टाइफाइड बुखार के लक्षण और टाइफाइड बुखार में बचाव के उपाय

यह एक ऐसा संक्रामक रोग है, जो हर आयु के व्यक्ति को हर देश में हो सकता है। इस रोग का कारण एक विशेष प्रकार के जीवाणु हैं जो हमारे शरीर में जल, दूध या भोजन के माध्यम से प्रवेश कर जाते हैं। मक्खियाँ इस रोग को फैलाने में बहुत सहायता करती हैं। वे रोगी के मल, मूत्र, थूक आदि के कीटाणुओं को लेकर खाद्य वस्तुओं में पहुंचा देती हैं। इस रोग का सम्प्राप्ति काल 1 से 2 सप्ताह होता है।

टाइफाइड बुखार फैलने के कारण

  • कीटाणु।
  • गन्दा दूध या पानी।
  • गन्दी वायु।
  • बासी और उच्छिठ भोजन।

टाइफाइड बुखार के लक्षण

1। इस रोग में ज्वर हो जाता है, जो पहले सप्ताह में प्रतिदिन बढ़ता रहता है और 1030 व 1040 तक पहुंच जाता है।

2। प्रात: समय ज्वर कुछ कम होता है किन्तु फिर संध्या तक बढ़ता रहता है।

3। दूसरे सप्ताह में तापक्रम लगभग समान रहता है। कमजोरी मालूम होती है और पतले दस्त भी आने लगते हैं।

4। तीसरे सप्ताह में तापमान घटना शुरू हो जाता है तथा 21 वें दिन नॉर्मल हो जाता है।

5। इसको मियादी बुखार इसीलिए कहते हैं क्योंकि यह 21 दिन या 40 दिन का होता है।

6। शरीर तथा पेट में दर्द भी हो जाता है।

टाइफाइड बुखार में घरेलु उपचार

  • रोगी को हवादार तथा साफ कमरे में रखना आवश्यक है।
  • उसके मल-मूत्र, थूक इत्यादि को कृमिनाशक दवाई से विसंक्रमित करते रहना चाहिए।
  • दस्त आयें तो उन्हें बन्द करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। जब तक बहुत बार न हों।
  • यदि दस्त के साथ खून आने लगे तो भोजन नहीं देना चाहिए।
  • केवल तरल चीजें वाली वाटर देना चाहिये।
  • बर्फ का सेंक करना चाहिए।
  • रोगी को हल्का व कम भोजन देना चाहिए। क्योंकि उसकी पाचन शक्ति बहुत दुर्बल हो जाती है
  • तरल पदार्थ देना अच्छा है तथा उबला हुआ जल ठंडा करके पर्याप्त मात्रा में देना चाहिए।

टाइफाइड से बचाव के उपाय

i। दूध तथा जल उबाल कर पीना।

ii। मक्खियों की रोकथाम।

iii। पूर्ण निदान के लिए टीएबी (T। A। B) का टीका लगवाना।

iv। रोगी के मल-मूत्र आदि का विसंक्रमण करना।

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