नवजात शिशु के शरीर पर दाने निकलने के कारण और बचाव के तरीके

शिशु की त्वचा बहुत कोमल होती है। उस पर भीतर के आहार से (दूध आदि से) या बाहर के संपर्क से, वस्त्रों से, वायुमंडल से, कैसे भी दाने हो जाना आम बात है। ऐसा इसलिए भी है कि हम बच्चे की त्वचा, वस्त्रों तथा बिस्तर आदि की स्वच्छता में कहीं-न-कहीं कोई कमी छोड़ देते हैं। इसी कारण दानें हो सकते हैं।

दाने होने के अनेक कारण हैं

जिनमें कुछ स्वच्छता से जुड़े हैं, कुछ खानपान से, तो कुछ पहनावे से। कुछ दाने शरीर पर होते हैं, आसानी से लुप्त भी हो सकते हैं। थोड़ी-सी सावधानी या हलके से उपचार से इन्हें ठीक किया जा सकता है। मगर ऐसा हर बार नहीं होता। कुछ दाने बड़े या गंभीर रोग के सूचक होते हैं। इनका उपचार घर पर नहीं किया जा सकता। पहचान करने व इसकी गंभीरता की समझने में भी भूल हो सकती है। इसीलिए बच्चे के हित में आप डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। कई बार तो ये चर्म रोग के लक्षण भी हो सकते हैं।

1। गंदे पोतड़े : कई बार पोतड़ों की अच्छी सफाई न करने से भी शिशु के कोमल शरीर पर कुछ निशान, रंग में बदलाव, दाने आदि नजर आने लगते हैं। जिससे शिशु का निचला भाग, नितंब तथा पीठ लाल हो जाया करते हैं। शरीर के जिस भाग पर पोतड़ा बांधते हैं, वहां अधिक प्रभाव पड़ता है। छोटे-छोटे लाल दाने देखे जा सकते हैं।

2।

अमोनिया के कारण : पोतड़े कभी तो गीले ही बंधे रहते हैं, मां ध्यान नहीं देती या फिर इसे बदलकर, सुखाकर पहनने योग्य बना लिया जाता है, मगर कभी-कभार ही धोते हैं। इन पोतड़ों में मूत्र सूखकर अमोनिया पैदा करता है, जिसके कारण शिशु के नितंबों तथा कमर पर लाल रंग के छोटे दाने हो जाते हैं। यह तो प्रत्येक शिशु की त्वचा पर निर्भर करता है कि यह अमोनिया के प्रभाव से तुरंत प्रभावित हो जाती है या फिर देरी से। कभी-कभी नहीं भी, मगर हर मां को चाहिए कि वह अपने लाड़ले के पोतड़े साफ रखें। हर बार धोएं। कभी-कभी डिटोल युक्त पानी से भी इन्हें धोएं।

3। मल के कारण : कभी-कभी दूध में प्रोटीन अधिक होने के कारण शिशु दूध को पचा नहीं सकता, तब वह पतले दस्त करने लग जाता है। ऐसी स्थिति में मल संक्रमण उत्पन्न कर देता है। बार-बार शरीर पर लगने से मल द्वार का आसपास का हिस्सा-लाल हो जाता है। अतः दूध में पानी की मात्रा बढ़ाएं तथा दस्त रोकने का उपचार करें, ताकि मल से होने वाला यह रोग थम जाए। दाने निकलने बंद हो जाएं। त्वचा सामान्य हो जाए।

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