एनीमिया क्या है | एनीमिया के कारण, लक्षण,और बचाव के उपाय

खून का लाल रंग हीमोग्लोबिन के कारण होता है और ये पिगमेंट खून के लाल सैलों में मौजूद होता है। खून में इसकी कमी होने से एनीमिया नाम का रोग हो जाता है यानी एनीमिया रोग में खून में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। साधारण भाषा में यह भी कह देते हैं कि एनीमिया रोग में शरीर में खून की कमी हो गई है। आजकल यह रोग आम है और खाने-पीने की लापरवाही से दिन-प्रतिदिन इसके रोगियों की गिनती बढ़ती जा रही है।

एनीमिया क्या है | Anemia Kya Hai

एनीमिया यानी खून की कमी दुनिया में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला रोग है। एनीमिया होने के कई कारण हो सकते हैं। परन्तु प्रमुख कारण शरीर में खनिज पदार्थ लोहे की कमी होती है। औसतन एक पुरुष के शरीर में लगभग 4.5 से 5.0 ग्राम लोहा होता है जबकि एक महिला के शरीर में 3.5 से 4.0 ग्राम लोहा मौजूद होता है। साधारण तौर पर 100 मिलीलीटर खून में 12 से 14 ग्राम हीमोग्लोबिन होता है। यदि 100 मिली लीटर खून में 10 ग्राम या उससे कम हीमोग्लोबिन रह जाए तो इसको खून की कमी या एनीमिया कहते हैं। हीमोग्लोबिन के एक ग्राम में लगभग 3.4 मिली ग्राम लोहा होता है।

एनीमिया के कारण | Causes of Anemia

खून के निर्माण के लिए कई तरह के पौष्टिक तत्वों की जरूरत होती है जैसे कि खनिज पदार्थ लोहा, फोलिक एसिड, विटामिन बी-12, विटामिन सी तथा प्रोटीन। यदि हमारी खुराक में इन तत्वों की कमी हो तो खून का निर्माण ठीक ढंग से नहीं होगा और इस तरह खून की कमी हो जाएगी? खनिज पदार्थ लोहे का प्रमुख योगदान है। विशेष तौर पर खुराक में लोहे की कमी से हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है।

  • महिलाओं को हर महीने माहवारी आती है और माहवारी के दौरान खून बहने से खून की कमी हो जाती है। नौजवान लड़कियां तो आजकल जैसे खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही हैं। माहवारी आने से खून की कमी हो जाना स्वाभाविक है परन्तु उन्हें पतला होने का भूत सवार रहता है। बिना जरूरत और गलत ढंग से डाइटिंग करने से उनके शरीर में कई तरह के पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है। उनके द्वारा किया फास्ट फूड्स का सेवन जैसे आग में घी डालने का काम करते हैं। फास्ट फूड्स के सेवन से उनको कोई खास पौष्टिक तत्व प्राप्त नहीं होते। इस तरह अज्ञानतावश संतुलित भोजन का सेवन न करने से शरीर में खून की कमी हो जाती है।
  • गर्भवती महिलाओं को अपने शरीर की जरूरतें पूरी करने के अलावा पेट में पल रहे बच्चे के पौष्टिक तत्वों का भी ध्यान रखना पड़ता है। पेट में पल रहे बच्चे को आवश्यक खुराक खून द्वारा ही प्राप्त होती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को लोहे की ज्यादा मात्रा की जरूरत होती है। परन्तु जब वह जरूरत अनुसार ज्यादा मात्रा में लोहे और बाकी पौष्टिक तत्वों का सेवन नहीं करती तो शरीर में खून की कमी यानी एनीमिया हो जाता है।
  • यदि पेट यानी आंतों में हुकवार्म जैसे कीड़े हों तो भी खून की मात्रा कम हो जाती है। यह कीड़े आंतों की दीवारों से खून सोखने लगते हैं। जिसके द्वारा वहां छोटे-छोटे जख्म हो जाते हैं। इन जख्मों में अक्सर खून बहता रहता है। इस तरह खून की कमी हो जाती है।
  • बवासीर के रोग में भी खून बहने से शरीर में खून की मात्रा कम हो जाती है।
  • जिगर में पाए जाने वाले पाचन रस (Digestive juices) लोहे को हज़म करने में मदद करते हैं। यदि किसी कारण वश जूस कम मात्रा में उत्पन्न हो तो लोहे की सोखने की (absorve) क्रिया कम हो जाती है। यदि शरीर में खनिज पदार्थ की कमी हो जाए तो पाचन रस भी कम मात्रा में उत्पन्न होते हैं। इस तरह के न टूटने वाले सिलसिले के कारण खून की कमी हो जाती है।
  • चॉक या मिट्टी खाने वाले बच्चे में लोहे को सोखने की क्रिया ठीक ढंग से नहीं होती क्योंकि चॉक के सेवन से लोहा अघुलनशील अवस्था में बदल जाता है और फिर शरीर को इस तरह का कोई लाभ नहीं होता और यह मल द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है।
  • पेचिश यानी लूजमोशन होने से भी शरीर में लोहे की सोखने की क्षमता कम हो जाती है, क्योंकि भोजन ज्यादा देर के लिए आंतों में नहीं ठहरता।
  • आंतों के रोगों और यदि ऑपरेशन द्वारा, खासकर कुछ हिस्सा निकाला हो तो भी लोहे के सोखने की मात्रा कम हो जाती है।
  • दूध में खनिज पदार्थ लोहे और विटामिन-सी की कमी होती है। इसलिए जो बच्चे ज्यादातर दूध पर ही निर्भर रहते हैं। उनमें खून की कमी होना स्वाभाविक है।
  • खुराकी पदार्थों में कुछ ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर में लोहे के सोखने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। फॉस्फेट, फाइटेट और आग्जालेट जैसे तत्व लोहे को बन्धक रूप में बदल देते हैं। इस तरह से शरीर के लिए लोहे की उपलब्धता कम हो जाती है। इसके उल्टे कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन सी की मौजूदगी लोहे की सोखन मात्रा को बढ़ाती है।
  • अनाज में फास्फेट्स व फाईटेट होते हैं। हरे पत्ते वाली सब्जियों में आगज़ालेटस होते हैं। इसलिए शाकाहारी भोजन यानी अनाज, दालें और हरे पत्ते वाली सब्जियों के सेवन से शरीर में लोहा कम मात्रा में प्राप्त होता है।
  • इन्फैक्शन द्वारा भी खून की मात्रा कम होने लगती है। महिलाओं में गुप्त अंगों की सफाई न रखने के और माहवारी के दिनों में साफसुथरे कपड़े की बजाय मैले कपड़ों के सेवन से इन्फेक्शन हो जाता है जिसका आर.बी.सी. यानी लाल रंगों पर बुरा असर पड़ता है।
  • मलेरिया होने पर भी खून के लाल रंग के सैल नष्ट होने लगते हैं। यदि सही तरह इलाज न कराया जाए तो खून में लाल रंग के सैल यानी हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती जाती है।
  • कैंसर जैसे गंभीर रोगों के अलावा एक्सीडेंट होने से खून बह जाने के कारण भी शरीर में खून की कमी हो जाती है।

एनीमिया के प्रकार | Types of Anemia

साधारण तौर पर एनीमिया लोहे की कमी के द्वारा ही होता है। परंतु फोलिक एसिड की कमी के द्वारा भी और विटामिन बी-12 की कमी के द्वारा भी एनीमिया हो जाता है। परन्तु इन अलग-अलग तरह के एनीमिया होने का खून टेस्ट द्वारा ही पता लगाया जा सकता है।

  • लोहे की कमी से होने वाला एनीमिया।
  • फोलिक एसिड की कमी वाला एनीमिया।
  • विटामिन बी-12 की कमी द्वारा होने वाला एनीमिया।
  • लोहे की प्रतिदिन की जरूरत और प्राप्ति के स्रोत
  • लोहे की प्रतिदिन की जरूरत आदमी, महिलाएं, लड़के, लड़कियां और छोटे बच्चे के लिए अलग-अलग होती हैं।

एनीमिया के लक्षण | Symptoms of Anemia

वैसे तो खून की कमी का टैस्ट करवाकर ही पता लगाना चाहिए। यदि खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा 10 ग्राम से कम हो तो व्यक्ति को अनीमिक कहा जा सकता है। नीचे लिखे कुछ लक्षण भी इस तरफ इशारा करते हैं कि व्यक्ति एनीमिया रोग से पीड़ित है।

  • भूख कम लगती है।
  • ज्यादा शारीरिक काम करने से सांस चढ़ जाती है।
  • त्वचा पर परत आ जाती है।
  • अक्सर सिरदर्द होता रहता है।
  • व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है क्योंकि शरीर से वह कमजोर हो जाता है।
  • जीभ का रंग बदल जाता है और फीका हो जाता है। जीभ चिकनी और चमकीली दिखाई देने लगती है। साधारण तौर पर किसी स्वस्थ व्यक्ति में आंख की झिल्ली गुलाबी रंग की होती है, परंतु एनीमिया के रोगियों में यह गुलाबी रंग बदलकर काफी हल्का और पीला दिखाई देने लगता है।
  • उंगलियों के नाखून चम्मच जैसे अंदर धंस जाते हैं और जो बड़ी आसानी से टूट भी जाते हैं।

एनीमिया से बचाव का उपाय | Anemia Se Bachav ka Upay

खनिज पदार्थ लोहा कोई महंगी वस्तु नहीं है। परंतु इसकी कमी से कई दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।

  • अलग-अलग खाद्य पदार्थों से भी लोहा प्राप्त किया जा सकता है। जिगर, मांस, अंडे की जर्दी, मछली आदि से लोहा मिल जाता है। वनस्पति स्रोतों की अपेक्षा मांसाहारी स्रोतों से ज्यादा लोहा प्राप्त होता है।
  • अनाज, दालें, खजूर, हरे पत्ते वाली सब्जियां, गुड़ आदि से प्राप्त लोहे का जहां आंतों में सिर्फ 10 प्रतिशत तक ही खून में पहुंचता है वहां मांसाहारी स्रोतों से प्राप्त लोहा 20 प्रतिशत तक खून में पहुंच जाता है।
  • लोहे को प्राप्त करने में विटामिन-सी का अति महत्वपूर्ण काम है। इसलिए लोहा प्राप्त करने के लिए खुराकी पदार्थों का सेवन करते समय विटामिन सी वाले स्रोतों का जरूर इस्तेमाल करना चाहिए। इस तरह शरीर को ज्यादा मात्रा में लोहा प्राप्त होता है।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए खनिज पदार्थ लोहा बहुत जरूरी है। क्योंकि खून के द्वारा ही पेट में पल रहे बच्चे को जरूरी पोषण मिलता है। गर्भावस्था के समय एनीमिया होना मां और बच्चे के लिए बुरा साबित हो सकता है। खून की कमी से बच्चा कम वजन वाला पैदा होगा। बच्चा समय से पहले जन्म ले सकता है या फिर मरा हुआ पैदा हो सकता है या पैदा होने के बाद जल्दी ही उसकी मृत्यु हो सकती है।
  • बहुत ज्यादा जरूरत पड़ने पर टॉनिक या लोहे वाली गोलियों का सेवन किया जा सकता है। परंतु इनका सेवन लंबे समय तक नहीं करना चाहिए। जिन टॉनिकों में लोहे के साथ-साथ कैल्शियम और विटामिन-सी हो, उन टॉनिकों को पहल देनी चाहिए। समझदारी तो इसमें होगी कि आप संतुलित भोजन के सेवन से ही शरीर के लिए जरूरी पौष्टिक तत्व प्राप्त करें।
  • गर्भवती महिलाओं को लोहे और फोलिक एसिड की गोलियों का सेवन जरूर करना चाहिए।
  • मलेरिया, हैजा, लूजमोशन जैसे रोगों से बचाव करना चाहिए। इसी तरह उचित इलाज से पेट में कीड़ों का सफाया करना चाहिए।
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