हिचकी आने के कारण और हिचकी के लिए आयुर्वेदिक दवा

हिचकी आना आम बात है क्योंकि प्रत्येक मनुष्य को हिचकी कभी न कभी अवश्य आती है। बहुत से व्यक्ति ऐसे भी हैं, जिन्हें हर रोज है हिचकियां आती हैं। हिचकी के सम्बन्ध में एक आम धारणा है कि जब किसी को हिचकी आती हैं तो उसका कोई प्रियजन याद कर रह होता है अथवा उसने किसी की कोई चीज चुरा ली है परन्तु हिचकी की वैज्ञानिक अवधारणा का इन बातें से कोई सम्बन्ध नहीं है।

हिचकी क्या होती है - What Is Hiccup In Hindi

हिचकी क्या होती है? वास्तव में हिचकी शरीर की ऐसी क्रिया है, जो हमारे तत्रिका तंत्र के विचलित होने के कारण आती है और इस क्रिया के द्वारा हमारा शरीर अपनी सुरक्षा स्वयं करता है। हिचकी तब आती है जब किसी व्यक्ति की हवा का सेवन क्षण भर के लिए अवरुद्ध हो जाता है। यह बिना किसी भी कारण के हो सकता है। जब हिचकी आती है तो एक ही समय में डायाफ्राम मे अचानक यह संकुचन के रूप में आवाज बॉक्स मे होता है, जो अनैच्छिक संकुचन या स्वरयंत्र, और ग्लोटिस के बंद होने के कारण होता है। इसमे फेफड़ों में अचानक हवा चली जाती है, और परिचित "हिच" की आवाज होती है।

हिचकी के कारण - Causes Of Hiccups In Hindi

हिचकी आने के अनेक कारण हो सकते हैं। हिचकी का सटीक कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन पुरानी हिचकी चिकित्सा स्थितियों की एक विस्तृत श्रृंखला से जुड़ी हुई हैं, जिसमें बहुत समस्याएं शामिल हैं।

  • अत्यधिक मात्रा में भोजन या पेट की गड़बड़ी के कारण
  • जल्दी-जल्दी खाना खाने के कारण
  • भोजन के तुरन्त बाद व्यायाम करने के कारण
  • शराब या तम्बाकू का ज्यादा मात्रा में सेवन आदि के कारण
  • गर्म या मसालेदार भोजन जो फारेनिक तंत्रिका को परेशान करता है, जो गले के पास होता है
  • तनाव या मजबूत भावनाओं का अनुभव करने के कारण

यह आम् अनुभव की बात है कि अधिक भूख लगने पर व्यक्ति जल्दी-जल्दी खाने का प्रयास करता है। इस कारण भोजन निगलने की स्वाभाविक प्रक्रिया में बाधा पहुंचती है, जिसे दूर करने के लिए शरीर हिचकी लेना शुरू कर देता है। सामान्यतः हिचकियां स्वतः ठीक हो जाती हैं लेकिन कई हिचकियों का सिलसिला लम्बा हो जाता है और इससे पीड़ित परेशान हो जाता है।

ऐसी स्थिति में हिचकी आने के कुछ विशेष कारण होते हैं। इन कारणों में दो की खराबी से उत्पन्न विषैले उपापचयी उत्पाद, कम रक्त पहुचने या संक्रमण के कारण उत्पन्न मस्तिष्क के विकार, निमोनिया, परिसी, में ट्यूमर जैसे वक्ष के रोग, आमाशय की झिल्ली में सूजन, पेरीटोनियम (उदरांगों की झिल्ली) में सूजन जैसे उदर रोग आदि मुख्य हैं।

इन कारणों के अलावा हिचकी आने के मनोवैज्ञानिक कारण भी होते हैं, जिसमें रोगी वल जागृत अवस्था में ही कष्ट अनुभव करता है।

हिचकी कैसे आती है - How Come Hiccups In Hindi

हिचकी कैसे आती है? ये सबके लिए इक बड़ा सवाल बना हुआ है, आइये जानते है। हमारी छाती और आमाशय (पेट) के बीच मांसपेशियों व झिल्ली से बनी एक डायाफ्राम होती है, जो श्वास प्रक्रिया के दौरान ऊपर-नीचे गति करता रहता है। सांस अन्दर लेते समय वह नीचे चला जाता है और आमाशय पर दबाव डालता है, जिससे फेफड़ों में हवा भर जाती है। सांस छोडते समय डायाफ्राम ऊपर चला जाता है, जिससे फेफड़ों से हवा बाहर निकल जाती है।

डायाफ्राम की इस गति के कारण श्वास प्रक्रिया बिना आवाज किए चलती रहती है। जब हिचकी आने के ऊपर बताए गए कारणों से तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है तो डायाफ्राम को नियंत्रित करने वाली एक विशेष तंत्रिका (फ्रेनिक तंत्रिका) के द्वारा डायाफ्राम में उत्तेजना आ जाती है, फलस्वरूप इसमें सिकुड़न या संकुचन उत्पन्न हो जाता है।

इस कारण न चाहते हुए भी हम एकाएक हवा को मुंह से निगलने का प्रयास करते हैं। इससे भोजन को श्वास नली में जाने से रोकने वाला द्वार ‘एपिग्लोटिस’ (Epiglottis) और वाक् तंतुओं का प्रवेश द्वार ‘ग्लोटिस’(Glotis) दोनों ही बंद हो जाते हैं। अब यह रुकी हुई हवा न तो श्वास नली में प्रवेश कर पाती है और न ही स्वर कोष्ठों में जा पाती है, फलस्वरूप स्वर कोष्ठों से टकराकर हिचकी की विशिष्ट एवं परिचित ध्वनि उत्पन्न होती है। जिसे हिचकी आना कहते है।

हिचकी एक ऐसा रोग है, जो यदि बन्द न हो तो बहुत कष्ट देता है क्योंकि वात के प्रकोप से कभी-कभी ऐसी हिचकी शुरू होती है कि बंद ही नहीं होती।

हिचकी रोकने के तरीके - Ways To Stop Hiccup In Hindi

हिचकी रोकने के तरीके बहुत से है जो निम्न प्रकार बताए गए है-

  • साधारण हिचकी धीरे-धीरे ठंडा पानी पीने से रोक सकते है
  • कुछ क्षण सांस रोकने से ठीक हो सकती है हिचकी
  • बर्फ चूसने से
  • चीनी चूस कर हिचकी को रोकने का तरीका अपना सकते है
  • उल्टी गिनती गिनने से
  • किसी चिंताजनक बात पर विचार करने से बंद हो जाती है हिचकी

यदि उपर्युक्त उपाय के तरीके करने पर भी हिचकी बंद न हो तो निम्न तरीके अपनाने चाहिए-

  • पुदीने की चार-पांच पत्तियां शक्कर के साथ चबाएं
  • उबले चावलों में घी डालकर खाएं
  • सेंधा नमक, घी और पानी में मिलाकर सूंघें
  • नींबू की ताजी पत्तियां चबाकर चूसें
  • दो लौंग चबाकर ऊपर से पानी पी लें
  • मूली के हरे पत्ते चबाकर खाएं
  • थोड़ी मात्रा में शहद चाटें
  • सौंठ और छोटी हरड़ को पानी में घिसकर इसका एक चम्मच गाढ़ा लेप एक कप गुनगुने पानी में घोलकर पिये

यदि इनमें से कोई भी उपाय कारगर न हो तो चिकित्सक से परामर्श लें। जब तक कि हिचकी बंद न हो भोजन नहीं करें। भूख के शमन के लिए दूध में 8-10 मुनक्का व दो ग्राम सौंठ डालकर पीना चाहिए।

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