हाई ब्लड प्रेशर से बचाव | हाई ब्लड प्रेशर के कारण और बुरा प्रभाव

हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी तो आजकल जैसे आम हो गई है। किसी भी परिवार की बात करें तो उस घर में किसी-न-किसी को हाई ब्लड प्रेशर ज़रूर होगा। पहले तो ज्यादा उम्र वालों को ही यह रोग होता था परन्तु अब तो नौजवानों में भी यह बीमारी होने लगी है। हाई ब्लड प्रेशर एक ऐसी बीमारी है कि जिस व्यक्ति को यह रोग होता है, उसको इसके बारे में पता ही नहीं चलता। हाई ब्लड प्रेशर होने के कोई लक्षण नज़र नहीं आते।

ब्लड प्रेशर एक दबाव है जो दिल द्वारा खून को बाहर फेंकने या दिल की धड़कनों के कारण पैदा होता है। इससे खून धमनियों में दौड़ता है। धमनी की दीवार लचीली और मांसपेशियों की बनी होती है। और खून के दबाव के घटने और बढ़ने से यह भी फैलती या सिकुड़ती रहती है। हमारा दिल एक मिनट में 60 से 100 बार धड़कता है।

हम अपने इस पोस्ट मे खून का दबाव कितना होना चाहिए, ब्लड प्रेशर कैसे मापा जाता है, हाई ब्लड प्रेशर के कारण, लक्षण और हाई ब्लड प्रेशर का बुरा प्रभाव कैसे पड़ता है हमारे शरीर मे और हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी बात बताएँगे।

ब्लड प्रेशर कैसे मापा जाता है - Pressure Measurement Methods In Hindi

खून का दबाव दो तरह का होता है। एक ऊपर वाला यानी सिस्टोलिक प्रेशर (Systolic Pressure) और दूसरा डायासटोलिक (Diastolic) यानी नीचे वाला। सिसटोलिक दबाव में दिल सिकुड़ता है जिससे धमनियों में खून धकेला जाता है ताकि वह शरीर में बांटा जा सके।

परन्तु जब दिल रिलैक्स करता है तो यह खून से भर जाता है। इसको डायासटोलिक प्रेशर कहते हैं। डायासटोल में दिल खून से भर जाता है ताकि अगले सिसटोल में यह खून शरीर के अलग-अलग भागों में भेजा जा सके।

ब्लड प्रेशर मापना

दिल दबाव पैदा करता है। इसलिए सिसटोल के समय धमनियों में उतना ही दबाव रहता है जितना कि दिल के अंदर होता है। परन्तु डायासटोल में कम-से-कम दबाव हो जाता है। लेकिन अगले सिसटोल के समय यह दबाव फिर बढ़ जाता है। इससे सिसटोल के समय ब्लड प्रेशर की ज्यादा रीडिंग होती है और डायासटोलिक के समय कम होती है।

खून के दबाव के बेवजह घटने या बढ़ने के बारे में जानकारी ज़रूर होनी चाहिए। ब्लड प्रेशर को मापने के लिए एक यंत्र की जरूरत होती है जिसको सफीगयोमैनोमीटर कहते हैं।

एक तंदुरुस्त व्यक्ति में सिसटोलिक प्रेशर 120 और डायासटोलिक प्रेशर 80 होता है और इसको 120/80 मिलीमीटर ऑफ मरकरी लिखते हैं। परन्तु यदि यह रीडिंग 140/90 से ज्यादा हो तो हम कह सकते हैं कि उस व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर है।

हाई ब्लड प्रेशर के कारण - Causes Of High Pressure

ब्लड प्रेशर ज्यादा होने के दो प्रमुख कारण हैं

1प्राइमरी कारण

इस तरह के हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों में बीमारी के कारण का पता नहीं लगता। इसको प्राइमरी या एसेंशियल हाईपरटेंशन भी कहते हैं। यह खानदानी भी हो सकता है और आमतौर पर यह मध्यम उम्र के लोगों में होता है।

यदि माता-पिता, दोनों को ही हाई प्रेशर हो तो उनकी औलाद को भी यह बीमारी होने की 50 प्रतिशत संभावना होती है। परन्तु यदि माता-पिता में किसी एक को हाई ब्लड प्रेशर हो तो इस रोग के होने की 33 प्रतिशत ज्यादा संभावना होती है।

इस तरह खानदान से मिले रोग के रोगियों को दवाई की ज़रूरत नहीं पड़ती है। परन्तु फिर भी अपने  प्रेशर को कंट्रोल में रखने के लिए रहन-सहन और खान-पान में बदलना ज़रूरी है।

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सेकेण्डरी कारण

हाई ब्लड प्रेशर के लगभग 5 से 10 प्रतिशत मरीजों में इसके होने के कारणों के बारे में पता लग सकता है जैसे कि गुर्दे खराब हो जाना, ऐंडोक्राईन ग्रंथियों की बीमारी, गर्भनिरोधक गोलियों का गैर-ज़रूरी इस्तेमाल, महाधमनी का सिकुड़ना आदि। इसको सेकेण्डरी हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं और बीमारियों का इलाज करवाने से यह ठीक भी हो जाता है। यह रोग आमतौर पर बचपन और युवा अवस्था में होता है।

इनके अलावा कुछ और कारण इस प्रकार हैं

  • दिल, गुर्दे, खून की नाड़ियां और नाड़ी प्रबंध पर दबाव के वाल्व में गड़बड़ी और दिल की मांसपेशियों में तंत्रिकाएं ठीक तरह काम न करें तो भी ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।
  • गुर्दे शरीर में खून की सफाई तो करते ही हैं, धमनियों और शिराओं में खून की मात्रा को ठीक रखने में भी मदद करते हैं। खून में नमक और खनिज पदार्थों की ज़रूरी मात्रा भी गुर्दो द्वारा ही सही रखी जाती है। यदि गुर्दो में खराबी आ जाए तो खून में नमक का अनुपात बिगड़ जाता है जिसके फलस्वरूप खून की मात्रा कम और ज्यादा होने से ब्लड प्रेशर पर भी असर पड़ता है। यही वजह है कि ब्लड प्रेशर पर काबू पाने के लिए रोगी की खुराक में नमक की मात्रा कम या ज्यादा की जाती है।
  • हाई ब्लड प्रेशर कम करने के लिए रोगी को ऐसी दवाइयां दी जाती हैं जिनके द्वारा गुर्दे नमक की ज्यादा मात्रा निकाल देते हैं और इस तरह ब्लड-प्रेशर कम हो जाता है।
  • आजकल की जिंदगी तनावपूर्ण है। कई तरह की परेशानियों द्वारा नशीली दवाइयों का इस्तेमाल, कॉफी का ज्यादा प्रयोग और कैंटीन वाले पदार्थों का ज्यादा इस्तेमाल करने से नाड़ियों में दबाव बढ़ जाता है। इनके अतिरिक्त मांसपेशियों में खिंचाव, दर्द, जोड़ों या रीढ़ की हड्डी में वरटिवा के अपनी जगह से हट जाने से भी नाड़ियों में दबाव पड़ता है जिस कारण से भी ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।
  • नाड़ियों पर दबाव पड़ने से तंतुओं की नियंत्रण ताकत प्रभावित होने लगती है जिससे दिल की धमनियां सिकुड़कर सख्त और तंग हो जाती हैं। इस प्रकार खून के संचालन के लिए दिल को ज्यादा ज़ोर लगाना पड़ता है, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।
  • तनाव होना ब्लड प्रेशर का मुख्य कारण है। 80 प्रतिशत लोगों में हाई ब्लड प्रेशर का कारण तनाव है।
  • मोटापा होने से भी ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। मोटे व्यक्तियों की पसली में कोलेस्ट्रोल की ज्यादा मात्रा जमा हो जाती है जिससे खून के घूमने-फिरने के लिए रास्ता तंग हो जाता है और इस तरह ब्लड प्रेशर हो जाता है।
  • नमक का ज्यादा सेवन, शराब, बीड़ी, सिगरेट, नशे द्वारा भी ब्लड प्रेशर बढ़ने की संभावना रहती है। शराब पीने से खून की नाड़ियां सिकुड़ जाती हैं जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण - symptoms Of High Pressure

आम तौर पर हाई ब्लड प्रेशर के कोई विशेष लक्षण नज़र नहीं आते। व्यक्ति को चेक करवाने पर ही पता चलता है कि उसको तो हाई ब्लड प्रेशर है। आम तौर पर हर चार व्यक्तियों में एक व्यक्ति इस बात से अनजान होता है कि उसको हाई ब्लड प्रेशर है।

परन्तु फिर भी नीचे लिखे कुछ हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण इस बारे में ज़रूर इशारा करते हैं कि आपको हाई प्रेशर हो सकता है।  

  • बहुत ज्यादा पसीना आना।
  • कभी-कभी सिर दर्द होना।
  • थकावट महसूस करना।
  • सीढ़ियां चढ़ने या व्यायाम करने से सांस फूलना।
  • चिंता सी लगी रहना।
  • जी मिचलाना। कभी-कभी उलटी हो सकती है।
  • चमड़ी पर पीलापन। मुंह और दूसरे हिस्सों में लालिमा होना।
  • नाक से खून आना।
  • दिल की धड़कन का बढ़ जाना।
  • नाक और कान में आवाज़ आना।

परन्तु एक बात हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि उपरोक्त लक्षणों से हमें यह नहीं समझ लेना चाहिए कि किसी व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर है। ब्लड प्रेशर के बारे में सही जानकारी तो यंत्र के मापने से ही पता लग सकती है।

हाई ब्लड प्रेशर का बुरा प्रभाव - Side Effects Of High Pressure

शरीर का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा हो जिस पर हाई ब्लड प्रेशर का बुरा प्रभाव न पड़ता हो। जब किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर लंबे समय के लिए ज्यादा रहता है तो दिल, गुर्दे, दिमाग और आंखों पर हानिकारक प्रभाव पड़ने लगता है। इनको Target Organ यानि रोगों से आसानी से प्रभावित होने वाले अंग कहते हैं।

  • धमनियों में भी तबदीली आ जाती है। उनका लचीलापन कम हो जाता है। इनके अंदर की साइड लिपिड यानी चिकनाई की परत जमने से उनका घेरा कम हो जाता है। इसको ऐथीरोसनलैरोसिस कहते हैं।
  • तबदीलियों द्वारा रोग से प्रभावित होने वाले अंगों में खून के संचार में गड़बड़ी हो जाती है। इसके द्वारा इनके कामों पर भी बुरा असर पड़ने लगता है।
  • दिल की धमनियों को बढ़े हुए दबाव के साथ काम करना पड़ता है। शुरू-शुरू में दिल की मांसपेशियां साइज़ में बढ़ती हैं परन्तु खून का संचार कम होने के कारण इनकी सामर्थता कम होने लगती है। इस कारण एनजायना की दर्द, दिल का ज्यादा धड़कना, सांस फूलना आदि लक्षण नज़र आने लगते हैं। दिल का दौरा भी पड़ सकता है जो कि अचानक मौत का कारण बन सकता है। दिल फेल हो जाने की नौबत भी आ सकती है।
  • दिमाग की धमनियों में खून के बहने में रुकावट पैदा होने से हाथ-पांव की कमज़ोरी या अधरंग, नज़र पर बुरा असर, सिर दर्द के अचानक दौरे भी पड़ सकते हैं। जबान का लड़खड़ाना या रुकावट पैदा होना। ये लक्षण या प्रभाव आम तौर पर अचानक होते हैं। इनको टी.आई.ए

    यानी ट्रांजिएट एक्सीमिक अटैक कहते हैं।

  • ज्यादा समय तक हाई ब्लड प्रेशर रहने से खून की नाड़ियां मोटी हो जाती हैं और उनका लचीलापन खत्म हो जाता है और श्रमबोसिस यानी खून के थक्का बनने की संभावना रहती है।
  • यदि यह श्रमबोसिस दिल की नली में हो जाए तो हार्ट-अटैक हो सकता है और तत्काल मौत भी हो सकती है।दिमाग की नाड़ी फट जाने से सरीवरल हैमरेज भी हो सकता है। या इन दोनों कारणों से अधरंग भी हो सकता है।
  • यदि गुर्दो में थक्का बन जाए तो गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं। इसको रीनल फेल्यर कहते हैं।
  • आंखों के रेटीना की खून की नाड़ियों पर भी बुरा असर पड़ता है। खून भी बहने लगता है। नज़र कमज़ोर होने लगती है और व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा भी हो सकता है।

हाई ब्लड प्रेशर से बचाव - Prevention Of High Pressure

हाई ब्लड प्रेशर से बचाव के लिए कुछ उपाए दिये गए है जैसे-

  • शरीर के वज़न को कम करना चाहिए। अनावश्यक वज़न तो बीमारियों का घर है। शायद आप यह नहीं जानते कि सिर्फ 10 पौंड वज़न घटाकर आप ब्लड प्रेशर में पांच मिलीलीटर की कमी कर सकते हैं। इसलिए सैर, व्यायाम या योग करके शारीरिक वज़न घटाना चाहिए।
  • नमक का सेवन कम-से-कम करना चाहिए। दाल-सब्ज़ी में कम मात्रा में नमक डालना चाहिए। आम तौर पर हम सलाद या फलों का सेवन करते समय उन पर अच्छी तरह नमक और मसाले डाल लेते हैं। इस तरह नमक के सेवन से परहेज़ करना चाहिए क्योंकि नमक का फालतू प्रयोग शरीर के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है और इस तरह ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
  • नमक की कम मात्रा इस्तेमाल करने से हाई ब्लड प्रेशर घटाने वाली दवाइयों का असर भी बेहतर होता है।
  • फलों और सब्जियों का प्रयोग ब्लड प्रेशर कम करने में मददगार होता है। क्योंकि फलों में पोटाशियम नामक खनिज पदार्थ ज्यादा मात्रा में होता है। मांस जैसे पदार्थों में सोडियम की ज्यादा मात्रा होती है जिससे ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।
  • शाकाहारी भोजन का सेवन सेहत के लिए लाभदायक है। इस भोजन में रेशे और पोटाशियम की काफी मात्रा होती है परन्तु इसके अलावा असंतृप्त फैटी तेज़ाब आवश्यक मात्रा में होते हैं। हमें दूध और दूध से बने पदार्थ जैसे कि पनीर के सेवन से संकोच करना चाहिए। जानवरों से प्राप्त होने वाले पदार्थ जैसे कि दूध, मांस, अंडा आदि के सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है।
  • रोज़ाना खुराक में कोलेस्ट्रोल की मात्रा 300 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
  • शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखना चाहिए। आलस या सुस्ती हो तो सौ बीमारियों की जड़ है। नियमित तौर पर व्यायाम, सैर या योग करना चाहिए। ऐरोबिक एक्सरसाइज़, हाई ब्लड प्रेशर, शुगर रोग, मोटापा और दिल के रोगों पर काबू पाने में महत्त्वपूर्ण रोल अदा करते हैं।
  • व्यक्ति को हाथ-पांव हिलाने वाले हल्के-फुल्के काम ज़रूर करने चाहिए जैसे कि घर में किचन-गार्डनिंग या घर के और छोटे-मोटे काम करना। कहने का भाव यह है कि शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखना चाहिए।
  • सिगरेट और शराब के सेवन पर कंट्रोल करना चाहिए। क्योंकि इनके सेवन से ब्लड प्रेशर बढ़ने का डर रहता है। सिगरेट पीने से न केवल आपका ब्लड प्रेशर बढ़ता है बल्कि दिल के रोग और स्ट्रोक होने की भी शंका बढ़ जाती है।
  • सिगरेट-बीड़ी पीना बंद करने से हाई ब्लड प्रेशर में काफी कमी आ जाती है। चाय, कॉफी का सेवन भी हानिकारक है। कॉफी में कैफीन की ज्यादा मात्रा होती है जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसलिए कॉफी का सेवन कम करना चाहिए।
  • शरीर को पूरे विश्राम की ज़रूरत होती है। इसलिए रोज़ाना 6 से 7 घंटे ज़रूर सोना चाहिए। नींद पूरी न होने से भी ब्लड प्रेशर बढ़ने का डर रहता है।
  • मक्खन, देसी घी की बजाए रिफाइंड तेलों का सेवन करना चाहिए। चीनी का सेवन भी कम करना चाहिए।​

हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी बातें - High Pressure

आमतौर पर यह कहा जाता है कि हमें ऊपर के ब्लड प्रेशर यानी सिसटोल के बारे में बहुत चिन्ता नहीं करनी चाहिए और 100 + व्यक्ति की उम्र जोड़कर जो ब्लड प्रेशर आता है उसको नोरमल समझना चाहिए। परन्तु यह धारणा बिल्कुल गलत है। जैसे निचले ब्लड प्रेशर यानी डायासटोलिक प्रेशर का ध्यान रखना ज़रूरी है, उसी तरह ऊपर के ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए भी कोशिश करनी चाहिए।

ब्लड प्रेशर चैक करवाने से पहले नीचे लिखी हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी बाते ज़रूर ध्यान में रखनी चाहिए

  • व्यायाम करने या रोटी खाने से कम-से-कम आधा घंटा बाद ब्लड प्रेशर मापना चाहिए।
  • कॉफी पीने के बाद चैक करवाने पर ब्लड प्रेशर असल से ज्यादा हो सकता है।
  • जांच करवाने से पहले कम-से-कम पांच मिनट आराम से बैठना चाहिए।
  • बाजू से कपड़ा ज़रूर उतार दें। यदि कमीज़ मुड़ी हुई हो तो उससे बाजू पर दबाव से रीडिंग में फर्क आ सकता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर घटाने वाली दवाइयों का सेवन डॉक्टर की निगरानी में ही करना चाहिए। अलग-अलग गोलियों का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

डाइयुरेटिक्स (Diuretics) के सेवन से शरीर में पेशाब द्वारा काफी मात्रा में नमक निकल जाता है। परन्तु इनके ज्यादा प्रयोग से मांसपेशियों में अकड़ाव और खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है क्योंकि यह दवाई कोलेस्ट्रोल को खारिज करने वाले पदार्थों को घोल देती है।

बीटा ब्लॉकरज़ (Beta Blockers) : यह दवाई दिल के सिकुड़न की दर और ताकत को कम कर देती है जिससे हाई ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। परन्तु इसके ज्यादा सेवन से आदमी में नपुंसकता आ जाती है और दिल पूरी तरह ब्लॉक हो जाता है।

कैल्शियम चैनल ब्लॉकरज़ : यह दवाई खून के वैसल्ज़ के सेलों में कैल्शियम की चाल को कम कर देती है। यह ब्लड वैसल्ज़ को रिलैक्स कर देती है और इस तरह बढ़ा हुआ ब्लड-प्रेशर कम हो जाता है।

परन्तु इन दवाइयों के ज्यादा सेवन से शरीर पर सोजिश आने लग जाती है। कई बार दवाई खाने के बावजूद भी हाई ब्लडप्रेशर कम नहीं होता। ऐसा नीचे लिखे कारणों से भी हो सकता है

  • ज़रूरी मात्रा से कम मात्रा में दवाई का सेवन करना।
  • जब दिल करे दवाई खा ली यानी दवाई को नियमित तौर पर इस्तेमाल न करना। दवाई तो नियमित तौर पर डॉक्टर की हिदायत के अनुसार ही खानी चाहिए।
  • खुराक में नमक की ज्यादा मात्रा का इस्तेमाल करना।
  • गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करना।
  • स्टिरॉयड दवाइयां खानीं।
  • शरीर में पानी का ज्यादा रुकना।

इसलिए दवाई का इस्तेमाल सही मात्रा में और डॉक्टर के निर्देश के अनुसार करना चाहिए। लेकिन सबसे बढ़िया तरीका खाने-पीने पर काबू रखना और शारीरिक तौर पर चुस्त-दुरुस्त रहना है।

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