देना चाहिए।
  • सब्जियों और फलों का रस लेना चाहिए।
  • हर व्यक्ति को रोज आधा-एक घंटा व्यायाम अवश्य करना चाहिए।
  • सुबह में तेज कदमों में टहलना बहुत लाभदायक होता है।
  • खाने के बाद तुरन्त बिस्तर पर नहीं जाना चाहिए, बल्कि हल्के कदमों से 15-20 मिनट अवश्य टहलना चाहिए।
  • मन को शांत रखने के लिए योग करना चाहिए।

    किसी योगाचार्य या डाक्टर से योग के विभिन्न उपयुक्त आसनों के बारे में जानकारी प्राप्त कर नियमित रूप से इसका अभ्यास करना चाहिए।

  • अगली चीज है अपने कर्तव्य का बोध। हम जो भी काम करें, उसे पूरा मन लगाकर करें। घर हो या दफ्तर-अपने काम और दायित्व को पूरी निष्ठा से अंजाम दें। इससे एक अद्भुत संतोष और आनन्द मिलता है। जिम्मेदारी से काम कर व्यक्ति खुद को राहत देता है।

प्राकृतिक चिकित्सा में रक्तचाप का उपचार - Treatment Of Blood Pressure In Naturopathy

शरीर को विकारों से मुक्त करने के उपाय किए जाते हैं। जो व्यक्ति अस्पतालों में इलाज कराने आते हैं, उन्हें उनके रक्तचाप के स्तर के हिसाब से विभिन्न उपचार कराते हैं। खान-पान को ऊपर बताये तरीके से पूर्णतः नियंत्रित कर देते हैं।

शरीर के मल को साफ करने के लिए एनिमा विधि का इस्तेमाल करते हैं। पूरे शरीर की मालिश की जाती है। सिर, कमर, रीढ़, पेडू की मालिश की जाती है।

मालिश की खास विधि है। मड़ पैक दिया जाता है। चेहरा, सिर, रीढ़, पेडू पर मिट्टी की खास तौर से तैयार पट्टी दी जाती है। पूर्ण मिट्टी स्नान (Full Mud Bath) भी दिया जाता है।

पानी व भाप का इलाज भी चलता है। रीढ़, सीना आदि का पानी (गर्म व ठंडा) से उपचार होता है। बर्फ का इलाज भी दिया जाता है।

रक्तचाप वाले व्यक्ति को कड़े व्यायाम नहीं बताये जाते। रक्तचाप के स्तर के हिसाब से उचित व्यायाम बताये जाते हैं। योग भी सिखाया जाता है।

रक्तचाप में दी जाने वाली दवाइयां - Blood Pressure Medicines In Hindi

दवाइयां लेना इस रोग का निदान नहीं है। दवाइयों से रक्तचाप का असली कारण दूर नहीं होता। मूल बात है कि रक्त और रक्त वाहिनियों के दोषों को दूर किया जाए। इसलिए रक्तचाप वाले जो रोगी पहले से दवाई ले रहे होते हैं, उन्हें हम तत्काल दवाई लेने से रोक तो नहीं देते। लेकिन हम अपने प्राकृतिक उपचार से जैसे-जैसे विकार दूर करते हैं, वैसे-वैसे दवाई का इस्तेमाल घटाते जाते हैं और अंततः दवाई बंद कर देते हैं। रक्तचाप में दवाई का इस्तेमाल न करें तो अच्छा है।

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