अनिद्रा के कारण | अनिद्रा से छुटकारा पाने का घरेलु उपाय

अनिद्रा के अनेक कारण होते हैं जिन्हें मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है।

1। शारीरिक, 2। मानसिक, 3। अन्य कारण

1। शारीरिक:- इन कारणों में पीड़ा, ज्वर, हृदय रोग से श्वांस सम्बन्धी बीमारियां, अपच अधिक भोजन कर लेना, पेट में गैस तथा मूत्राशय सम्बन्धी बीमारियां विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

2। मानसिक:- अनेक मानसिक अवस्थाओं के कारण नींद खराब हो जाती है। जैसे चिन्ता, ईष्र्या, द्वेष, आतुरता, व्याकुलता और भय आदि। मानसिक चिन्ता को विदेशों में अनिद्र का सबसे बड़ा कारण बताया जाता है। इसलिए वहां के लोग अधिकतर सोने से पूर्व नींद के लिए गोलियां खाते हैं।

3। अन्य कारण:- चाय-काफी या बीड़ी सिगरेट अधिक सेवन करने से भी नींद मारी जाती है। कुछ लोगों को स्थान बदलने से भी अनिद्रा हो जाती है।

आपकी अनिद्रा का कारण मानसिक चिन्ता है जो आपकी व्यक्तिगत अथवा व्यावसायिक जीवन से सम्बन्ध रखती है। जहां तक नींद आने वाली गोलियां खाने का सवाल है, तभी आप इनका प्रयोग कर सकते हैं जब आपके रोग का सही इलाज हो रहा हो। थोड़े दिनों इनका प्रयोग करने से कोई हानि नहीं होती लेकिन अधिक समय तक खाने से आदत पड़ सकती है।

क्योंकि इन गोलियों में नशा होता है। और नशे का सम्बन्ध मन से माना गया है। अनचाहे किसी भी बात को बार-बार करने से मन उसका गुलाम हो जाता है; अतः आदत पड़ सकती है। इसलिए इन गोलियों का अधिक समय तक प्रयोग नहीं करना चाहिए।

अनिद्रा में घरेलु उपाय

जहां तक हो सके, हममें से हर एक को अपने दैनिक जीवन में बहुत व्यस्तता और हड़बड़ी से बचना चाहिए। अगर हम शान्त और सुस्थिर रहकर हर काम का करने की आदत डाल लें, तो कुछ दिनों बाद आराम की नींद हमें आएगी। और नर्वस सिस्टम-सम्बन्धी बीमारियों से भी बचे रहेंगे। अधिक शारीरिक थकावट भी नींद में बाधक होती है लोग समझते हैं कि परिश्रम करने के बाद नींद अच्छी आती है, पर यह बात उस समय लागू नहीं होती, जब आदमी शक्ति से बाहर परिश्रम कर बैठता है।

खुली हवा में व्यायाम करना अच्छा है, पर अधिक व्यायाम कर लेने से भी नींद ठीक से नहीं आती। व्यायाम उतना ही कीजिए जितने से मजे की थकावट आपको आ जाये। शारीरिक थकावट और मानसिक तनाव की अधिकता से हमें दिन भर ही बचना चाहिए। शाम के वक्त इनसे बचना और भी जरूरी है।

शाम के वक्त या रात को अधिक मानसिक परिश्रम करना भी नुकसानदेह होगा। अक्सर ऐसा करने से विधार्थियो को अनिद्रा रोग हो जाता है। हमें प्रकृति का नियम मान कर चलना चाहिए। यानी दोपहर के वक्त ही अपने दिमाग से सबसे अधिक काम लेना चाहिए। फिर शाम को, जबकि हमारा दिमाग काफी थक चुका होता है, हमें कम परिश्रम के काम करने चाहिए। फिर ज्यों-ज्यों लेटने का वक्त पास आ जाए, हमें क्रियाकलाप बिल्कुल धीमा करके मन और शरीर एक दम निरुद्विग्न कर लेना चाहिए। तब बिना किसी परेशानी के गहरी नींद हमें आ जाएगी।

सोने से थोड़ी देर पहले ही भर पेट खा लेना ठीक नहीं है। रात के खाने के कम-से-कम दो घंटे बाद हमें सोना चाहिए। तीन घंटे पहले खाना खा लेना और भी अच्छा रहेगा। खाने के तुरन्त बाद सो जाने पर आप रात में स्वप्न देखेंगे और गहरी नींद न सो पाएंगे। रात को बहुत ढूंस-ठूसकर खाना भी ठीक नहीं। रात का खाना हमेशा हल्का और सुपाच्य होना चाहिए।

एक बात और है रात का खाना ही हमेशा नींद में बाधक नहीं बनता, दोपहर को भी गरिष्ठ चीजें खा लेने से कभी-कभी पेट में गड़बड़ी पैदा हो जाती है और रात में ठीक से नींद नहीं आती। खाना हमेशा अच्छी तरह चबा-चबा कर खाना चाहिए और अपना हाजमा दुरुस्त रखने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। तब नींद में गड़बड़ी पैदा होने की कोई सम्भावना नहीं रह जाती।

शाम का वक्त आमोद, प्रमोद और मनोरंजन में बिताने से अच्छी नींद आती है। इस सम्बन्ध में यह भी है कि सोने से पहले ऐसे खेल नहीं खेलने चाहिए जिनमें दिमाग को बहुत अधिक उलझाना पड़ता हो। ताश के खेल और शतरंज ऐसे ही खेलों में से हैं। इन खेलों को अगर आप कभी रात को खेलें भी, तो उसके बाद कम-से-कम आधा घण्टा बैठे रहें और अपने दिमाग को शान्त होने का मौका दें। नाराज होकर या झल्लाकर कभी न सोइए। आदमी जब बहुत अधिक क्रोध में होता है, उस वक्त उसका रक्तचाप लगभग पचास प्रतिशत बढ़ जाता है।

शाम के वक्त नाराजगी और चिढ़ से बचने की कोशिश करते रहिए। और यदि कभी शाम को ही किसी पर आप नाराज हो पड़े, तो थोड़ी देर के अन्दर ही अपनी झल्लाहट को दूर कर दीजिए। टहलना इसके लिए अचूक नुस्खा है। इसमें लाभ यह होता है, कि नाराजगी से पैदा हुई अपनी अतिरिक्त शक्ति एक लाभप्रद कार्य में खर्च होती है। हम जिस वक्त खाली बैठे होते हैं, उसी वक्त ज्यादा झल्लाहट आती हैं। इसलिए हर वक्त अपने आपको किसी उपयोगी काम में लगाये रहना चाहिए। खास तौर पर थकावट की स्थिति में मन को किसी न किसी मनोरंजन में उलझाये रखना चाहिए।

शाम का वक्त पढ़कर गुजारना बहुत अच्छी आदत है, पर खून, डकैती को सनसनीखेज पुस्तकें सोने से पहले पढ़ना ठीक नहीं होता। भूत-प्रेतों की कहानियां भी सोते वक्त न पढ़ी जाएं, तो अच्छा है। इस तरह का साहित्य सोने से पहले पढ़ने पर दु:स्वप्न आते हैं और रात भर आपको अच्छी नींद नहीं आ पाती।

नशीली वस्तुओं का सेवन सोते समय या सोने से पहले के एक घण्टे में करना भी उचित नहीं होता। बहुत से लोगों की अनिद्रा का तो यही एकमात्र कारण होता है। सोने से पहले तेज चाय या बगैर दूध की कॉफी पी लेना भी बुद्धिमानी का काम नहीं होता। इनसे हाजमें पर भी बुरा असर पड़ता है और स्नायुमण्डल पर भी।

You can share this post!

विशेषज्ञ से सवाल पूछें

पूछें गए सवाल