रक्त का मानव-शरीर में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। शरीर के सूक्ष्य तन्तु-कोषों को विभिन्न प्रकार के लवणों तथा ऑक्सीजन (Oxygen) की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा मनुष्य जो कुछ खाता-पीता है, उसमें पोषण प्राप्त करने के अलावा बचे-खुचे निरुपयोगी अंशों का निष्कासन भी रक्त के द्वारा ही होता है। इन कार्यों में गड़बड़ी होते ही शरीर अस्वस्थ हो जाता है और तरह-तरह के ऊपरी उपसर्ग दिखाई पड़ने लगते हैं।
रक्त यदि कार्य करना बन्द कर दे, तो चन्द मिनटों के अन्दर आदमी की जान जा सकती है या यदि अस्थायी रूप से ये कार्य बन्द हो जाएं, तो आदमी मूच्र्छाग्रस्त हो सकता है। थकावट जल्दी आती हैं देह में सुस्ती रहने लगती है। जरा-सा परिश्रम करते ही आदमी हांफने लग जाता है। दिल की धड़कन तेज होने की शिकायत भी हो जाती है। पेट की गड़बडी भी दिखाई पड़ती है। अपच और पेट में जलन रहने लगती है। स्त्रियों में मासिक धर्म की गड़बड़ी भी हो जाती है। स्नायविक गड़बड़ी भी पैदा हो जाती है,
खून की कमी की स्थिति में हमेशा किसी योग्य डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए, जो यह पता लगा सके कि रक्ताल्पता का मूल कारण क्या है? जड़ पकड़ में आने पर जो इलाज होगा, उससे फायदा होगा। खनिज-लवणों की कमी, विटामिनों का अभाव, तिल्ली की गड़बड़ी और हारमोन्स में असन्तुलन-प्राय: इन्हीं का रक्ताल्पता की शिकायत होती है।
1। कसरत और शारीरिक श्रम करना भी लाभदायक है।
2। कसरत ऐसी करनी चाहिए, जिसमें सभी अंगों का व्यायाम हो जाये।
3। खेल-कूद और तैराकी से भी शरीर में नई शक्ति आती है।
4। धूप और खुली हवा भी रक्ताल्पता के मरीजों को लाभ पहुंचाती है।
5। उठने-बैठने की सही मुद्रा आवश्यक थकावट से बचने में सहायक होती है।
6। फुर्ती से चलना-फिरना शरीर में रक्त-संचार की गति तीव्र करता है।
7। मानसिक तनाव शिथिल कर दिया जाना चाहिए।
8। वैज्ञानिक जीवन में असन्तोष भी मानसिक तनाव की सृष्टि करता है।
9। स्वाभाविक और सन्तुलित जीवन भी रक्ताल्पता के इलाज में बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है।
10। डॉक्टर की सलाह पर अमल कीजिए। मिर्च-मसालों का सेवन कम कर दीजिए, फायदा चन्द रोज में ही दिखाई पड़ने लगेगा।
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