आमवात क्या है | आमवात के लक्षण और घरेलु चिकित्सा

'दूषित आहार-विहार से, मंदाग्नि से, आलसी व्यक्तियों में आम एवं वायु, कमर के जोड़ तथा अन्य जोड़ों में दर्द, भूख का न लगना, बदहजमी, अंगों की टूटन, जबड़ा और हृदय में भारीपन तथा दुर्बलता उत्पन्न कर देता है। इस व्याधि को आमवात कहते हैं।

आमवात के लक्षण

हाथ, पैर, टखने, जंघा, कमर यदि के जोड़ों में सूजन व दर्द, बिच्छू काटने जैसी पीड़ा होती हैं। जकड़ाहट, अंगों का टूटना, प्यास, भारीपन, बुखार, मुख की विरसता, मूत्र की अधिकता, हृदय में जकड़ाहट, दर्द एवं भारीपन पेट में गुड़गुड़ाहट, अफारा एवं दर्द होता है।

चिकित्सा

  • शंठी चूर्ण 3 ग्राम उष्ण जल से दिन में दो बार देना चाहिए।
  • महायोगराज गुग्गुल 1-2 गोली उष्ण जल से दिन में दो बार दें।
  • सिंहनाद गुग्गुल 1-2 गोली दिन में दो बार उष्ण जल से दें।
  • विषतिंदुक वटी 1-2 गोली दिन में दो बार उष्ण जल से दें।
  • हिंगुलेश्वर रस 1-2 गोली उष्ण जल से दो बार दें।
  • महारास्नादि क्वाथ 20-30 मि.लि. दिन में दो बार दें।
  • रास्नादशमूल क्वाथ 20-30 मि.लि. दिन में दो बार दें।
  • एरंड पाक 10-15 ग्राम दिन में दो बार दें।
  • भल्लातकादि योग (शुद्ध भिलावा, काले तिल, हरीतकी त्वक बराबर-बराबर गुड़) दो बार गरम जल से दें।
  • वातारि गुग्गुल 1 ग्राम दिन में दो बार उष्ण जल से दें।
  • प्रसारिणी तेल, महानारायण तेल, महामाष तेल, बला तेल, लाभकारी हैं।
  • अमरबेल कुचलकर तथा गरम करके एरंड पत्र में रखकर बांधे।
  • एरंड तेल, आमवात तथा कब्ज को दूर करता है।
  • उसे दशमूल क्वाथ या शृंटी क्वाथ में मिलाकर दें।
  • स्वेदन के लिए बालू का स्वेद या बिनोला कुल्थी, एरंड मूल, सहजने की छाल, गोमूत्र या कांजी में पीसकर बनी पोटली का प्रयोग करें।
  • आम पाचन के लिए पंचकौल या पंचमूल से सिद्ध जल, पानी के स्थान पर दें या केवल उष्णोदक पिलाएं।
  • औषधियों में भल्लातक के योग सर्वोत्तम होते हैं।
  • विशेषकर स्थूल व्यक्तियों की पुरानी बीमारी में लाभ अच्छा मिलता है।
  • नए रोग में कुचला, रसोन तथा एरंड के योग विशेष लाभ करते हैं।

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