काली खांसी क्या है | काली खांसी में 6 तरीके से करे घरेलु इलाज

यह रोग दस वर्ष तक के बच्चों में होता है। एक बार रोग होने पर, उत्पन्न शक्ति के कारण यह रोग दुबारा नहीं होता। काली खांसी में सूखी खांसी के पीड़ादायक दौरे बढ़ जाते हैं। रात में अधिक तकलीफ होती है। प्रत्येक दौरे में 15-20 झटके लगते हैं। दौरे के अंत में बालक कुत्ते के खांसने के समान हूप-हूप शब्द करता है। इसलिए इसे हूपिंग कफ या कुक्कुर कास कहते हैं।

काली खांसी में घरेलु इलाज

1। अदरक रस 10-15 मि.लि। समभाग शहद मिलाकर दो-तीन बार चटाएं।

2। चंद्रामृत रस 120 मि.ग्राम, मयूर पिच्छ भस्म 100 मि.ग्राम, अपामार्ग क्षार 100 मि.ग्राम, पिप्पली चूर्ण 100 मि.ग्राम, यवक्षार चूर्ण 500 मि.ग्राम, मकरध्वज 30 मि.ग्राम चार-चार घंटे पर कटु तेल व गुड़ के साथ चटाएं।

3।

टेकराज मरिच चूर्ण 250-500 मि.ग्राम शहद में मिलाकर दो-तीन बार चटाएं।

4। मुलहठी चूर्ण 56 ग्राम तुलसी मंजरी 28 ग्राम, पिप्पली फल 28 ग्राम, कंटकारी 56 ग्राम, एक लीटर पानी में उबाले। चौथाई रहने पर उतारकर छान लें। इसमें शर्करा 56 ग्राम, वचा चूर्ण 5 ग्राम मिलाकर सिरप बना लें। इसे 10-20 मि.लि। में दो-तीन बार देना चाहिए।

5। कंटकारी का काढ़ा 10-15 मि.लि.,पिप्पली चूर्ण मिलाकर दो बार देना चाहिए।

6। वंशलोचन 120 मि.ग्राम, पिप्पली 120 मि.ग्राम, शुद्ध गंधक 60 मि.ग्राम आक के पत्ते 60 मि.ग्राम लेकर चूर्ण बना लें। इसे 4-6 ग्राम शहद के साथ मिलाकर दो-तीन बार दिन में दें।

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