भृंगराज के फायदे – बालों के लिए भृंगराज के लाभ | Bhrngraj Ke Fayde

संस्कृत में भृंगराज को ‘शृंगराज', 'केशराज', 'केशरांजन', 'मार्कव', ‘कुंतलवर्धन', 'देवप्रिय', ‘हरिवास' आदि नामों से पुकारा जाता है। जैसा कि इनके नाम से ही पता चलता है कि यह बूटी केशों के लिए अत्यंत लाभदायक है। यह काला और पीला दो प्रकार के गुणों वाला होता है। ‘पीतशृंगराज' को अंग्रेजी में ‘फ्लोवेरिया रेपांडा' (Flavieria Repanda) कहते हैं। इसके पौधे बंगाल, आसाम, कोंकण और चेन्नई (मद्रास) में पाए जाते हैं। घने, मुलायम और काले केशों वाला भृंगराज बारह महीनों ऊँचे पर्वतों पर झाड़ के रूप में पाया जाता है।

यह जलाशयों के निकट नम मिट्टी में उगता है। इसकी पत्तियों को रगड़ने पर कालापन लिए एक हरा रस निकलता है, जो कुछ ही देर में काला पड़ जाता है। इसके पत्ते लम्बे और नुकीले होते हैं। इस पर श्वेत पुष्प लगता है। इसकी शाखाओं पर रोएँ होते हैं।

भृंगराज के रोगोपचार में फायदे

यह स्वाद में चरपरा और कड़वा होता है। इसमें गंध अच्छी आती है। यह पेशाब लाता है। नेत्रों में सूजन आने पर, मसूड़ों में छाले पड़ने पर, जख्मों पर और केशों को काला और घने करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। कफ और वात को शांत करता है, दर्द को दूर करता है, रक्त को शुद्ध करता है, यह शरीर को बल देने वाला, उत्तेजित करने वाला, रक्तचाप को नियंत्रित करने वाला और पाचन क्रिया को चुस्त और दुरुस्त करता है।

1. केश रोग में भृंगराज के फायदे

जिनके बाल टूटते हों, असमय में सफेद होने लगे हों, दो मुँह हो गए हों, सिर में रूसी हो गई हो, उन्हें अपने बालों को छोटा करके या पुरुष लोग उस्तरे से सिर के केशों को उतारकर भांगरे के पत्तों का रस अच्छी तरह प्रतिदिन मलें। इस प्रयोग से बाल काले और मुलायम होकर निकलेंगे तथा रूसी खत्म हो जाएगी।

आँवले का मोटा चूरा करके, ऊपर से उसमें भांगरे का रस डालें। रस इतना डालें कि आँवले का चूरा उसमें अच्छी प्रकार से डूब जाए। फिर उसे खरल करके सुखा लें। ऐसा सात बार करें। प्रतिदिन इस चूर्ण में से 3-4 ग्राम लेकर ताजे जल से सेवन करें। असमय में गिरते बाल रुक जाएँगे और सफेद बाल काले हो जाएँगे। इससे नेत्रों के रोग' भी नष्ट हो जाते हैं और केशों के तो सारे रोग ही जाते रहते हैं।

2. नेत्र विकार में भृंगराज के फायदे

भांगरे के पत्तों को छाँव में सुखा लें और चूर्ण बना लें। उसमें से 10 ग्राम चूर्ण, 3 ग्राम शहद, 3 ग्राम गाय का घी लेकर मिला लें और रात्रि में सोते समय 40 दिन तक सेवन करें। सभी प्रकार के नेत्र रोग दूर हो जाएँगे। भांगरे के पत्तों का रस सूर्योदय से पहले 2 बूंद आँखों में डालने से नेत्रों के रोग दूर हो जाते हैं। जुखाम, खाँसी, जिगर का बढ़ना- अजवायन 10 ग्राम और 10 ग्राम भांगरे का चूर्ण, प्रतिदिन जल के साथ फंकी लेने से आराम आ जाता है।

3. कान का दर्द में भृंगराज के फायदे

भांगरे के रस की दो बूंदें कान में टपकाने से कान का दर्द जाता रहता है। जिस 'दाढ़ या दाँत' में दर्द हो, उसके विपरीत कान में दो बूंद टपकाने से दर्द जाता रहता है।

4. टायफायड ज्वर में भृंगराज के फायदे

भांगरे के पत्तों का रस 2-2 चम्मच दिन में 2-3 बार रोगी को देने से टायफायड उतर जाता है।

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5. रक्त चाप में भृंगराज के फायदे

भांगरे के पत्तों का रस 2 चम्मच, शहद 1 चम्मच, दोनों को मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें। रक्तचाप कुछ ही दिनों में सामान्य हो जाता है। इससे पेट का कब्ज' भी ठीक रहता है।

6. पेट का दर्द में भृंगराज के फायदे

भांगरे के 10 ग्राम पत्तों के साथ 3 ग्राम काला नमक लेकर थोड़े से जल में पीस लें और उसे छानकर दिन में 2-3 बार सेवन करें। इससे पेट का पुराने-से-पुराना दर्द जाता रहता है।

7. भगन्दर में भृंगराज के फायदे

भांगरे के पत्तों को कुचलकर पुल्टिस बना लें और गुदा द्वार पर बाँध दें। कुछ ही दिनों में इससे भगन्दर सूखकर झड़ जाएगा और बवासीर' हो तो उसके मस्से भी सूखकर झड़ जाते हैं।

8. आतशक में भृंगराज के फायदे

भृंगराज और चमेली का रस 10-10 ग्राम लेकर उसे आतशक के जख्मों पर लगाएँ। इससे आतशक के जख्म जल्द भर जाते हैं।

9. उदर, नेत्र आतशक और भगन्दर रोग में भृंगराज के फायदे

भांगरे का चूर्ण 5 ग्राम, काली मिर्च पिसी 1 ग्राम, दोनों को मिलाकर भांगरे के रस में खरल कर लें और 1-1 ग्राम की गोली बना लें। शुरू में 1 से 2 गोली तक सुबह-शाम सेवन करें। इससे उपर्युक्त चारों रोगों में बड़ा लाभ होता है।

10. चर्म रोग में भृंगराज के फायदे

भांगरे के 10 ग्राम रस में 2 नग काली मिर्च पीसकर मिला दें और 21 दिन तक इसका सेवन करे। कैसा भी चर्म रोग होगा दूर हो जाएगा। इस बीच गाय का दूध और गेहूँ की रोटी शक्कर में साथ खाएँ।

11. गर्भपात रोकने में भृंगराज के फायदे

भांगरे के 5 ग्राम रस में 5 ग्राम गाय का दूध मिलाएँ और उसे गर्भबती स्त्री को रोज प्रात:काल पिलाएँ। असमय में गर्भपात नहीं होगा। इससे गर्भ पुष्ट होता है और गर्भबती स्त्री का रक्त भी शुद्ध हो जाता है। यह अत्यंत निरापद और सहज सरल उपाय है।

12. बवासीर में भृंगराज के फायदे

भांगरे के 50 ग्राम पत्ते और 5 ग्राम काली मिर्च को खूब बारीक पीस लें और छोटी-छोटी गोलियाँ बना लें और उन्हें छाया में सुखा लें। दिन में तीन बार सुबह, दोपहर, शाम एक-एक गोली पानी के साथ लें। बादी बवासीर में शीघ्र लाभ होगा।

13. शारीरिक पुष्टि में भृंगराज के फायदे

ताजे भांगरे के पत्तों को पीसकर रस निकालें। रोज दूध के साथ 1 ग्राम रस लेने से एक माह में ही शरीर के समस्त रोग दूर हो जाते हैं और शरीर पुष्ट हो जाता है। वीर्य की वृद्धि होती है और स्मरण-शक्ति भी बढ़ जाती है। इसे घी और शहद के साथ भी ले सकते हैं। यदि पीसने में परेशानी हो तो भांगरे के पत्तों को सुखाकर उसका चूर्ण बना लें। इसका 1 ग्राम चूर्ण, 5 ग्राम मिश्री और 5 ग्राम देसी घी के साथ भी लिया जा सकता है। इस चूर्ण के 1 ग्राम में काले तिल का 1 ग्राम चूर्ण मिलाकर कम-से-कम 1 माह तक सेवन करने से भी बड़ा लाभ होता है। बुढ़ापा पास नहीं आता और आयु बढ़ जाती है।

14. पेट के कीड़े में भृंगराज के फायदे

10 ग्राम भांगरे का चूर्ण एरंड के तेल के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े मर कर मल के साथ निकल जाते हैं।

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