बच्चों में खसरा रोग | खसरा रोग के कारण, लक्षण एवं बचाव के तरीका

एक वर्ष से छोटे या फिर छः महीनों तक के बच्चों की हालत खसरा रोग से बहुत खराब हो जाती है। जिस शिशु को खसरा (दाने) निकलता हो, उसके शरीर में पहले तीन-चार दिनों से ज्वर हो जाता है। पहले दिन कम ज्वर होता है, फिर बढ़ता जाता है। तीसरे-चौथे दिन ज्वर काफी हो जाता है। इसका ताप 103° फारेनहाइट से ऊपर ही रहने लगता है। साथ ही नाक बहने लगती है। जब तब शिशु सूखा खांसता रहता है।

शिशु का मन कुछ भी खाने-पीने को नहीं करता। सुस्ती छाई रहती है। यदि उसे भोजन खिला भी दें, तो भी वह पचा नहीं पाएगा। उसका मन उखड़ा-उखड़ा रहता है। बुखार के कारण दर्द भी महसूस करता है।

खसरा के लक्षण

खसरा एक बहुत ही संक्रामक रोग है जो पैरामिक्सोवायरस परिवार के एक वायरस के कारण होता है। यह सीधे संपर्क के जरिए या हवा के द्वारा फैलता है। खसरा को "रुबेओला" भी कहा जाता है लेकिन यह रुबेला से भिन्न है इसमे शिशु के दो-तीन दिन ज्वर बढ़ता है, खांसी रहती है। वह पानी अधिक तथा दूध नहीं पीता। तीसरे-चौथे दिन शिशु के बदन और चेहरे पर दाने निकलने शुरू हो जाते हैं।

खसरा में उपचार के तरीके

शिशु के आहार में परिवर्तन : शिशु को आहार में दूध आदि, जो कुछ दिया करते हैं, वह इसे नहीं लेता। न ही उसका मन करता है। अतः इसे आहार के नाम पर खूब पानी पिलाएं। फलों का ताजा रस पिलाएं। अधिक-से-अधिक जल पिलाएं। ऐसे में बच्चे का मुंह सूखता रहता है। अधिक पानी पीने की इच्छा करता है। उसे हर एक घंटे बाद बोतल के द्वारा पानी पिलाती रहें। उसका मुंह सूखने न दें।

डॉक्टर की सलाह : जैसे ही शिशु को तेज बुखार होने लगे, उसका मन खाने-पीने से उचाट हो जाए, तो डॉक्टर से अवश्य सलाह लें। यदि पांचवें दिन तक बुखार न उतरे, तो भी डॉक्टर से परामर्श करें। रोग को बिगड़ने न दें। संभालें, जब भी संभाल सकें। ज्वर उतर जाने पर दोबारा नहीं होना चाहिए और यदि दो-तीन दिनों के अंतराल में फिर हो जाए तो अवश्य चिंता का विषय है। डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

संक्रामक रोग : खसरा एक संक्रामक रोग है। खसरे के रोगी के संपर्क में या आसपास आने पर ही शिशु को यह हो जाता है। ध्यान रखें कि आपका शिशु खसरा के रोगी के कमरे में नहीं जाए। यदि शिशु को रोग होकर समाप्त हुआ है, तो भी उसके संपर्क में अन्य बच्चों को न आने दें।

खसरा चेचक का ही एक छोटा रूप है। बड़ी माता या चेचक होने के कारण अलग हैं। उसका इलाज भी भिन्न है। चेचक के लिए तो सूइयां आ चुकी हैं। खसरा के लिए टीके लगते हैं। खसरा का रोगी एक सप्ताह में रोग मुक्त होकर पूर्ववत् आहार लेने लग जाता है। धीरे-धीरे उसका स्वास्थ्य भी पहले की तरह सुधर जाता है।

  • Tags

You can share this post!

विशेषज्ञ से सवाल पूछें

पूछें गए सवाल