अर्जुन की छाल के फायदे और एवं आयुर्वेदिक गुण - Benefits Of Arjuna Myrobalan

अर्जुन के पौधे को संस्कृत में ‘इन्द्रद्रुम', 'कुकुम', 'धवल', ‘संबर' और ‘वीरवृक्ष' आदि कहते हैं। यह वृक्ष प्राय: सभी स्थानों पर पाया जाता है। यह 60 से 80 फीट की ऊँचाई लिए होता है। इसकी छाल गुलाबी आभा लिए चिकनी और मोटी होती है। इसकी टहनियों की लम्बाई बहुत कम होती है।

इसके पत्ते अमरूद के पत्तों की भाँति होते हैं और इस पर लगने वाले फल कमरख की तरह होते हैं। इसकी छाल वर्ष में एक बार स्वतः ही गिर जाती है। यह वृक्ष जंगलों में अधिकतर पाया जाता है। गर्मियों के मौसम में इस वृक्ष पर फूल खिलते हैं और सर्दियों में इस पर फल आता है।

अर्जुन के छाल के रोगोपचार में फायदे

अर्जुन के वृक्ष की तासीर शीतल होती है। इसका स्वाद कसैला होता है। कफ, पित्त और हृदय की मांसपेशियों के लिए इस वृक्ष से शक्ति मिलती है। रक्त विकार, प्रमेह, जखम, कुष्ठ रोग, पीलिया आदि रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है।

1. हृदय रोग मे अर्जुन के छाल के फायदे

हृदय की सामान्य धड़कन 70-72 के करीब होती है। लेकिन जब यह धड़कन 150 से ऊपर जाने लगती है, तब 1 गिलास टमाटर के रस में 1 चम्मच अर्जुन की छाल का बारीक पिसा चूर्ण मिलाकर रोगी को पिलाएँ। इसका नियमित सेवन करने से हृदय की धड़कन व्यवस्थित और सामान्य हो जाती है।

हृदय में समस्त रोगों में लाभ के लिए अर्जुन की छाल का एक चम्मच चूर्ण मलाई निकले दूध के साथ नित्य सेवन कराएँ। इससे हृदय की मांस-पेशियाँ मजबूत हो जाती हैं और हृदय क्रियाएँ सुचारू रूप से कार्य करने लगती हैं।

20 ग्राम गेहूँ के आटे को 30 ग्राम गाय के घी में भून लें। जब वह गुलाबी हो जाए, तब उसमें अर्जुन की छाल का 5 ग्राम चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री डाल दें तथा एक पाव खौलता हुआ जल उसमें डालकर पकाएँ। इस प्रकार जब हलुआ तैयार हो जाए तो उसे नित्य प्रात:काल सेवन करें। इससे हृदय की घबराहट, पीड़ा और धड़कन का अनियमित हो जाना, आदि रोग नष्ट हो जाते हैं।

अर्जुन की छाल का 10 ग्राम चूर्ण दूध और मिश्री या चीनी या गुड़ के साथ ओंटाकर पीने से हृदय की शिथिलता दूर हो जाती है।

यदि किसी को 'हृदयघात' (हार्ट अटैक) हो चुका हो तो अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाएँ और आधा गिलास काढ़ा सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करें। इससे हृदय की ताकत बढ़ती है। यह एक अद्भुत टॉनिक है।

यदि किसी को 'एनजाइना पेन' हो, ‘घबराहट' रहती हो, हृदय की धड़कनें तेज होती हों तो अर्जुन की छाल का काढ़ा पानी की जगह दूध में बनाना चाहिए। यह हृदय के लिए कारगर औषधि है।

2. उच्च रक्तचाप मे अर्जुन के छाल के फायदे

उच्च रक्तचाप में तथा हृदय के अन्य रोगों में अर्जुन की छाल का कपड़े से छान कर चूर्ण, जीभ पर रखकर चूसने से इंजेक्शन की तरह असर करता है। उच्च रक्तचाप सामान्य होने लगता है और हृदय की धड़कनें व्यवस्थित हो जाती है। यह दवा किसी प्रकार की भी हानि नहीं पहुँचाती । इसका प्रभाव एक दम से होता है।

3. बुखार मे अर्जुन के छाल के फायदे

अर्जुन की छाल का 1 चम्मच चूर्ण मिश्री या गुड़ के साथ लेने पर ज्वर शीघ्र उतर जाता है।

4. कुष्ठ रोग मे अर्जुन के छाल के फायदे

रक्त विकार या कुष्ठ रोग होने पर अर्जुन की छाल का चूर्ण एक चम्मच स्वच्छ जल से नित्य सेवन करें और इसकी छाल को जल में घिसकर त्वचा पर लेप करें। इससे फोड़े-फुसी, कोढ़ व अन्य प्रकार के चर्मरोग में लाभ मिलता है। अर्जुन की छाल के काढ़े से नित्य-प्रति जख्मों को साफ करना चाहिए।

5. पित्त और प्रमेह मे अर्जुन के छाल के फायदे

अर्जुन की छाल, नीम की छाल, आमला की छाल, हल्दी और नीलकमल के बराबर भाग को लेकर, पीस लें तथा कपड़े से छान कर रख लें। इसका लगभग 25 ग्राम चूर्ण को आधा लीटर पानी में पकाएँ। जब पानी 100 ग्राम रह जाए तो काढ़े में शहद मिलाकर नित्य सेवन करें। इससे पित्त और प्रमेह जैसे रोगों में बड़ा आराम मिलता है।

6. स्मरण-शक्ति और बुद्धि को तीव्र करने मे अर्जुन के छाल के फायदे

अर्जुन की छाल, शंखपष्मी, दूधिका, वच, ब्राह्मी, कूठ और जटामांसी को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से कूट-पीस लें और कपड़े से छान लें। इस चूर्ण का एक चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें। सिर पर आँवला, ब्राह्मी या शृंगराज तेल की मालिश करें।

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