यदि आंख में कोई बाहरी वस्तु चली जाये तो हमें बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि यह शरीर का बहुत कमजोर अंग है। मिट्टी, कोयले के कण, मच्छर, कांच के नन्हें टुकड़े, रेत के कण आदि प्राय: आंख में चले जाते हैं।
1। रोगी को आंख मलने से रोकना चाहिए।
2। रोगी को नाक साफ करने को कहना चाहिए। इससे कण आंसुओं के साथ बाहर आ जाते हैं।
3। नेत्रों को ठंडे जल में रखकर बार-बार खोलना और बन्द करना चाहिए। इससे कण निकल जाते हैं।
4। स्वच्छ रूमाल के कोने को या मुलायम ब्रश को तेल या ग्लिसरीन में भिगोकर आंख खोलकर कण को निकालने का प्रयत्न करना चाहिए।
5। ठंडे बोरिक लोशन में आंखों को धोने से बेचैनी कम हो जाती है।
6। यदि चूना या संरक्षक क्षार आंखों में पड़ जाये तो बराबर भाग सिरका और पानी मिलाकर नेत्रों को धोना चाहिए।
7। कांच का टुकड़ा पड़ने से आंख में अरंडी या जैतून का तेल डाल सकते हैं।
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