अगर को संस्कृत में 'अगरू', 'किमिज’, ‘विश्वधूपक' और 'कृष्णगरू' भी कहते हैं। आसाम में पाए जाने वाले इसके वृक्ष काफी बड़े होते हैं। इसके नाम पर ‘अगरबत्ती' भी बनाई जाती है, क्योंकि इसकी छाल को जलाने पर इसमें से भीनी भीनी सुगंध उठती है, जो वातावरण को शुद्ध कर देती है। इसकी छाल का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों में किया जात है। इसकी छाल का प्रयोग नेत्र रोग, कान के रोग, कफताश, वायु विकार, सर्दी लगने आदि रोगों में किया जाता है। इसकी छाल नरम होती है। इसका तेल भी मिल जाता है।
इसकी छाल का स्वाद चरपरा, गर्म और तीक्ष्ण होता है। यह त्वचा के लिए हितकर, रुचिकर, कान्तिवर्द्धक, पित्त कारक और पित्त शामक और कुष्ठ आदि रोग को शांत करने वाली होती है।
अगरू या अगर औषधी बहुत से रोगो मे फायदेमंद होती है जैसे-
अगर या अगरू की छाल का चूर्ण बनाकर उसे कपडे से छान कर लें और सुबह-शाम एक चम्मच चूर्ण शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। दर्द की जगह पर इसकी जड़ को पानी में घिसकर या इसका तेल लगाएँ।
अगर की छाल का चूर्ण 20 ग्राम साफ जल अथवा ब्राण्डी के साथ सेवन करें इससे कफ में आराम मिलता है।
अगर के तेल की मालिश माथे और बालों में करने से सिर दर्द ठीक होता और बाल भी झड़ने बंद हो जाते हैं।
अगर के तेल की 15-20 बूंदें स्वच्छ और शीतल जल में मिलाकर कपड़े की पट्टी को पानी से गीला कर लें और उसे ज्वर पीड़ित व्यक्ति के माथे पर अदल-बदल कर रखते रहें। जल्द आराम मिल जाता है।
अगर के 5 ग्राम चूर्ण में 2 चम्मच शहद मिला दें और उसे सुबह-शाम चाटें। इससे पाचन-शक्ति बढ़ती है और हृदय को ताकत मिलती है।
अगर के चूर्ण को पानी में मिलाकर इसका लेप बना लें और रोग स्थल पर इसका लेप कर दें। लगातार लेप करने से चर्म रोग और कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है और त्वचा स्वस्थ हो जाती है। यदि शरीर में किन्हीं अंगों पर फंसी-फोड़े आदि हो जाएँ तो अगर के चूर्ण में नीम की छाल का चूर्ण और चमेली के पत्तों का चूर्ण 2:1 की रेशों से मिलाकर उसमें बड़ी इलायची का आधा भाग चूर्ण करके मिला दें और उसे जल डालकर सिल या खरल में पीस लें। फिर उसमें चौगुना तिल का तेल मिला लें और उस तेल का लेप फोड़े-फुसियों पर करें। शीघ्र लाभ होगा।
अगर की लकड़ी को घिसकर गर्म करके लेप करने से पेट दर्द शांत हो जाता है और ठंडा लेप करने से शरीर की जलन शांत हो जाती है।
अगर के चूर्ण की 5 ग्राम फंकी पानी से सुबह-शाम लेने से ज्वर की पीड़ा शांत हो जाती है।
किसी भी तरह की खाँसी और साँस की तकलीफ में अगर की छाल का 5 ग्राम चूर्ण शहद के साथ लेने से खाँसी और साँस की तकलीफ दूर हो जाती है।
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