जोड़ों का दर्द (संधि वाता) क्या है | जोड़ों का दर्द के लक्षण और चिकित्सा
प्रकुपित वायु जोड़ों में ठहरकर उनमें सूजन, दर्द एवं कार्य की हानि पैदा कर देती है। इसे संधिवात या जोड़ों का दर्द कहते हैं। अधिकतर इसमें शरीर के बड़े जोड़ ही प्रभावित होते हैं। यह जीर्ण प्रकार का रोग है। जो प्रायः बड़ों को होता है। फिर जीवन भर कुछ न कुछ लगा रहता है। अधिकतर रोगियों में कूल्हे या घुटनों के जोड़ में विकृति बढ़ी रहती है और वे दोनों पैर समेटकर फर्श पर नहीं बैठ पाते, मोटे रोगियों में यह बीमारी अधिक मिलती है।
जोड़ों का दर्द के लक्षण
- प्रातःकाल सोकर उठने या फर्श पर बैठने के बाद घुटनों में दर्द होता है।
- यह दर्द जोड़ों के अंदर जगह के कम होने से होता है।
- चोट या मेहनत करने से दर्द बढ़ जाता है।
- हड्डियों के अगले भाग मोटे होकर नोकदार हो जाते हैं।
- जोड़ों की अंदरूनी कफ की झिल्ली के भीतर छोटे-छोटे हड्डी के टुकड़े बन जाते हैं और जोड़ों को हिलाने-डुलाने से कर्कराहट की आवाज आने लगती है।
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जोड़ों का दर्द में चिकित्सा
- मोटे रोगी अपने शरीर का वजन कम करने की कोशिश करें।
- आराम करने से रोगी को लाभ मिलता है किंतु दिनभर लेटे रहने से अधिक हानि होती है।
- रोगी को अपना कार्य आराम के साथ करते रहना चाहिए।
- शुद्ध कुपीलु 80 मि.ग्राम मल्ल सिंदूर 120 मि.ग्राम गर्म जल से दो बार दें।
- त्रयोदशांग गुगुल 500 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।
- वातगजांकुश रस 240 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।
- स्वर्ण समीर पन्नग रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।
- रसराज रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।
- मकरध्वज 120 मि.ग्राम दिन में दो बार शहद के साथ दें।
- वृहत वात चिंतामणि 120 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।
- महारास्नादि क्वाथ 30 मि.लि. दिन में दो बार दें।
- महाविषगर्भ तेल मालिश के लिए प्रयोग करें।
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