गुड़हल के फायदे - गुड़हल के फूलों एवं पत्तों से लाभ | gudhal ke fayde

गुड़हल को संस्कृत में 'जपा', ‘अकप्रिया’, ‘उर्ध्वपुष्प' आदि नामों से पुकारा जाता है। गुड़हल का वृक्ष अपने फूलों के आकर्षक रंगों और आकार के कारण उद्यानों आदि में लगाया जाता है। इसके फूलों का रंग लाल गुलाबी आभा लिए होता है। फूल में पाँच चौड़ी पंखुरियाँ होती हैं जिन पर हल्की लाल धारियाँ होती हैं। बीच में पीले पराग कणों वाली ऊपर की ओर उभरी नलियाँ होती हैं।

इसका फूल श्वेत और बैंगनी रंगों वाला भी होता है। कहीं-कहीं नारंगी रंग के फूल भी मिलते हैं। इसका श्वेत पुष्प जो लाली लिए होता है अधिक गुणकारी होता है। इसका पौधा 4 से 10 फुट तक ऊँचा होता है। इसके पत्ते चमकीले हरे रंग के होते हैं जो कंगूरेदार होते हैं।

गुड़हल के रोगोपचार में फायदे

गुड़हल का पौधा रक्तशोधक, स्तम्भन वर्द्धक, गर्भनिरोधक, प्रदर नाशक, उष्णवीर्य, कफ पित्त नाशक,मूत्र विकार को दूर करने वाला, मस्तिष्क की दुर्बलता को नष्ट करने वाला, दाद, उन्माद, हृदय रोग आदि में लाभदायक है।

1. वीर्य वर्द्धक एवं स्तम्भन में गुड़हल के फायदे

गुड़हल के पत्तों और पुष्पों को छाया में सुखा लें। जब ये पूरी तरह सूख जाएँ तब इन्हें खरल करके चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में समभाग मिश्री पीसकर मिला लें। प्रतिदिन दूध के साथ एक या आधा चम्मच एक डेढ़ माह तक सेवन करें और इस बीच लंगोट को कसकर रखें अर्थात् सम्भोग क्रिया से दूर रहें। इससे वीर्य बढ़ता है और स्तम्भन शक्ति में भी बढ़ोत्तरी होती है। युवावस्था का अहसास होता है।

2. रक्त विकार में गुड़हल के फायदे

गुड़हल के सूखे पत्तों का चूर्ण प्रदिदिन दूध के साथ एक चम्मच मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें। इससे रक्त के विकार नष्ट होते है। और रक्त की कमी दूर हो जाती है।

3. सूजन और दर्द निवारक में गुड़हल के फायदे

गुड़हल के पत्तों को पानी में पीसकर गाढा गाढ़ा लेप त्वचा की सूजन अथवा दर्द वाले स्थान पर कर दें। इससे सूजन और दर्द में बड़ा आराम मिलता है।

4. प्रदर रोग में गुड़हल के फायदे

गुड़हल के फूल की चार-पाँच कलियों को घी में तल लें। ठंडा होने पर उन्हें मिश्री के साथ खा लें और ऊपर से गाय का गर्म दूध पी लें। एक सप्ताह तक इसका प्रयोग करने से रक्त प्रदर व साधारण प्रदर में बड़ा लाभ होता है।

5. गर्भ निरोध में गुड़हल के फायदे

गुड़हल के फूलों को कांजी में पीसकर उसमें मिकदार और स्वाद के अनुसार पुराना गुड़ मिला लें। फिर इसे मासिक धर्म के समय तीन दिन तक सेवन करें। ऐसा करने पर स्त्री गर्भ धारण नहीं कर पाएगी।

6. गर्भ धारण करने में गुड़हल के फायदे

श्वेत फूलों वाले गुड़हल की जड़ को गौ के दूध में पीसकर, उसमें बिजौरा नींबू के बीजों का बारीक कपड़छन चूर्ण मिला दें। मासिक धर्म के समय इस चूर्ण को एक चम्मच मात्रा में दूध के साथ सेवन करें। इससे गर्भ धारण की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।

7. मूत्र रोग में गुड़हल के फायदे

कभी-कभी स्वप्न दोष होने के कारण तत्काल साफ सफाई या पेशाब आदि न जाने की वजह से मूत्र नली में वीर्य के कण रूके रह जाते हैं और वे जख्म बना देते हैं। जब पेशाब आता है तो बड़ी जलन होती है। इसे ही ‘सुजाक' कहते हैं। उन जख्मों में समय बीत जाने पर पीब भी पड़ जाता है जो मूत्र नली से निकलकर अधोवस्त्र को खराब करता रहता है।

इसके लिए गुड़हल के वृक्ष की 11 पत्तियों को लेकर साफ जल में पीस लें और उसे छान लें। उसमें ‘यवक्षार' 10 ग्राम, मिश्री 25 ग्राम मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे 'सुजाक' जैसी भयानक बीमारी से बड़ा लाभ होता है। पेशाब खुलकर आता है।

8. गंजापन में गुड़हल के फायदे

काली गाय के मूत्र में, गुड़हल के फूलों को पीसकर गंजी चाँद पर लगाने से केश उगने लगते हैं। इसका नियमित प्रयोग करते रहना चाहिए और धैर्य से बालों के उगने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। गुड़हल के फूलों का रस निकालकर उसमें समभाग की मात्रा में जैतून का तेल मिला लें और उसे आग पर पकाएँ। जब शेष तेल ही रह जाए, तब उसे शीशी में भरकर रख लें। प्रतिदिन बालों की जड़ तक इस तेल की मालिश करने से बाल चमकीले और लम्बे' होते हैं।

9. बालों को काला करने में गुड़हल के फायदे

बालों का काला करने के लिए गुड़हल और भृंगराज के समभाग फूलों को भेड़ के दूध में पीसकर लोहे के पात्र में रख लें। सात दिन बाद शृंगराज के पंचांग रस (जड़, छाल, पत्ते, फूल और फलों को कूटकर बनाया गया रस) में मिलाकर उसे शीशी या किसी साफ बर्तन में रख दें। रात्रि में उसे गर्म करके बालों में लगाएँ। प्रायः बाल धोने पर आपके केश आपको काले मिलेंगे।

(और पढ़े - भृंगराज के फायदे एवं बालों के लिए भृंगराज के लाभ)

10. मुँह के छाले में गुड़हल के फायदे

गुड़हल की जड़ को अच्छी प्रकार से साफ कर लें और उसे धोकर 1-1 इंच के टुकड़ों में काट लें। दिन में एक-एक टुकड़ा चबाकर रात को थूकते जाएँ। एक-दो दिन में ही मुँह में छाले खत्म हो जाएँगे। वैसे तो मुँह के छालों को दूर करने के लिए पेट का साफ रहना बहुत जरूरी है। साफ पेट रहने पर मुँह में छाले नहीं होते है।

11. खाँसी कफ पित्त आदि में गुड़हल के फायदे

गुड़हल की जड़ का काढ़ा बना लें और उसे दिन में 3-4 बार सेवन करने से खाँसी, कफ, पित्त आदि में बड़ा आराम मिलता है। पेट साफ रहता है।

12. यौन-शक्ति और स्मरण-शक्ति में गुड़हल के फायदे

गुड़हल के फूलों और पत्तों को छाया में सुखा लें उसका चूर्ण बनाकर शीशी में भर लें। एक चम्मच की मात्रा में उसका चूर्ण दूध के साथ नियमित रूप से सुबह-शाम लें। इस कुछ ही दिनों में यौन-शक्ति और स्मरण शक्ति बढ़ती है।

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