पेचिश या प्रवाहिका क्या है | पेचिश या प्रवाहिका में अंतर व घरेलु इलाज

जिस रोग में रोगी चिकना या खून मिला हुआ मल थोड़ी मात्रा में काफी जोर लगाकर, मरोड़ के साथ जलन एवं दर्द से त्याग करता है उसे पेचिश या प्रवाहिका कहते हैं।

पेचिश व प्रवाहिका में अंतर-

         पेचिश                                                                         प्रवाहिका

1। अनेक धातुओं से युक्त मल होता है।       -          केवल कफ का ही निसरण होता है।

2। मल त्याग के समय दर्द होता है।             -         मल त्याग से पहले ऐंठन भी होती है।

3। मल की मात्रा अधिक होती है।                -         मल की मात्रा कम होती है।

4। अपक्व अन्न भी निकलता है।                -         कच्चा अन्न नहीं निकलता है।

5। यह रोग दुबारा नहीं होता है।                  -         यह बार-बार होता रहता है।

6। इसमें तीनों दोष भाग लेते हैं।                 -        केवल वात एवं कफ भाग लेते हैं।

पेचिश या प्रवाहिका में घरेलु इलाज

1। बेल फल मज्जा दिन में दो-तीन बार प्रयोग करें।

2। कुटजघन वटी 2-4 गोली पानी या तक्र के साथ दो-तीन बार दें।

3। संजीवनी वटी 1-2 गोली पानी के साथ दो-तीन बार दें।

4। सिद्धप्राणेश्वर रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।

5। शतपुष्पादि चूर्ण 2 ग्राम दिन में दो-तीन बार दें।

6। गंगाधर चूर्ण 2 ग्राम दिन में दो-तीन बार दें।

7। जातिफलादि चूर्ण 1-2 ग्राम दिन में दो-तीन बार दें।

8। कुटजावलेह 10-15 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।

9। कुटजारिष्ट 15-30 मि.लि। दिन में दो बार दें।

10। लवण भास्कर चूर्ण 1 ग्राम, हरीतकी चूर्ण 1 ग्राम, पिपली चूर्ण, % ग्राम मिलाकर गरम पानी से 4-5 बार दे सकते हो।

11। इसबगोल की भूसी 4-5 ग्राम जल के साथ देने से साधारण प्रवाहिका दूर हो जाती है।

12। भुनी हरड़ का चूर्ण मिलाकर विल्वादि चूर्ण इसबगोल के साथ प्रवाहिका में विशेष लाभ करता है।

नोट:- इस रोग में हलका, सुपाच्य, मूंग मसूर का सूप, गाय बकरी का दूध, भात, खिचड़ी, बेल के फल हितकर हैं कडवे, खट्टे भोजन, गर्म तथा भारी पदार्थ उड़द की दाल अहितकर हैं।

  • Tags

You can share this post!

विशेषज्ञ से सवाल पूछें

पूछें गए सवाल