शिशु को उल्टी होने के कारण | शिशु को उल्टी होने पर घरेलु उपचार और बचाव के उपाय

यदि शिशु को दूध पिलाते समय उसकी आवश्यकता का ध्यान न रखकर, उसकी भूख से अधिक दूध पिला दिया जाए, तो वह उल्टी करने लगता है। दूध फेंक देता है। कई बार अधिक दूध फेंकना ही ‘उल्टी’ बन जाता है।

उल्टी होने के कारण

यदि शिशु को उल्टियों के साथ बुखार भी न आए, देखने में रोगी न लगे, तब तो दूध ही उसकी उल्टी का कारण होता है।

1। शिशु अधिक दूध पी लेने के कारण तो उल्टी करेगा ही। कई बार बच्चे को भूख नहीं होती, मगर मां उसे दूध पिलाने का प्रयत्न करती है। परिणामस्वरूप बच्चा उल्टी कर देता है।

2। यदि शिशु को ठंडा दूध पिलाएंगे, तो भी उसका शरीर इसको स्वीकार न कर बाहर फेंकने का प्रयत्न करता है।

3।

कई बार बच्चे को जो दूध पिलाया जाए, उसमें वसा अधिक हो सकती है। कभी उसमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा हो जाती है। शिशु इस प्रकार के दूध को हजम नहीं कर पाता तथा उल्टी कर देता है।

4। शिशु की आंतों में या पाचन तंत्र में यदि कोई संक्रामक रोग पहुंच जाए, तो ये जीवाणु हानिकारक होते हुए उल्टी के जरिए शरीर से बाहर आ जाते हैं।

बच्चों के उल्टी में घरेलु उपचार

शर्करा की मात्रा : शिशु को दूध पिलाते समय शर्करा की मात्रा सामान्य रखें। यदि इसे बहुत कम कर देंगे, तो दूध में उपलब्ध वसा हजम नहीं होगी। मां का दूध जितना मीठा होता है, उतना ऊपरी दूध भी मीठा रहे। शर्करा को कम करने की सलाह हो, तो इसे बदल दें। शिशु के दूध में सफेद चीनी न डालें तो उसके लिए उत्तम होगा। उसे लाल चीनी, देसी चीनी या शक्कर डालकर दूध पिलाएं, तो भली प्रकार पच जाता है। कुछ डॉक्टर तो केवल ट्रैक्सट्री-माल्टोज दूध में डालने की सलाह देते हैं। यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी होती है। वह इसे पीकर उल्टियां नहीं करेगा।

दूध का तापमान : यदि अधिक ठंडा दूध होगा तो भी शिशु उल्टी करेगा, ऐसा ऊपर बताया जा चुका है। शरीर के तापमान के अनुरूप दूध अधिक गरम होगा, तो मुंह में छाले डाल देगा तथा बच्चा इसे सहन न करके उल्टी कर देगा।

बोतल तथा निप्पल : बोतल तथा निप्पल को प्रतिदिन दो-तीन बार उबालें। ये खूब साफ हों। निप्पल का छेद भी ठीक हो। छोटा होगा, तो दूध न आने से बच्चा रोता रहेगा। बड़ा होगा तो दूध अधिक निकलेगा। बच्चा शीघ्र पी तो लेगा, मगर इसे पचा नहीं सकेगा। उल्टी कर देगा।

भूखा न रखें : यदि शिशु भूखा रहेगा, तो भी वह उल्टी कर देगा। उसको उसकी भूख के अनुसार आहार मिलना ही चाहिए।

नोट:- दूध में सुधार करें। साफ बर्तन में रखें। गंदे हाथ न लगाएं। दूध मोटा-गाढ़ा हो सकता है, उसमें पानी डालकर पतला करें, ताकि बच्चा इसे पचा सके। प्रोटीन तथा वसा अधिक नहीं रहेगी, तो शिशु इस दूध को पचा लेगा। तब वह उल्टी नहीं करेगा। दूध पतला करने का भाव ही इसमें वसा तथा प्रोटीन की मात्रा कम करना है।

उल्टी में बचाव के उपाय

यदि शिशु उल्टियां करता है, साथ में कोई और भी परेशानी जैसे दस्त आना हो, तो उसे दूध पिलाना बंद कर दें। उसे निम्न चीजें दें:

  • उबला हुआ पानी ठंडा करके, जिसमें ग्लूकोज या चीनी मिलाकर दें।
  • संतरे का रस, पानी डालकर तथा पतला करके पिलाएं।
  • एक-दो दिनों तक ऐसे चलने दें, फिर पतला दूध देकर उसे पूर्व आहार तक लाएं।
  • शिशु के शरीर में पानी की कमी कभी न होने दें।
  • जरूरत हो, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

स्वास्थ सुझाव

उल्टी के द्वारा शिशु दूध को निकाल दे, तो इसमें कोई परेशानी वाली बात नहीं। न अधिक पिलाते, तो बाहर न निकालता। दो-चार बार ऐसा हो जाए, तो चिंता का कोई विषय नहीं है। मगर यदि वह अकसर उल्टी करने लगे, सुस्त नजर आए, हर समय मुरझाया-सा पड़ा रहे,ज्वर आदि भी आने लगे। उसकी वृद्धि रुक जाए, ऐसी अवस्थाओं में डॉक्टर से परामर्श करना ज्यादा जरूरी हो जाता है।

  • Tags

You can share this post!

विशेषज्ञ से सवाल पूछें

पूछें गए सवाल