पेट की गैस में 10 घरेलु इलाज के नुस्के

जिस रोग में रोगी के उदर के अंदर चलने वाला एवं कभी अचल, कभी घटने वाला और कभी बढने वाला गोला-सा आकार में दिखाई देता है उसे गुल्म या गोला कहते हैं। | गुल्म उदर में दोनों पाश्र्व, हृदय के नजदीक, नाभि तथा वस्ति इन पांच जगहों में होता है। इस रोग में मुख्यतया वायु का विकार होता है।

पेट में गैस बनने का लक्षण।

  • भूख का कम लगना।
  • कब्ज का रहना।
  • मूत्र का रुक जाना।
  • पेट में गुड़गुड़ाहट का होना।
  • अफारा एवं वायु का रुक जाना इस रोग के लक्षण होते हैं।

पेट की गैस में घरेलु इलाज

1। गुल्म कुठार रस 120 मि.ग्राम दिन में तीन बार गरम जल से दें।

2। कांकायन गुटिका 2-4 वटी दिन में तीन बार गरम जल से दें।

3। यवक्षार 1 ग्राम दिन में दो बार गरम जल से दें।

4। लहसुनादि वटी 2-4 वटी गरम जल के साथ दो-तीन बार दें।

5। सुकुमार घृत 10-20 ग्राम दिन में दो बार दें।

6। इंदुकात्त घृत 10-20 ग्राम दिन में दो बार दें।

7। द्राक्षाघृत 10-20 ग्राम उष्ण जल से दें।

8। क्षीर षटपल घृत 10-20 ग्राम उष्ण जल से दिन में दो बार दें।

9। कुमारी आसव 20 मि.लि। समभाग जल मिलाकर भोजन के बाद दें।

10। शंख द्राव 1 बूंद कुमारी आसव में मिलाकर दें।

लाभ:- शाली चावल, कुलत्थी, गो दुग्ध, बकरी का दूध, द्राक्षा, आंवला, लहसुन गुल्म रोगियों को भोजन में नित्य प्रति देते रहना चाहिए।

नुकसान:- मधुर रस वाले द्रव्य, उड़द, आलू, शुष्कमांस, मत्स्य गुल्म रोगों के लिए हानिकारक हैं।

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