ब्राह्मी के फायदे एवं इसके आयुर्वेदिक गुण | brahmi ke fayde in hindi

ब्राह्मी को संस्कृत में 'सौम्यलता', 'सरस्वती', 'सुरमा', 'शारदा', 'बंका', ‘सोमवल्ली', दिव्या', ‘मण्डूकपर्णी' आदि नामों से जाना जाता है। ब्राह्मी बूटी प्रायः जलाशयों के किनारे उत्पन्न होती है। लेकिन हिमालय इसका घर है। ब्राह्मी बूटी मस्तक अर्थात् ब्रह्मरन्ध्र की साधना और शक्ति के लिए अत्यंत उपयोगी है।

इसके सेवन से स्मरण-शक्ति तीव्र होती है। धरती पर फैलने वाली यह अत्यंत कोमल लता है। इसके पत्ते छोटे और गोलाकार होते हैं। किनारे लहरदार कंगूरों की भाँति मुड़े होते हैं। बसन्त और ग्रीष्म ऋतु आने तक इसमें फल लगते हैं। पुष्प सफेद होते हैं जिनमें नीली आभा होती है। इस पौधे का स्वाद कड़वा होता है।

ब्राह्मी के रोगोपचार में फायदे

ब्राह्मी मस्तिष्क और हृदय के लिए बलकारी है। खून को साफ करती है, कुष्ठ और पीलिया रोगों में भी लाभदायक है। रक्तचाप, आवाज, केश, पागलपन, नींद न आने आदि रोगों में यह अत्यंत गुणकारी है। इसकी तासीर शीतल होती है।

1. मस्तिष्क व स्मरण-शक्ति में ब्राह्मी के फायदे

ब्राह्मी 5 ग्राम, शंखपुष्पी 5 ग्राम, बादाम गिरी 5 ग्राम, छोटी इलायची के बीज 5 ग्राम, चारों मगज 16 ग्राम लेकर उन्हें पानी में घोट लें और मीठा मिलाकर छान लें और प्रतिदिन प्रात: इसका सेवन करें। इस पेय से स्मरण-शक्ति तो बढ़ती ही है, मस्तिष्क की सोचने की ताकत भी पुष्ट होती है।

2. खाँसी', ‘पित्त', 'ज्वर', और 'पागलपन' तथा 'उन्माद में ब्राह्मी के फायदे

खाँसी', ‘पित्त', 'ज्वर', और 'पागलपन' तथा 'उन्माद की स्थिति में भी यह अत्यंत लाभकारी है। बाह्मी 3 ग्राम, बादाम गिरी 5, काली मिर्च 3-4 नग, पानी में पीसकर गोलियाँ बना लें। रोज एक-एक गोली दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें, स्मरण-शक्ति बढ़ जाएगी।

3. नींद न आने पर ब्राह्मी के फायदे

ब्राह्मी का 3-4 ग्राम चूर्ण गाय या भैंस के दूध में आधा किलो दूध में घोंटकर और छानकर एक सप्ताह तक सेवन करें। भरपूर नींद आने लगेगी और दिमाग ठंडा रहेगा। ताजी ब्राह्मी के 10 ग्राम रस में एक पाव कच्चा दूध मिलाकर पीने से दिमाग को बड़ा लाभ होता है और तनाव खत्म हो जाता है।

ताजी बूटी अगर न मिले तो ब्राह्मी का 5 ग्राम चूर्ण मिलाकर प्रयोग करना अच्छा रहता है। इससे उन्माद' की स्थिति भी शांत हो जाती है। ब्राह्मी, बादाम गिरी, काली मिर्च और मगज के बीजों का प्रयोग मिश्री के साथ करने से जीर्ण ‘उन्माद' भी ठीक हो जाता है।

4. रक्तचाप में ब्राह्मी के फायदे

ब्राह्मी के पत्तों का रस एक चम्मच लें और आधे चम्मच शहद के साथ उसका सेवन दिन में दो बार करें। इससे रक्तचाप स्थिर रहता है।

5. पेशाब की रुकावट में ब्राह्मी के फायदे

ब्राह्मी के 2 चम्मच रस में एक चम्मच मिश्री या शहद मिलाकर सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है और पेशाब खुलकर आता है।

6. आवाज में ब्राह्मी के फायदे

सूखी ब्राह्मी का चूर्ण 100 ग्राम, मुनक्का 100 ग्राम, शंखपुष्पी 50 पुष्पी 50 ग्राम तीनों को चौगुने पानी में मिलाकर अर्क निकाल लें। इस अर्क के प्रयोग से आवाज स्वच्छ और मधुर हो जाती है।

7. जलन में ब्राह्मी के फायदे

शरीर में जब कभी जलन महसूस हो, तब 5 ग्राम ब्राह्मी के साथ, 5 ग्राम धनिया मिलाकर रात में भिगो दें। प्रातः उसे पीसकर छान लें और मिश्री मिलाकर पी जाएँ। जलन शांत हो जा

  • Tags

You can share this post!

विशेषज्ञ से सवाल पूछें

पूछें गए सवाल