अरंडी के तेल के फायदे | कैस्टर ऑयल का उपयोग | Castor Oil Ke Fayde

अरंडी के पौधे को संस्कृत में 'गन्धर्वहस्त', 'उत्तानपत्रक', 'वर्द्धमान', 'चित्र', 'अदण्डक' आदि नामों से पुकारा जाता है। अरंडी का वृक्ष भारत में सभी जगह पाया जाता है। यह पाँच से दस हाथ तक ऊँचा होता है। इसके तने और पत्तों की डण्डी पर भूरे रंग का पदार्थ लिपटा रहता है। स्पर्श करते ही वह हाथों पर लग जाता है। इसके पत्ते चौड़े होते हैं जो पाँच फाँकों में विभक्त होते हैं। पत्तों की डण्डी एक हाथ लंबी होती है और नलिका की तरह पोली होती है।

इसके फल लाल और बैंगनी रंग के होते हैं और फूल एक लिंगी होते हैं। फलों पर काँटे से होते हैं। प्रत्येक फल में तीन बीज होते हैं। इसके वृक्ष सफेद और लाल रंग के होते है।

अरंडी के रोगोपचार में फायदे

अरंडी इसकी तासीर गर्म होती है। यह वायु विकार को नष्ट करता है। अरंडी के बीजों से तेल निकाला जाता है, जो कोष्ठ शुद्धि के लिए उपयोगी औषधि है। जिन वृक्षों के बीज बड़े होते हैं, उनका तेल जलाने के काम आता है और जिनके बीज छोटे होते हैं, उनका तेल औषधि में प्रयोग किया जाता है। कफ, वात, कब्ज, दर्द नाशक पित्त वर्धक, मूत्र शोधक, शुक्र और गर्भाशय शोधक, कुष्ठ और ज्वर आदि में अरंडी अत्यंत लाभदायक है। श्वाँस, खाँसी, गठिया और सूजन आदि में भी इसका तेल परम उपयोगी है। अरंडी के फल अत्यंत गर्म, चरपरे और उदर रोगों में अत्यंत कारगर है।

1. जोड़ों का दर्द, वायु विकार व सूजन आदि में अरंडी के फायदे

वायु के कारण हाथ-पैर के जोड़ों में बाय का दर्द होने लगता है। पुराना हो जाने पर उसे गठिया बाय का नाम दे दिया जाता है। अरंडी के पत्तों को गर्म करके उस पर तेल चुपड़ दें और जोड़ों के दर्द, वायु शूल और सूजन वाले स्थान पर बाँध देना चाहिए। इससे तत्काल शांति मिलती है।

2. तिल और मस्से में अरंडी के फायदे

त्वचा पर कभी-कभी अनचाहे तिल और मस्से हो जाते हैं। उन्हें दूर करने के लिए अरंडी के पत्ते पर थोड़ा-सा गीला चूना लगाकर तिल और मस्सों पर मलना चाहिए। बार-बार घिसने से तिल और मस्से निकल जाते हैं।

3. पेट के रोग में अरंडी के फायदे

कब्ज, वायु विकार, अपच, पेट के कीड़े, पेट की चर्बी, दस्त, पेट-दर्द, आँतों की सूजन, अफारा आदि रोगों में अरंडी का तेल और बीज अत्यंत उपयोगी है। अरंडी के बीजों की मींगी को पीसकर गाय के दूध में पकाकर खोया बना लें और उसमें खाण्ड या बूरा मिलाकर चाश्नी-सी बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम खाना खाने के बाद एक चम्मच लेने से पेट-दर्द' और 'वायु विकार दूर हो जाती है।

रात को सोते समय एक पाव गर्म दूध में यदि एक दो चम्मच अरंडी का तेल डालकर पीने से सुबह को 'दस्त' साफ होता है, 'कब्ज' मिटता है और अपच' की शिकायत भी दूर हो जाती है। इसे गर्मजल में नींबू के रस के साथ भी लिया जा सकता है।

अरंडी की जड़ 50 ग्राम लेकर उसे अच्छी प्रकार से धो लें और कूटकर 250 ग्राम पानी में उसे पकाएँ। जब पानी 50 ग्राम रह जाए तब उसे रोगी को पिलाएँ। प्रतिदिन एक माह तक पिलाने से पेट की चर्बी' (थुलथुलापन) उतर जाएगी और पेट साफ रहेगा।

4. नेत्र रोग में अरंडी के फायदे

अरंडी के तेल की 1-2 बूंदें आँखों में डालने से आँखों का कचरा साफ हो जाता है, रोहों में आराम मिलता है और आँखों की लाली नष्ट हो जाती है। जौ के आटे के साथ अरंडी के पत्तों की पुल्टिस सूज आई आँखों पर बाँधने से आँखों की 'सूजन' उतर जाती है।

5. मासिक धर्म में अरंडी के फायदे

अरंडी के पत्तों को गर्म करके और उस पर तेल चुपड़कर पेट पर बाँधने से मासिक धर्म नियमित हो जाता है।

6. अधपका फोड़ा, फुसी, सूजन आदि में अरंडी के फायदे

अरंडी के बीजों को पानी के साथ पीसकर उसका लेप अधपके फोड़ों-फुसी पर करने से फोड़ा पककर और फूटकर पीब बाहर निकाल देता है और सूजन भी कम हो जाती है।

7. स्तनों की गाँठ में अरंडी के फायदे

यदि स्तनों में गाँठे पड़ जाएँ और दूध आना बंद हो जाए तब अरंडी के आधा किलो पत्तों को दो लीटर जल में उबालें। जब पानी आधा रह जाए, तब उस गर्म पानी को सुहाने लायक करके स्तनों की गाँठों पर डालें या कपड़ा भिगोकर उससे सेंक करें। बाद में अरंडी के तेल की मालिश करके उबले पत्तों को गाँठों पर बाँध दें। एक-दो दिन में ही गाँठे घुल जाएँगी और दूध फिर से आने लगेगा। इससे स्तनों की त्वचा जो खुशी के कारण फटी-फटी-सी हो जाती है, वह भी अरंडी का तेल लगाने से ठीक हो जाती है।

8. लिंग की कमजोरी में अरंडी के फायदे

अरंडी के 20 ग्राम बीज और मीठा तेल 20 ग्राम दोनों को अच्छी तरह पकाकर नित्य लिंग पर मालिश करें। लिंग की कमजोर नसों में फिर से ताकत पैदा हो जाएगी। कम-से-कम 1 माह तक यह प्रयोग करें।

9. रक्त-शोधन में अरंडी के फायदे

अरंडी के बीज की मींगी 1-2 नग लेकर, एक पाव दूध और 300 ग्राम जल के साथ औटाएँ। जब दूध 10 ग्राम रह जाए तब उसमें मिश्री मिलाकर पी लें। यह प्रक्रिया एक सप्ताह तक जारी रखें। इससे रक्त विकार समाप्त हो जाते हैं और रक्त शुद्ध हो जाता है।

10. सॉप-बिच्छ के काटने पर अरंडी के फायदे

अरंडी के पत्तों को कूटकर उसका रस निकालें और 100 ग्राम रोगी को तत्काल पिला दें। इससे रोगी को उल्टी हो जाएगी। और जहर उतर जाएगा।

11. अफीक का नशा उतारने में अरंडी के फायदे

इसके फलों को पीसकर 20 ग्राम रस निकाल लें और अफीम का नशा करने वाले नसेड़ी को पिला दें। इससे अफीम का नशा उतर जाता है।

12. योनि की जलन में अरंडी के फायदे

कभी-कभी स्त्रियों को योनि में जलन होने लगती है। पेशाब करते समय बहुत दाह होती है और ऐसे में अरंडी के तेल में रूई का एक फाहा भिगोकर योनि में रख लें। योनि की जलन शांत हो जाएगी।

13. चर्म रोग में में अरंडी के फायदे

अरंडी की जड़ 25 ग्राम लेकर आधा लीटर पानी में उबालें। जब उसका काढ़ा बन जाए अर्थात् पानी 100 ग्राम रह जाए, तब उसे रोगी को पिला दें। चर्म रोगों में लाभ मिलता है। कम-से-कम एक सप्ताह या 15 दिन यह काढ़ा अवश्य पीना चाहिए।

  • Tags

You can share this post!

विशेषज्ञ से सवाल पूछें

पूछें गए सवाल