आयापान के फायदे एवं औषधीय गुण | ayapan-ke-fayde

आयापान को संस्कृत में ‘विशल्यकणी' कहते हैं। यह विशेषकर अमेरिका पौधा है, किन्तु इसे संपूर्ण भारतवर्ष में उगाया जाता है। विशेषकर बंगाल में इसकी सर्वाधिक खेती होती है। इसका पौधा सुगंधित होता है। इसके फूल 3-4 इंच लंबे होते हैं, जो तीन शिराओं में बटे होते हैं। इसकी शाख पतली नालीदार होती है। फूलों में ऊपर की ओर सिरे पर पंखुड़ियाँ दो भागों में विभक्त होती हैं जिनका मुख लाल रंग का होता है। इस पर लगने वाला फल पंचकोणी होता है। इसकी पत्तियों को मसलने पर तीव्र सुगंध आती है।

आयापान के रोगोपचार में फायदे

आयापान पौधा रोचक, उत्तेजक, चेतनाकारक, पौष्टिक, रक्त के साथ आने वाले दस्तों को रोकने वाला, गर्मी को शांत करने वाला, हृदय को ताकत देने वाला, ज्वर को दूर करने वाला, पसीना लाने वाला, रक्तस्राव पर रोक लगाने वाला, जख्मों को बहुत जल्द भरने वाला होता है।

1. रक्तस्त्राव में आयापान के फायदे

शरीर के किसी भी अंग में चोट लग जाने के कारण यदि तेजी से रक्त बह रहा हो तो तत्काल इस पौधे की पत्तियों को मसलकर उसका रस घाव पर टपका दें। खून बहना तत्काल बंद हो जाएगा।

2. बवासीर में आयापान के फायदे

यदि बवासीर में मस्सों से रक्त बहता हो अर्थात् खुनी बवासीर हो तो इसके थोड़े से ताजे पत्तों को पीसकर मस्सों पर उसके रस का लेप करें और इस रस को दिन में दो बार 10 ग्राम से 20 ग्राम तक पी लें। इससे खुनी बवासीर में चमत्कारी लाभ होगा।

3. पेट का भारीपन में आयापान के फायदे

कभी खाने के कारण बदहज्मी हो जाया करती है। पेट भारी हो जाता है, वायु खारिज नहीं होती, जी भारी हो जाता है, खट्टी-खट्टी डकारें आने लगती हैं, सिर में दर्द और घुमेर पैदा हो जाती है। ऐसे में इस पौधे की जड़, पत्ते, छाल, फल और फूल, पाँचों को लेकर पानी में उबाल लें और उसका काढ़ा बना लें। इस काढ़े को रोगी को पिला दें। इसके पीने से रोगी को उल्टी हो जाती है और दस्त लग जाते हैं। जिस कारण रोगी का पेट हल्का हो जाता है और उपर्युक्त सारी बीमारियों से उसे छुटकारा मिल जाता है।

4. शक्तिवर्द्धक में आयापान के फायदे

इसके पत्तों को कूट-पीसकर रस निकाल लें और सुबह शाम 5-5 ग्राम या एक-एक छोटा चम्मच मिश्री या शहद मिलाकर सेवन करें। एक माह तक प्रयोग करने पर शरीर में शक्ति का तीव्र संचार महसूस होता है।

5. ज्वार, मलेरिया आदि में आयापान के फायदे

सर्दी के कारण या किसी भी कारण से यदि शरीर बुखार से तप रहा हो या जाड़ा लग रहा हो तो इसके 20-25 ग्राम पत्तों को 250 ग्राम पानी में पकाएँ और उसे काढ़ा बना छानकर रख लें। उस जल को गर्म-गर्म पीने लायक होने पर रोगी को दिन में दो-तीन बार पिलाएँ। मलेरिया बुखार उतर जाएगा और खूब पसीना आएगा।

(और पढ़े - मलेरिया के लक्षण, इलाज और बचाव)

6. विषैले कीट के काटने पर आयापान के फायदे

यदि कोई जहरीला कीड़ा काट ले या किसी भी कारण से शरीर के किसी अंग पर सूजन आदि आ जाए या जखम हो जाए तो इसकी पत्तियों को पीसकर इसका लेप उस स्थान पर कर दें। विष उतर जाएगा और रक्त व सूजन भी कम हो जाएगी।

  • Tags

You can share this post!

विशेषज्ञ से सवाल पूछें

पूछें गए सवाल