इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपको मलेरिया से जुड़ी सभी जानकारियों जैसे-डायरिया क्या होता है, डायरिया का लक्षण है एवं इससे बचने के उपाय जैसी हर जानकारी से अवगत कराना चाहते हैं ताकि आप इस बीमारी से खुद को एवं अपने बच्चों को बचा सकें।
डायरिया एक अत्यन्त ही भयानक एवं जानलेवा संक्रामक बीमारी है। डायरिया रोग का प्रमुख कारण वायरस है जो नवजात शिशुओं एवं बच्चों में डायरिया मुख्यत: ‘रोटावायरस' के कारण होता है। यह रोग 6 माह से 2 वर्ष के बच्चों में सबसे अधिक होता है। वर्षा एवं ग्रीष्म ऋतु में बैक्टीरिया की सक्रियता के कारण डायरिया रोग उत्पन्न होता है।
डायरिया की स्थिति में रोगी को बहुत ही पतला, पानी जैसा मल त्याग होता है। रोगी को दिन में 5-10 बार तक दस्त होने लगता है। यह आं(Bowl) में संक्रमण के कारण होता है इसे 'गैस्ट्रोएन्टाइटिस' भी कहते है। जो बैक्टीरिया, विषाण, प्रोटोजोआ तथा आंत्रकमि के कारण होता है।
यह न केवल भारत में बल्कि सम्पूर्ण विश्व की एक प्रमुख जन-स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग बच्चों को अधिक होता है क्योंकि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और जमीन पर पड़ी चीजों को उठाकर मुँह में डालते हैं। इसके कारण मिट्टी में उपस्थित जीवाणु, आंत्रकृमि के अण्डे उनके पेट में पहुँचकर संक्रमण फैलाते हैं। डायरिया रोग ‘जलवाहित’ रोग है जो असुरक्षित पेयजल, दूषित भोजन एवं दूषित दूध के कारण फैलता है।
डायरिया रोग निम्लिखित कारको के द्बारा फैलाये जाते है - वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ,आंत्रकमि एवं अन्य रोगाणु डायरिया फैलाते हैं। डायरिया रोग सभी उम्र के लोगों (स्त्री/पुरुषों) में हो सकता है, और एड्स के रोगियों को भी यह अधिक होता है।
डायरिया का प्रसार निम्नलिखित कारणों से होता है:-
डायरिया के लक्षण निम्न प्रकार के हो सकते हैं:-
नीचे दी गयी बातों का ध्यान रखकर डायरिया से बचाव किया जा सकता है:-
मच्छरों, कृमि एवं जन्तुओं द्वारा फैलने वाले रोग।
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