यदि किसी के शरीर में कैल्शियम का अभाव हो जाये तो उसके शरीर का विकास रुक जायेगा। हड्डियां कमजोर पड़ जायेंगी और शरीर के सभी अंगों में दर्द होने के साथ ही शरीर को दूसरे रोग भी दीमक की भांति चाटने लग जायेंगे। खून की मात्रा कम हो जायेगी और चेहरा पीला पड़ जायेगा। ऐसा इसलिये होगा क्योंकि कैल्शियम के प्रयोग से रक्त में रोगों से लड़ने वाले कृमियों की संख्या बढ़ जाएगी, तो खुन में भी सफेद कृमि बढ़कर शरीर को जर्जर बनाने में कोई कसर नहीं रखेंगे।
इतना ही नहीं कैल्शियम हड़ियों को मजबूत बनाता है और उनके सही प्रकार से विकास में सहायक होता है, पर इसके प्रयोग न करने पर या भोजन में कम मात्रा में होने पर हड़ियां कमजोर पड़ जायेंगी। कैल्शियम की कमी का तीसरा सीधा असर हृदयगति पर होता है, जिससे खून सही प्रकार से साफ नहीं होता है और शरीर में रोग के कीटाणु उसी प्राकर टहलते हुए चले आयेंगे, जिस प्रकार बगैर चौकीदार के दरवाजे में चोर।
जब कोई स्त्री गर्भवती हो तो उसके स्वास्थ्य पर जन्म लेने वाला शिशु पूर्णतः निर्भर करता है। जन्म लेने के पश्चात दूध पीने की स्थिति में शिशु पूरी तरह माँ के स्वास्थ्य पर ही निर्भर होता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए खुराक पर ध्यान देना आवश्यक है। इस खुराक में सही प्रकार से शारीरिक विकास के लिये कैल्शियम की मात्रा उचित रूप में होना अनिवार्य है। कैल्शियम शरीर के विकास में एक वरदान सिद्ध हुआ है।
जब कोई गर्भवती स्त्री यह कहे कि उसके पैर सुन्न पड़ जाते हैं, उंगलियों के जोड़ दर्द करते हैं, और मांस-पेशियां जिस तरह चाहिए, उस तरह काम नहीं करती तो यह समझ लेना चाहिए कि बालक अपनी देह का ढांचा बनाने के लिए माता के रक्त में से कैल्शियम की अधिक मात्रा ले रहा है। अन्य लोगों में कैल्शियम की न्यूनता का कोई मुख्य चिह्न नहीं दिखायी देता। यदि फुन्सियां निकलें तो समझ लेना चाहिए कि कैल्शियम की कमी है फिर भी कैल्शियम की कमी का पता लगने में बहुत समय लगता है। और जब पता लगता है, तो ऐसी अवस्था में पता लगता है, कि इस कमी की पूर्ति करना अत्यंत कठिन हो जाता है।
यह कमी उस बढी हुई उम्र में इस प्रकार दिखायी देती है कि किसी अवयव की हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं, या उनमें गांठ पड़ जाती है या उनकी बनावट में कोई अन्तर पड़ जाता है। प्रायः लोगों के पेट में भोजन के पश्चात् दर्द होने लगता है। इसका कारण तैलीय लवण की कमी है, जिसकी पूर्ति कैल्शियम द्वारा होती है। पाचन शक्ति को ठीक रखने तथा अंतड़ियों को ठीक ढंग से कार्य संचालन हेतु पेट में अम्ल और तैलीय पदार्थों का संतुलन आवश्यक है जो तत्व शरीर के स्नायु-तंतुओं का निर्माण और रक्षण करते हैं। शरीर को शक्ति तथा मस्तिष्क को बल प्रदान करते हैं, वे सब कैल्शियम के माध्यम से ही प्राप्त होते हैं।
1। दांत कमजोर हो जाते हैं।
2। शरीर की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
3। कहीं कट जाने से रक्तस्राव बंद नहीं होता घाव भी जल्दी नहीं भरता हैं।
4। त्वचा की स्निग्धता नष्ट और उसका लचीलापन कम हो जाता है।
5। स्त्रियों की गर्भावस्था में उनकी हड़ियां और दांत कमजोर हो जाते हैं।
6। पैरों की मांस-पेशियों में कड़ापन आ जाता हैं और दर्द बना रहता है।
7। उंगलियों और बांहों के ऊपरी भाग की मांसपेशियों में कड़ापन आ जाता है और इनकी संवेदनशीलता कम हो जाती है।
8। स्नायुओं में दुर्बलता आ जाती है।
9। पाचन-शक्ति कमजोर पड़ जाती है तथा मस्तिष्क हमेशा थका-थका बना रहता है और नींद भी ठीक से नहीं आती।
10। शरीर के रोगों से प्रतिरोधात्मक शक्ति कम हो जाती है।
हमारे शरीर को अन्य खनिज-द्रवों की अपेक्षा इस द्रव की अधिक आवश्यकता है। सुदृढ़ हड़ियों और दांत बनाने के लिए रक्त के प्लाज्मा को योग्य स्थिति में रखने के लिए और कई किलो ग्राम पाचन-रस तैयार करने के लिए प्रत्येक दिन उचित मात्रा में कैल्शियम की आवश्यकता होती है। जिन बालकों को यह पर्याप्त मात्रा में खाने को नहीं मिलता, उन्हें सूखे का रोग हो जाता है। आधुनिक अनुसंधान द्वारा यह ज्ञात हुआ है कि यदि किसी व्यक्ति को उसके बचपन में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा खाने को नहीं मिलती तो बुढ़ापे में उसकी हड़ियां अशक्त हो जाती हैं, और हाथ-पांव कांपने के कई रोग उसे आ दबोचते हैं।
कैल्शियम दांतों को बिगड़ने से रोकता है। यह देह और दीमाग के बीच नाड़ियों के संबंध को अच्छी स्थिति में रखने में सहायक होता है, जिसके फलस्वरूप वह व्यक्ति शांतचित्त और सुखी रहता है। कैल्शियम रक्त के लाल कण बनाता है, इसलिए रक्त हीनता का रोग नहीं होता। यदि आप ऐसा भोजन खायेंगे जिसमें कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में होगा तो आप को अपनी देह में लोहे की कमी महसूस न होगी। स्त्रियां बहुधा शीघ्र ही रक्तहीनता के रोग से बीमार पड़ जाती हैं इसलिए उनको पर्याप्त कैल्शियम खाने का सदा प्रयत्न करना चाहिए।
इतना महत्त्वपूर्ण कैल्शियम हमें हरी सब्जियों में तथा सबसे अधिक मेथी, सरसों, बथुआ, पालक, भिण्डी इत्यादि से प्राप्त होता है, इसके अतिरिक्त प्याज, आंवला, और लहसुन में भी कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में होता है, पर आटा छानते हुए जो छलनी में आटे के अंश बच जाते हैं जिसे हम आटे का चोकर कहते हैं, उनसे हमें सबसे अधिक मात्रा में कैल्शियम प्राप्त होता है।
नोट:- उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि शरीर में कैल्शियम का स्थान महत्त्वपूर्ण है। और इसके अभाव में शरीर रोगों का घर बन जाता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि कैल्शियम का सन्तुलन ठीक से बना रहे। गर्भवती महिलाओं के लिए तो कैल्शियम अति आवश्यक तत्व है, क्योंकि गर्भ में पुष्ट होते हुए शिशु के निर्माण के लिए कैल्शियम ही सबसे अधिक आवश्यक है।
जन्म के पश्चात भी शिशु माता के दूध के रूप में प्रभूत परिमाण में कैल्शियम ग्रहण करता है। इसलिये गर्भवती तथा सद्यः प्रसूता महिलाओं के भोजन तथा औषधियों में कैल्शियम दिया जाता है, इसके अभाव में उन्हें मिट्टी खाते देखा गया है।
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