मधुमेह या डायबिटीज़ क्या है | डायबिटीज़ के प्रकार, लक्षण, और बुरा प्रभाव

हमारे शरीर को सुचारु तरीके से काम करने के लिए ऊर्जा यानी ताकत की जरूरत होती है और यह ताकत हासिल करने के लिए शरीर को ग्लूकोज़ की जरूरत होती है। हम जो खुराक खाते हैं वह शरीर में हज़म होने के पश्चात ग्लूकोज़ में बदल जाती है। शरीर के अलग-अलग सैलों तक पहुंचने के लिए यह ग्लूकोज़ खून में प्रवेश हो जाता है व इन्सुलिन शरीर के भिन्न-भिन्न सैलों तक ग्लूकोज़ पहुंचाती है। इन्सुलिन एक खास हारमोन है जो पैन्क्रियाज़ से उत्पन्न होता है। परन्तु इस रोग में इन्सुलिन की कमी की वजह से ग्लूकोज़ सैलों में प्रवेश नहीं कर सकता और खून में ही रह जाता है, इस तरह खून में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है। इसे शुगर रोग या डायबिटीज़ कहते हैं।

मधुमेह या डायबिटीज़ रोग क्या है | What Is Diabetes

मधुमेह रोग यानी डायबिटीज़ एक बहुत पुराना रोग है और पुराने चिकित्सा ग्रन्थों में भी इसका वर्णन आता है। हमारे शरीर को सुचारु तरीके से काम करने के लिए ऊर्जा यानी ताकत की जरूरत होती है और यह ताकत हासिल करने के लिए शरीर को ग्लूकोज़ की जरूरत होती है। हम जो खुराक खाते हैं वह शरीर में हज़म होने के पश्चात ग्लूकोज़ में बदल जाती है। शरीर के अलग-अलग सैलों तक पहुंचने के लिए यह ग्लूकोज़ खून में प्रवेश हो जाता है व इन्सुलिन शरीर के भिन्न-भिन्न सैलों तक ग्लूकोज़ पहुंचाती है।

इन्सुलिन एक खास हारमोन है जो पैन्क्रियाज़ से उत्पन्न होता है। परन्तु इस रोग में इन्सुलिन की कमी की वजह से ग्लूकोज़ सैलों में प्रवेश नहीं कर सकता और खून में ही रह जाता है, इस तरह खून में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है। इसे शुगर रोग या डायबिटीज़ कहते हैं। एक साधारण आदमी के खून में ग्लूकोज़ की मात्रा 80 से 120 मिलीग्राम (प्रति 10 मि.ली। खून में) होती है। इससे अधिक मात्रा होना शुगर रोग की निशानी है।

डायबिटीज़ के प्रकार | Types Of Diabetes

मुख्य तौर पर डायबिटीज़ रोग दो प्रकार के हैं

प्रथम- इन्सुलिन पर निर्भर होने वाली यह आम तौर पर बचपन व जवानी में होती है। यह बहुत खतरनाक है और 10 से 15 प्रतिशत मरीज इसकी चपेट में हैं। इस प्रकार के रोगियों की जिंदगी इन्सुलिन के टीके लगा-लगा कर ही बचाई जा सकती हैं क्योंकि इस प्रकार के मरीजों के शरीर में या तो इन्सुलिन पैदा नहीं होती और अगर होती भी है तो बहुत ही कम मात्रा में। इसलिए इंजेक्शन के अलावा और कोई समाधान नहीं रहता।

द्वितीय- इन्सुलिन पर निर्भर न होने वाली ज्यादातर लोगों को इसी प्रकार का ही शुगर रोग होता है। यह धीरे-धीरे होता है व उम्र बढ़ने के साथ ही इसकी जानकारी होती है। इस तरह का रोग ज्यादातर आरामपरस्त लोगों को होता है जो कि शारीरिक काम करने से परहेज हैं। सैर या कसरत भी नहीं करते और ज्यादा खाकर मोटे हुए होते हैं। इस तरह के रोगी अक्सर 40 वर्षों से ज्यादा उम्र के होते हैं तथा मोटे होते हैं। शुगर रोग के 80 से 85 प्रतिशत मरीज इस वर्ग में आते हैं।

एक और प्रकार की डायबिटीज़ भी होती है जिसको गैसटेशनल डायबिटीज़ (gestational diabetes) यानी गर्भ अवस्था के समय होने वाला शुगर रोग कहा जाता है। यह शुगर रोग गर्भ अवस्था के समय होता है व बच्चे के जन्म पर खत्म हो जाता है। चार प्रतिशत के लगभग गर्भवती औरतों को इस तरह का शुगर रोग हो जाता है और इस पर काबू पाने के लिए इन्सुलिन के टीकों की जरूरत पड़ती है। चाहे बच्चे को जन्म देने के पश्चात इन औरतों को शुगर रोग ठीक हो जाता है, पर भविष्य में भी इन स्त्रियों के लिए खतरा बना रहता है। अगर बाद में ये औरतें मोटी हो जाएं यानी इनका वज़न बढ़ जाए और वे शारीरिक तौर पर भी चुस्त ना रहें, तो इनको द्वितीय प्रकार का शुगर रोग होने की ज्यादा शंका रहती है।

डायबिटीज़ के लक्षण | Symptoms Of Diabetes

शुगर रोग एक भयानक रोग है। यह रोग तो एक ही है परन्तु इसके साथ अनेकों परेशानियां व मुसीबतें जुड़ी हुई हैं। डायबिटीज़ के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं

  • बार-बार पेशाब आना।
  • बहुत ज्यादा प्यास लगना।
  • भूख बढ़ जाना।
  • थकावट महसूस करना।
  • शरीर का वज़न कम होना।
  • धुंधला दिखाई देना।
  • जल्दी-जल्दी इन्फेक्शन हो जाना।
  • शरीर में किसी खास हिस्से पर खारिश होनी।
  • घाव देर से भरना।

डायबिटीज़ के बुरा प्रभाव | Side Effects Of Diabetes

लंबे समय तक शुगर रोग रहने से शरीर के प्रत्येक अंग पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कुछ प्रमुख प्रभाव इस तरह हैं-

  • आंखों की रोशनी कम होने लगती है और एक ऐसी अवस्था भी आती है जब आदमी हमेशा के लिए अंधा हो जाता है।
  • दिमाग पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। याददाश्त कम हो जाती है, अधरंग भी हो सकता है।
  • चोट लगने से घाव जल्दी नहीं भरते।
  • गुर्दे फेल हो सकते हैं।
  • चर्म के रोग हो सकते हैं जिस कारण फोड़े-फुसियां व एग्ज़िमा भी हो सकता है।
  • हार्ट और ब्लड वेसल्स के रोग हो सकते हैं जिस कारण हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक या हार्ट स्ट्रोक की संभावना रहती है।
  • दिमाग की नसें सिकुड़ने से शरीर के किसी भी अंग पर बुरा प्रभाव हो सकता है। इसी तरह अगर टांगों की नसें सिकुड़ने लग जाएं तो रोगी को गैंगरेन हो सकता है और गैंगरेन होने से तो पांव या टांग को काटना ही पड़ता है।
  • रोगी नामर्दी का शिकार भी हो जाता है क्योंकि इस रोग से उसकी इन्द्रियों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

डायबिटीज़ में क्या खाना चाहिए | Diabetes Me Kya Khana Chahiye

यदि मीठी चीजें खानी छोड़कर नमक वाली चीजे खाने लग जाए तो आपका शुगर रोग से छुटकारा नहीं होगा। संतुलित भोजन की सही मात्रा नियमबद्ध ढंग से सेवन करने और शारीरिक चुस्त दुरुस्त रहकर ही आप इस रोग का मुकाबला कर सकते हैं।

  • तली हुई चीजें जैसे कि समोसे, पकौड़े, पूरियां इत्यादि का सेवन करने से परहेज करना चाहिए।
  • सपेटा दूध और इससे बनी वस्तुएं का प्रयोग कर सकते हो।
  • मुरब्बे, चाकलेट, जैम, जैली, शहद, चीनी आदि के सेवन से बचना चाहिए।
  • देसी घी, मक्खन और क्रीम की बजाय तेलों के सेवन को पहल देनी चाहिए।
  • मछली, अंडे और चिकन का सेवन तो कर सकते हो परंतु लाल मीट, जिगर, गुर्दे नहीं खाने चाहिए।
  • केक, पेस्ट्री, आइसक्रीम, प्रोसैस्ड चीज़, खोया और खोये से बनी चीजों का परहेज करना चाहिए।
  • आलू और चावल का कम प्रयोग करना चाहिए। आलू भूनकर खाने चाहिए। तले हुए आलुओं से परहेज करना चाहिए। इसी तरह चावल उबाल कर सब्जी के साथ खाने चाहिएं।
  • खुराक में रेशेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए। सब्जियों और फलों के प्रयोग से शरीर को जरूरी मात्रा में विटामिन और खनिज पदार्थ मिल जाते हैं।
  • मेथी के बीज- मेथी के बीजों का सेवन भी लाभदायक है। मेथी के बीजों को रात में भिगोकर रख दें और अगले दिन सुबह उठते ही यह पानी पी लें।
  • करेले के बीजों का पाउडर बनाकर पानी के साथ लिया जा सकता है या करेले का जूस निकालकर पीया जा सकता है।
  • जामुन का सेवन- जामुन का सेवन लाभदायक है। मौसम के अनुसार तो जामुन खानी चाहिए परंतु जब मौसम न हो तो जामुन की गुठली का पाउडर बनाकर 2-3 ग्राम पाउडर हर रोज पानी के साथ लेने से फायदा होता है। जामुन में जैम्बोलिन (Jambolin) नामक पदार्थ होता है जो स्टार्च को ग्लूकोज में बदलने नहीं देता।
  • नीम का सेवन
  • नीम की निबोलियां भी लाभदायक हैं। नीम की पत्तियों को रात को पानी में भिगोकर रख दें तो सुबह वह पानी पीना भी गुणकारी होता है।
  • साफ-स्वच्छ पानी का खुलकर सेवन करना ही सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
  • जीवन-पद्धति तथा वर्जिश आरामपरस्त और आलसपन तो बीमारियों को खुलकर बुलाते हैं। तन्दुरुस्त रहने के लिए अपने आपको चुस्त-दुरुस्त रखना चाहिए।

    डायबिटीज़ में क्या नहीं खाना चाहिए | Diabetes Me Kya Nahi Khana Chahiye

  • कैलोरियों की मात्रा- जरूरत से ज्यादा कैलोरियों की सेवन करने से मोटापे का शिकार हो जाता है और मोटापा तो शुगर रोग क बढ़ावा देता है। खुराक में कैलोरियों की इतनी ही मात्रा होनी चाहिए जिससे शरीर का भर न बढ़े। एक बात और याद रखनी चाहिए कि वजन कम हो जाने के बाद उसको दुवारा बढ़ने नहीं देना चाहिए। दिन में एक-दो बार भर पेट खाने की बजाय चार पांच बार थोड़ी मात्रा में खाना चाहिए। इस तरह से ब्लड-शुगर अचानक बढ़ने या घटने का डर भी नहीं रहेगा।
  • भोजन न तो कभी छोड़ना चाहिए और न ही टिंग करनी या व्रत रखने चाहिए। इस प्रकार शुगर के मरीज के लिए मुसीबत हो सकती है और उसकी जिंदगी के लिए भी खतरा हो सकता है।
  • कार्बोज- हमारे भोजन में कार्बोजों का ही ज्यादा सेवन किया जाता है। और कार्बोजों द्वारा ही हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। परंतु शुगर के रोगी को कार्बोज का सेवन सोच समझ कर करना चाहिए क्योंकि कार्बोज के गलत स्रोतों के सेवन करने से ब्लड में ग्लूकोज़ की मात्रा अचानक बढ़ सकती है। गुड़, जैम, जेली, चीकू, आम, अंगूर, अनानास जैसे फलों में शुगर की काफी मात्रा होती है और इनके सेवन से ग्लूकोज़ तुरंत बढ़ जाता है। इसलिए ऐसे पदार्थों के सेवन से संकोच करना चाहिए। अनाज, खासकर साबुत गेहूं का आटा, ब्राऊन राईस, जो, जई, बाजरा आदि के सेवन के अलावा कम मीठे फलों का सेवन किया जा सकता है। इन पदार्थों की शुगर धीरे-धीरे एबज़ोरब होती है। इसलिए ब्लड ग्लूकोज़ की मात्रा एकदम नहीं बढ़ती।
  • प्रोटीन- शारीरिक बनावट, तंतुओं के निर्माण और शरीर को रोगों से बचाने के लिए प्रोटीन महत्वपूर्ण काम करते हैं। अनाज, दालें, पनीर, मछली, अंडा, चिकन और सप्रेटा दूध का सेवन करने से प्रोटीन प्राप्त की जा सकती है। परन्तु जिन लोगों को गुर्दे के रोग हों उनकी प्रोटीन का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।
  • फैट यानी चिकनाई- फैट के सेवन से ऊर्जा की सबसे ज्यादा कैलोरियां प्राप्त होती हैं। और इसके अवांछित सेवन करने से शरीर को फालतू कैलोरियां मिल जाने से मोटापा हो जाता है। परन्तु एक बात और याद रखनी चाहिए कि लंबे समय तक एक ही किस्म के तेल का सेवन नहीं करना चाहिए। कभी सोयाबीन के तेल का प्रयोग कर लिया तो कभी सूरजमुखी का यानी इस तरह तेल बदल-बदल कर इस्तेमाल करने चाहिए। सैचुरेटिड फैट यानी देसी घी, वनस्पति घी का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए क्योंकि ये फैट ब्लड वैसलज में जम जाते हैं। इस तरह खून के बहाव में रुकावट आ सकती है जिससे शुगर रोग के रोगियों के लिए कई और परेशानियां आ सकती हैं। मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून आदि के तेलों का सेवन करना चाहिए।
  • शराब- शराब पीना तो वैसे ही बुरा होता है, परन्तु शुगर के रोगियों के लिए और भी ज्यादा खतरनाक सिद्ध हो सकता है। ऐसा करने से रोगी जो दवाई खाता है, शराब उसके साथ क्रिया कर सकती है जिसके कारण हाइपोलाइसीमिया हो जाता है यानी ब्लड शुगर कम हो जाती है। इसके अलावा शराब से खाली कैलोरियां मिलती हैं जिससे वजन बढ़ जाता है। शराब पीने से पैन्क्रियाज के सैलों को भी नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा कई पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं और शरीर को कई तरह के रोग लगने की संभावना रहती है।

व्यायाम से शुगर रोग में फायदा | Exercise Benefits In Sugar Disease

व्यायाम करने से नीचे लिखे लाभ होते हैं

  • ब्लड शुगर का लेवल ठीक हो होता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।
  • ब्लड लिपिड्ज भी कम हो जाते हैं।
  • तनाव कम होने से आराम महसूस होता है।
  • शरीर का भार कम करने में मदद मिलती है।

परन्तु शुगर के रोगी को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही कोई व्यायाम करनी चाहिए। साइकिल चलाना, स्वीमिंग, जौगिंग और पैदल चलना अच्छे वर्जिश हैं परन्तु आपके लिए कौन-सा व्यायाम फायदेमंद होगा, इसके बारे में अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

जल्दी-जल्दी चलना एक अच्छी एक्सरसाइज है। हफ्ते में चार-पांच बार 25 से 30 मिनट तेज, तेज चलना शुगर के रोगी के लिए लाभदायक है।

व्यायाम से शुगर रोग में नुकसान | Loss Of Exercise In Sugar Syrup

  • शुगर के रोगियों को खाली पेट व्यायाम नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस तरह ब्लड शुगर कम होने का डर रहता है।
  • व्यायाम नियमित ढंग से और लगभग एक समय में ही करनी चाहिए।
  • यदि रोगी की ब्लड शुगर 250 मिलीग्राम से ज्यादा है तो उसको व्यायाम नहीं करनी चाहिए।
  • यदि पेशाब में किटोनबाडिज़ आती हों तो भी व्यायाम नहीं करनी चाहिए।
  • किसी दोस्त या घर के मैम्बर की मौजूदगी में ही कसरत करनी चाहिए, अकेले करने से परहेज करना चाहिए।
  • अपने पास चीनी की गोलियां या शुगर क्यूब्स जरूर रखने चाहिएं। यदि शुगर लेवल कम हो जाए तो तुरंत इनका सेवन किया जाना चाहिए।
  • सिर चकराने लगता है।
  • थकावट या बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होने लगती है।
  • दिल की धड़कन बढ़ जाती है।
  • धुंधला दिखाई देना या सिर में दर्द होने लगता है।
  • जोर से भूख लगने लगती है।
  • एकाग्रता कम हो जाती है और रोगी कन्फ्यूज़ जैसा महसूस करता है।
  • चलते समय पूरा तालमेल नहीं होता।
  • रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है और गुस्सा आने लगता है।
  • बोलते समय जुबान लड़खड़ाने लगती है।
  • हालात बिगड़ने यानी शुगर ज्यादा कम होने से रोगी बेहोश भी हो जाता है।
  • हाईपोग्लाईसीमिया तो एक एमरजेंसी है जिस पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।

    परंतु यदि तुरंत ध्यान न दिया जाए तो रोगी बेहोश हो जाएगा ।

    सावधानी:- शुगर रोग के मरीजों को अपने पास मीठी गोली, शुगर क्यूब्स या ग्लूकोज रखना चाहिए, जो कि एमरजेंसी होने यानी ब्लड शुगर कम होने पर तुरंत इस्तेमाल किए जा सकें। यदि आपके पास समय है और चीजें उपलब्ध हैं तो मरीज को निम्न में से एक चीज़ दी जा सकती है।

  • फलों का रस।
  • चीनी या शहद।
  • सॉफ्ट ड्रिंक।
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