समय पर खाया हुआ भोजन भी अधिक जल पीने से, विषम आसन में बैठने से, दिन में सोने से, रात में जागने से, चिंता, भय, शोक, क्रोध, ईष्र्या, लोभ, दीनता, ग्लानि व सुखकारी शय्या के न मिलने पर ठीक प्रकार से न पचकर अजीर्ण उत्पन्न करता है।
शरीर का भारीपन, उल्टी करने की इच्छा, उदरशूल, अफारा, मल एवं अपान वायु का रुकना, अंगों में पीड़ा आदि लक्षण सामान्य होते हैं।
1। अग्नितुंडी वटी 1-2 वटी गरम जल के साथ भोजन से पूर्व लें।
2। लहसुनादि वटी 1-2 वटी गरम जल के साथ भोजन से पूर्व लें।
3। चित्रकादि वटी 1-2 वटी गरम जल के साथ भोजन से पूर्व दो-तीन बार लें।
4। महाशंख वटी 1-2 वटी गरम जल के साथ भोजन के पूर्व दो-तीन बार लें।
5। क्रव्याद रस 1-2 वटी गरम जल के साथ दो-तीन बार लें।
6। हिंग्वाष्टक चूर्ण 1-2 ग्राम गरम जल के साथ भोजन से पूर्व लें।
7। लवण भास्कर चूर्ण 1-2 ग्राम गरम जल से भोजन के पूर्व लें।
8। शंख भस्म, कपर्दिका भस्म, नींबू रस के साथ दिन में दो बार लें।
9। हींग, सौंठ, मिर्च, पीपल, सेंधा नमक का चूर्ण समान मात्रा में लेकर पर्याप्त गरम पानी में मिलाकर पेट पर लेप करें।
10। चविकासव 15-30 मि.लि। समान जल मिलाकर भोजन के बाद दो बार लें।
11। अभयारिष्ट 15-30 मि.लि। गरम जल मिलाकर भोजन के बाद दो बार लें।
12। कुमारी आसव 15-30 मि.लि। समान जल मिलाकर भोजन के बाद दो बार लें।
13। रोहितकारिष्ट 15-50 मि.लि। समान जल मिलाकर भोजन के बाद दो बार लें।
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