अल्सर (Ulcer) - जानिए क्या होता हैं आंतों का अलसर!

जिस प्रकार मुंह में अथवा जीभ पर छाले हो जाते हैं, उसी तरह आमाशय की भीतरी परत पर अथवा छोटी आंत के ऊपरी हिस्से से जुड़े ड्यूओडिनम पर यदि छाले हो जाते हैं, तो उन्हें अल्सर कहते हैं।

अमरीका के टैक्सास मेडिकर सेंटर के गैस्ट्रोएन्टेरोलोजी विभाग के अध्यक्ष डेविड ग्राहम के निर्देशन में चलाए गए एक अध्ययन से यह प्रमाणित हुआ कि ऐंटीबायटिक दवाओं, बिस्मथ एवं रेनीटिडीन के संयुक्त उपचार से गैस्ट्रिक अल्सर के 95 प्रतिशत रोगी सदा के लिए ठीक हो गए। ड्यूआडिनल अल्सर के रोगियों में सतना का प्रतिशत 74 रहा। अब अल्सर के रोगियों को पीडा भरी ज़िंदगी से मुक्ति दिलाने का हथियार, चिकित्सक को मिल गया है।

अल्सर के प्रकार: Types of Ulcer In Hindi

अल्सर कई प्रकार के होते हैं हालांकि हमने इसमें कुछ प्रमुख अल्सर के प्रकार का जिक्र किया है। जिनमे सबसे प्रमुख है-

1। गैस्ट्रिक अल्सर

अल्सर, छालों के आकर से भी बड़े होते हैं एवं गहरे भी ज्यादा होते हैं। नासूर की तरह यदि छाले आमाशय में हों, तो उन्हें गैस्ट्रिक अल्सर कहते हैं।

2। ड्यूओडिनम अल्सर

वह अल्सर जो छोटे आंतों के ऊपरी भाग में विकसित होते हैं, उन्हे डुओडेनम अल्सर कहते  है।

अल्सर के शुरुआती संकेत: Early Symptoms of Ulcer In Hindi

पुरुषों में स्त्रियों की अपेक्षा अल्सर का रोग लगभग 25 प्रतिशत अधिक होता है। जिन लोगों के खून का ग्रुप ओ (O) होता है, उनमें छाले का रोग अपेक्षाकृत ज्यादा होता है। ऐसा माना जाता है कि आनुवंशिकता का इस रोग के साथ गहरा सम्बन्ध है। मां-बाप में से किसी को भी छाले है तो सन्तानों में छाले होने की सम्भावना सामान्य से दुगुनी रहती है। मानसिक तनाव एवं चिंता इस रोग के जनक माने जाते हैं। जो लोग छोटे-मोटे कारणों से तनाव एवं चिन्ताग्रस्त रहते हैं, उनको यह रोग हो ही जाता है।​

सबसे आम कारण आपके सीने और पेट के बटन के बीच में पेट के बीच जलन या दर्द है। आमतौर पर, दर्द अधिक तीव्र होगा जब आपका पेट खाली होगा, और यह कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक रह सकता है। उन्हे अल्सरके शुरुआती संकेत इस प्रकार मिलने लगते है-

  • रोग के प्रारम्भ में रोगी अक्सर कोई दर्द महसूस नहीं करता बल्कि खाना खाने के बाद पेट में भारीपन महसूस करता है। जैसे कि पेट में हवा भर गई हो। फिर धीरे-धीरे जलन भरा दर्द महसूस होने लगता है।
  • गैस्ट्रिक अल्सर का दर्द खाना खाने के साथ ही एकदम बढ़ जाता है।
  • ड्यूओडिनम अल्सर का दर्द खाना खाने के घंटा-दो घंटा बाद शुरू हो जाता है।
  • यदि छाले, आमाशय की पिछली सतह पर हो तो उससे कमर में हल्का दर्द हो सकता है।
  • पेट में सुस्त दर्द
  • वजन घटना
  • दर्द के कारण खाना खाने की भूख न होना
  • उलटी अथवा मितली
  • सूजन
  • आसानी से भरा हुआ पेट महसूस करना

यदि आपके पेट में अल्सर के कोई लक्षण हैं,या शुरुआती संकेत दिखाई दे तो अपने डॉक्टर से बात करें। भले ही बेचैनी हल्की हो, अगर इलाज न किया जाए तो अल्सर और बिगड़ सकते हैं। रक्तस्राव अल्सर जीवन के लिए खतरा बन सकता है।

अल्सर के कारण: Causes of Ulcer In Hindi

अल्सर के कारण का सटीक पता करना अभी तक मुमकिन नही हो पाया है, फिर कुछ अल्सर होने के कारणो के बारे मे बताया गया है-

  • बच्चों में बार-बार उल्टी होना, छाले का एक मुख्य कारण है।
  • ग्रहण किए हुए भोजन को पचाने की क्रिया मुंह में ही प्रारम्भ हो जाती है। भोजन को चबाते समय लार ग्रन्थियों का रस भोजन से मिलते ही एक लम्बी रासायनिक क्रियाओं की श्रंखना का सूत्रपात हो जाता है। भोजन आमाशय में पहुंचने के साथ ही आमाशय में स्थित ग्रंथियों से ऐसिड (अम्ल) पेप्सिन नामक रसायन उसमें मिल जाते हैं। आमाशय की भीतरी परत इस प्रकार की बनी होती है कि साधारणतः उस पर अम्ल का कोई प्रभाव नहीं होता। इस भीतरी परत पर अम्ल का कुप्रभाव नहीं होने का एक कारण यह भी है कि भोजन अथवा पेय पदार्थों के साथ घुल-मिल जाने से अम्ल की तीव्रता में कमी आ जाती है और उसकी जलाने की शक्ति कमजोर पड़ जाती है। प्रकृति ने ऐसी व्यवस्था कि आमाशय की ग्रंथियों में से अम्ल का स्राव तभी होता है जब भोजन आमाशय में पहुंच जाए। लेकिन चिन्ता, भय अथवा तनाव की स्थितयों में अम्ल ऐसी अवस्था में भी स्रावित हो जाता है जबकि आमाशय खाली हो। आमाशय खाली होने के कारण अम्ल का तनुकरण नहीं हो पाता एवं तेज अम्ल द्वारा आमाशय अथवा ड्यूओडिनम की आंतरिक सतह को नुकसान पहुंचाने की आशंका बन जाती है।
  • यदि किन्हीं कारणों से आमाशय की भीतरी सतह में सूजन आई हुई हो (इस स्थिति की गैस्ट्राइटिस कहते हैं) तो अम्ल से सूजी हुई परत में घाव होकर अल्सर बन जाएगा।

अल्सर के उपचार: Treatment of Ulcer In Hindi

चिकित्सा विज्ञान की आश्चर्यजनक प्रगति के बावजूद अल्सर रोगों का दुर्भाग्य यह है कि कोई भी इलाज पुख्ता साबित नहीं होता एवं भला-चंगा होने के बाद कुछ महीनों या साल दो साल के बाद रोग फिर से उभर आता है।

एलोपैथी से निराश होकर रोगी आयुर्वेद, यूनानी अथवा होम्योपैथी चिकित्सा की शरण में जाता है।​ अल्सर के उपचार निम्न दिये गए है जो काफी हद्द तक सफल हुये है-

  • दर्द निवारक दवाएं : इनसे रोग का इलाज नहीं होता। इनका प्रयोजन दर्द से राहत प्रदान करना होता है।
  • सूजन कम करने वाली दवाएं : जब तक सूजन रहेगी, तब तक अल्सर के ठीक होने की प्रक्रिया प्रारम्भ नहीं हो सकती। इसलिए सूजन दूर करने की दवाओं का दिया जाना आवश्यक है।
  • ऎटेसिड (प्रत्यक्ल) दवाएं : ये दवाएं रासायनिक क्रिया द्वारा एसिड की अम्लीय प्रकृति में परिवर्तन करके क्षारीयता को बढ़ा देती है। जिससे अल्सर को ठीक होने का अवसर मिल सके।
  • रेनीटिडीन वर्ग की दवाएं : जो आमाशय की ग्रंथियों से अम्ल स्राव को ही घटा देती हैं और इस प्रकार अल्सर को ठीक करने में सहायक होती हैं।
  • गैस्ट्राइटिस अल्सर कीटाणुओं के संक्रमण से होती है। अतः सड़ा-गला अथवा अशुद्ध भोजन से परहेज करना चाहिए।
  • शराब, धूम्रपान, तेज व तीखे मसाले, जर्दा, चाय एवं काफी, आमाशय एवं ड्यूओडिनम" आंतरिक सतह के लिए प्रदाहक होती है जिससे सूजन होकर गैस्ट्राइटिस होने एवं अन्ततः अल्सर होने की आशंका बढ़ जाती है।
  • एस्परीन कभी खाली पेट नहीं ली जानी चाहिए क्योंकि यह भी नुकसानदायक है।
  • एंट एसिड गोलियां या मिक्सर ले लेने पर या दूध पी लेने पर अल्सर से दर्द में अक्सर राहत मिल जाती है। उल्टी हो जाने पर भी दर्द में आराम मिल जाता है।
  • व्यक्ति को संतुलित भोजन लेना चाहिए

अल्सर का तुरंत इलाज करना महत्वपूर्ण है। उपचार योजना पर चर्चा करने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें। यदि अंदर से नियमित रूप से खून बह रहा है तो वह अल्सर है, तो आपको एंडोस्कोपी और आईवी अल्सर दवाओं के साथ गहन उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होना चाहिए। आपको खून चढाने की भी आवश्यकता हो सकती है।

अल्सर के रोगियों के बायोप्सी से लिए गए ऊतकों में एक विशेष प्रकार का कीटाणु सदैव ही विद्यमान रहता है। उसने अपने अध्ययन को और विस्तार दिया जिससे यह निष्कर्ष निकला कि अल्सर के रोगियों की बायोप्सी स्लाइडों में तो सदैव ही कीटाणु विद्यमान रहते हैं जबकि जिन रोगियों को अल्सर अथवा गैस्ट्राइटिस नहीं होती, उनमें ये कीटाणु नहीं होते। 

 

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