कोमा क्या है | कोमा के लक्षण और घरेलु इलाज का उपाय

कोमा एक बहुत गहरी बेहोशी की दशा है। इसमें रोगी को तुरंत होश में लाने की आवश्यकता होती है। इस दशा में रोगी मृतक के समान या लक्कड़ के समान पड़ा रहता है। कोमा मूच्र्छा का ही बढ़ा हुआ रूप है। मूच्र्छा से इसमें कारण एवं लक्षण प्रबल होते हैं। मुच्छा बिना औषधि के अपने आप ठीक हो जाती है। परंतु कोमा उचित चिकित्सा के बिना ठीक नहीं होता। कोमा में रोगी गहरी लंबी नींद में डूब जाता है। उसका श्वास प्रश्वास मंद एवं अनियमित होता है। रोगी की प्रायः मृत्यु हो सकती है।

कोमा में घरेलु इलाज

तीक्ष्ण अंजन, तीक्ष्ण नस्य, नाक के छिद्रों में सुई चुभाना, बाल नोचना, दांतों से काटना, नाक का बंद करना आदि उपायों से रोगी को होश में लाना चाहिए।

रोगी को होश में होने पर-

1। मूच्र्छातक रस 120 मि.ग्राम, योगेंद्र रस 120 मि.ग्राम, प्रवाल पिष्टी 240 मि.ग्राम तीन बार मधु के साथ दिन में देना चाहिए।

2।

महाकल्याणक घृत 10 ग्राम प्रातः नाश्ते के समय में दें।

3। अश्वगंधारिष्ट 20 मि.लि। भोजन के बाद समभाग जल के साथ दें।

4। श्री गोपाल तेल, शतावरी तेल मालिश के लिए प्रयोग करें।

5। वृहत वात चिंतामणि रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार मधु के साथ दें।

6। चिंतामणी चतुर्मुख रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार मधु के साथ दें।

7। हृदविश्वेश्वर रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार मधु के साथ दें।

8। ब्राह्मी वटी मुक्तायुक्त 120 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।

9। स्मृतिसागर रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।

10। सर्पगंधा मिश्रण 120 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।

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