एक्यूपंक्चर का अर्थ, परिभाषा एवं कार्यप्रणाली - Meaning, Definition And Methodology Of Acupuncture
एलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली के इस युग में भी कई लोग अन्य प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों के बारे में जानने व अपनाने के प्रति जागरूक हो रहे हैं, इनमें से एक है एक्युपंचर चिकित्सा प्रणाली।
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इस चिकित्सा पद्धति में शरीर के कुछ निश्चित बिन्दुओं पर सुइयां चुभोकर विभिन्न रोगों का इलाज किया जाता है। यह प्रणाली एक्युप्रेशर चिकित्सा प्रणाली से कुछ हद तक अलग है। इसमें विभिन्न केन्द्रों को दबाकर सुइयों को चुभोकर रोगों का इलाज किया जाता है। लेकिन दोनों प्रणालियों के मूल सिद्धान्त लगभग समान है।
एक्यूहपंक्चंर में चिकित्सी य सहायता लेनी आवश्यक है जबकि एक्यूnप्रेशर को सामान्यय जानकारी के बाद स्वययं ही किया जा सकता है।
एक्यूप्रेशर सिरदर्द, थकान, दर्द, तनाव का उपचार करने में मदद करता है जबकि एक्यूपंक्चर की सहायता हम बहुत गंभीर रोगों का इलाज करने में लेते है।
- कीमोथेरेपी प्रेरित मतली और उल्टी - Chemotherapy-induced Nausea And Vomiting
- मोच - Sprains
- दांत का दर्द - Dental Pain
- चेहरे का दर्द - Facial Pain
- पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस - Osteoarthritis
- घुटने के दर्द - Knee Pain
- चेहरे का दर्द - Allergic Rhinitis
- स्ट्रोक का जोखिम कम करना - Reducing The Risk Of Stroke
- संधिशोथ - Rheumatoid Arthritis
- पेप्टिक अल्सर सहित कुछ गैस्ट्रिक स्थितियां - Some Gastric Conditions, Including Peptic Ulcer
- सिरदर्द और माइग्रेन - Headache And Migraine
- उच्च और निम्न रक्तचाप - High And Low Blood पेचिश - Pressure
- गर्दन दर्द - Neck Pain
- एलर्जी रिनिथिस - Dysentery
- निचला कमर दर्द - Low Back Pain
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- इस उपचार में बहुत कम दुष्प्रभाव है।
- यह अन्य उपचारों के साथ बहुत प्रभावी और आसानी से संयुक्त हो सकता है।
- सही ढंग से प्रदर्शन किया, यह सुरक्षित है।
- यह उन रोगियों की सहायता कर सकता है जिनके लिए दर्द दवाएं उपयुक्त नहीं हैं।
- कुछ प्रकार के दर्द को नियंत्रित कर सकते है।
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प्राचीन एक्युपंचर चिकित्सा प्रणाली की शुरुआत लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व चीन में हुई थी। चीनी टेओइस्ट धर्म के अनुसार शरीर की सामान्य व्यवस्था दो विपरीत अवस्थाओं पर निर्भर करती है जिन्हें येग व यिन कहते हैं। येग अवस्था उजाले, सूर्य, दक्षिण, पुरुषत्व और सूखेपन से सम्बन्धित है जबकि यिन अवस्था अंधेरे, चन्द्रमा, उत्तर, स्त्रीत्व और गीलेपन से सम्बन्धित होती है। उनकी मान्यता के अनुसार सभी रोग इन दोनों स्थितियों में असंतुलन के कारण होते हैं। अतः प्रणाली येग व यिन अवस्थाओं में संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है।
- इस प्रणाली में किसी रोग का इलाज करने के लिए रोगी के शरीर के निश्चित बिन्दुओं पर पीतल या अन्य धातु की सुइयों को चुभोया जाता है।
- ये सुइयां 2 से 25 से.मी. लम्बाई की होती हैं तथा इन्हें एक से लेकर लगभग आठ सौ बिन्दुओं पर चुभोया जाता है।
- ये बिन्दु मानव शरीर पर एक निश्चित रेखा पर स्थित होते हैं। इन बिन्दुओं पर सुइयों को ज्यादा गहरा नहीं चुभोया जाता है और न ही सुई चुभाने में कोई विशेष दर्द महसूस होता है।
- रोग के समुचित इलाज के लिए कुछ मिनट से लेकर घंटो तक सुइयां चुभाई रख सकते हैं।
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एक्युपंचर चिकित्सा मलेरिया, कब्ज, अल्सर, अर्थराइटिस, गठिया, मानसिक रोगों आदि के लिए अत्यन्त लाभदायक साबित हुई हैं। आजकल इस प्रणाली में रोगी को बेहोश कर जटिल शल्य चिकित्सा भी की जाती है।
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