मिरगी के लक्षण एवं उपचार - Symptoms and Treatment Of Epilepsy In Hindi
मिरगी या एपिलेप्सी एक ऐसा रोग है, जिसका संबंध मस्तिष्क से होता है। एक मुख्य बात यह है कि अनेक रोगी मिरगी के दौरों के दौरान पूर्णतया स्वस्थ रहते हैं। यह समाज का कर्तव्य है कि मिरगी के रोगी की सही पहचान उपचार एवं पुनर्वास का प्रबंध करें। इस संबंध में की गई देरी रोग को बढ़ावा देती हैं एवं रोगी को अकर्मण्य व परावलंबी बना देती है।
मानव मस्तिष्क के असंख्य कोष प्रतिक्षण आदेशों के रूप में अनगिनत तरंगें छोड़ते हैं। मस्तिष्क का ही एक अन्य महत्वपूर्ण भाग इन आदेशों का नियंत्रण करता है एवं केवल सही आदेशों को ही कार्यरूप प्रदान करने देता है। सामंजस्य के बिगड़ने से ही मिरगी के दौरों की शुरुआत हो सकती है।
कुछ अन्य कारणों में दिमागी चोट, तेज बुखार, मैनिनजाइटिस, दिमाग का कैंसर इत्यादि प्रमुख हैं। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। यह एक विश्वव्यापी रोग है। एक मोटे अनुमान से हमारे यहां मिरगी के लगभग पंद्रह लाख रोगी हैं।
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मिरगी के लक्षण - Symptoms Of Epilepsy In Hindi
। मिर्गी के प्रकार - Types Of Epilepsy In Hindi
- फोकल दौरे - Focal seizures
- सामान्यीकृत दौरे - Generalized Seizures
- अनुपस्थिति दौरे - Absence seizures
- टॉनिक-क्लोनिक या आवेगपूर्ण दौरे - Tonic-clonic or Convulsive seizures
- परमाणु दौरे - Atonic seizures
- क्लोनिक दौरे - Clonic seizures
- टॉनिक दौरे - Tonic seizures
- मायोक्लोनिक दौरे - Myoclonic seizures
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लक्षणों के आधार पर इस रोग को अनेक प्रकारों में बांट सकते हैं। इनमें से दो प्रमुख हैं
1। अनुपस्थिति दौरे - Absence Seizures In Hindi : अनुपस्थिति दौरे प्राय: कुछ सेकंड तक चलता है। इसमें मरीज क्षण भर को मानो विस्मित हो जाता है। अचानक ही चुप हो जाना, टकटकी लगाकर देखते रहना और फिर वह अपना कार्य ऐसे शुरू कर देता है मानो कुछ भी न हुआ हो। इन्हे साधारण या पेटिट माल मिरगी का दौरा भी कहते है।
2। टॉनिक-क्लोनिक या आवेगपूर्ण दौरे - Tonic-Clonic or Convulsive Seizures In Hindi : टॉनिक-क्लोनिक या आवेगपूर्ण दौरे कुछ मिनट से घंटे भर का भी हो सकता है। उसके बाद रोगी को काफी थकान व कमजोरी महसूस करता है। इन्हे ग्रांड माल मिरगी का दौरा भी कहते है।
। मिरगी में सावधानियां– Precautions In Epilepsy In Hindi
- सर्वप्रथम यह जान लेना आवश्यक है कि मिरगी कोई भूत-प्रेत या हवा के कारण नहीं, बल्कि एक विश्वव्यापी रोग है एवं आजकल उपलब्ध असरदार दवाओं से इसके 60-80 प्रतिशत रोगी ठीक हो जाते हैं तथा शेष रोगियों को आराम पहुंचाया जा सकता है।
- काफी समय यह रोग रहने पर व्यक्ति क्रोधी, असहनशील व चिड़चिड़ा हो सकता है। उससे व्यर्थ विवाद या बहस न करें।
- मिरगी के रोगी को अधिक ऊंचाई, गहराई, आग या पानी तथा लड़ाई के माहौल में नहीं जाने देना चाहिए।
- ऐसे रोगी को सार्वजनिक स्थानों पर ड्राइविंग नहीं करने देना चाहिए।
- ऐसी कोई भी मशीन, कारखाने या व्यवसाय जहां तक व्यावी कार्य से बड़ी दुर्घटना हो सकती हो-ऐसे रोग की संभावना की कई जांच-पड़ताल की जानी चाहिए।
- ऐसे रोगी के पास सदैव उसकी सम्पर्ण जानकारी लिए हुए एक कार्ड मौजूद रहे तो उपचार एवं सूचना में आसानी रहेगी।
। मिरगी में प्राथमिक उपचार - First Aid In Epilepsy
- रोगी को जैसे ही दौरा पड़ने लगे उसके जबड़ों के मध्य किसी साफ वस्तु को फंसा देना चाहिए।
- मुंह में साफ उंगली डाल कर जीभ को बाहर की ओर खींच लें और थूक इत्यादि जो जमा हो रहा है, उसे भी बाहर निकाल दें। ऐसा करने से श्वसन मार्ग खुला रहेगा। इस तरह जीभ की भी रक्षा हो सकेगी।
- यदि दांत बुरी तरह से भिंचे हुए हैं तो जबरदस्ती किसी वस्तु से दांतों या मसूड़ों में चोट लगने की संभावना ही रहेगी।
- रोगी को एक करवट के सहारे लिटाएं।
- रोगी के सारे कपड़ों को ढीला कर दें। उसकी बेल्ट, टाई, जूते इत्यादि उतार दें।
- रोगी के ऐंठ रहे हाथ-पांव को चारपाई से बांधा भी जा सकता है। यदि श्वसन में दिक्कत हो रही है तो कृत्रिम श्वसन देना चाहिए।
- यदि दौरा आने पर रोगी के गिरने से कोई चोट लगी है तो उसका उपचार भी करना चाहिए।
- जब तक रोगी पूर्णतया चैतन्य न हो जाए, उसे खाने-पीने को कुछ न दें।
- यदि रोगी बच्चा है तो उसे तुरन्त अस्पताल ले जाना चाहिए, क्योंकि ऐसा दौरा मैनिनजाइटिस में भी आ सकता है। वह भी एक गंभीर रोग है।
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ऐसा व्यक्ति जिसको मिरगी के दौरे पड़ते हों और वह विवाह योग्य है तो इस बात की पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है पति एवं पत्नी दोनों को मिरगी के दौरे न आते हों। बच्चे का जन्म विशेषज्ञ की देखरेख एवं उपचार के दौरान ही होना चाहिए एवं चिकित्सक की बिना अनुमति के इलाज बंद नहीं करना चाहिए।
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