हैजा का घरेलू इलाज, इसके कारण, लक्षण एवं बचाव

इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपको हैजा यानि कॉलरा से जुड़ी सभी जानकारियों जैसे- हैजा क्या होता है, हैजा के कारण क्या-क्या हो सकते हैं, हैजा के लक्षण एवं हैजा के बचाव या हैजा के घरेलू इलाज से जुड़ी हर जानकारी से अवगत कराना चाहते हैं ताकि आप इस भयानक बीमारी से खुद को एवं अपने बच्चों को बचा सकें।

हैजा किसे कहते हैं? - What is Cholera in Hindi?

हैजा एक तीव्र संक्रामक रोग है, जो दूषित जल, भोजन तथा दूध द्वारा संचारित होता है। इसमें तीव्र आंत्र अतिसार की स्थिति होती है। यह रोग विब्रियो कॉलरा नामक जीवाणु से फैलता है। विब्रियों कॉलरा कॉमा (,) के आकार का ग्राम निगेटिव जीवाणु है। यह जीवाणु संक्रमित व्यक्ति के मलमूत्र एवं वामन में विद्यमान रहता है। इसका विकास तीव्र गति से दूषित जल, दूध एवं दूध के उत्पाद, सड़े-गले फल एवं सब्जियों, बासी भोजन, गंदे नालियों, अस्वच्छ वातावरण में अधिक होता है। इसका उद्भवन काल कुछ घंटों से 5 दिन तक का होता है परन्तु यह सामान्यतः 1 से 2 दिनों के मध्य होता है। इसके जीवाणु 30-40°स में काफी तेजी से वृद्धि करते हैं और इस तापक्रम में इनकी गुणनक्रिया काफी बढ़ जाती है। 56°C पर इसकी क्रियाशीलता नष्ट हो जाती है तथा इसी तापमान पर अगर इसे 20-25 मिनट तक उबाला जाए तो ये मर जाते हैं। जल में ये जीवाणु एक से दो सप्ताह तक जीवित रहते हैं परन्तु इसमें इनकी गुणनक्रिया नहीं होती है। अम्लीय माध्यम (pH 5), धूप में सुखाने तथा उच्च तापमान पर ये जीवाणु पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं।

हैजा से ग्रसित व्यक्ति को दस्त के साथ-साथ उल्टी भी होने लगती है। दस्त अत्यंत पतले पानी जैसे होने लगते हैं जो देखने में चावल के मांड जैसे प्रतीत होते हैं। शरीर से अत्यधिक मात्रा में पानी के साथ-साथ तथा अन्य आवश्यक लवण, जैसे-सोडियम, पोटैशियम इत्यादि का भी निष्कासन हो जाता है रोगी के हाथ-पैरों की मांसपेशियों में तीव्र ऐंठन होती है। रोगी को तीव्र प्यास लगती है और पेशाब का निकलना बंद हो जाता है।

हैजा का कारण - Causes of Cholera in Hindi

हैजा के कारण कुछ इस प्रकार से हैं:-

  • हैजा रोग विब्रियो कॉलरा नामक जीवाणु से फैलता है
  • संदूषित भोजन, जल, दूध एवं दूध के उत्पाद, फल, साग-सब्जियों के प्रयोग से यह बीमारी फैलती है।
  • रोगी व्यक्ति के सम्पर्क में रहने, उसके साथ टहलने, खाने, सोने अथवा उसके कपड़े, तौलिया, बर्तन, रुमाल या कंघी के उपयोग करने से यह रोग स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है।
  • मक्खियाँ भी रोगी के मलमूत्र में बैठकर इसके जीवाणु को अपने पैरों, पंखो तथा अन्य अंगों द्वारा लाती हैं और बिना ढके भोज्य पदार्थों पर बैठकर इस रोग का संवहन करती हैं।

हैजा के लक्षण - Symptoms of Cholera in Hindi

हैजे की उग्रता शरीर से निकले तरल पदार्थ पर निर्भर करती है। एक रोगी व्यक्ति के शरीर से लगभग 15-20 लीटर पानी तरल दस्त एवं उल्टी के रूप में बाहर निकलता है।

हैजे के लक्षणों को निम्न तीन अवस्थाओं में बाँटा गया है:-

(1) निष्कासन अवस्था - इसमें तीव्र दस्त एवं उल्टी होते हैं। प्रारम्भ में दस्त के साथ-साथ मल का भी निष्कासन होता है परन्तु बाद में मल का निष्कासन बंद हो जाता है। दस्त चावल का मांड' जैसा होने लगता है तथा इसमें म्यूकस भी उपस्थित होता है। पानी जैसी उल्टी होने लगती है तथा इसमें भी आँत के म्यूकस उपस्थित रहते हैं। रोगी बिस्तर पर पड़े-पड़े ही अनैच्छिक रूप से दस्त तथा उल्टी करने लगता है। दिन में 35-40 बार दस्त हो जाता है।

(2) शक्तिहीनता की अवस्था - रोगी के शरीर से अत्यधिक जल एवं लवण के निष्कासन से निर्जलीकरण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तथा रोगी शक्तिहीन हो जाता है। आँखें भीतर की ओर धंस जाती हैं, गाल पिचक जाते हैं, हाथ-पैरों की माँसपेशियों में जबरदस्त ऐंठन होने लगती है, नाड़ी गति मंद पड़ जाती है, जीभ शुष्क हो जाती है, मूत्र का निकलना बंद हो जाता है तथा रोगी के शरीर का तापमान सामान्य से काफी कम हो जाता है। रक्तचाप भी अनियंत्रित हो जाता है। तीव्र प्यास लगती है, शरीर नीला हो जाता है, त्वचा की प्रत्यास्थता समाप्त हो जाती है तथा यह सिकुड़कर हड़ियों से सट जाती है। शरीर में निर्जलीकरण हो जाने से रक्त अम्लीय हो जाता है। फलत: रोगी की शीघ्र ही मृत्यु हो जाती है, समय पर किये गये उचित उपचार से व्यक्ति को मौत के मुँह में जाने से रोका जा सकता है।

(3) सुधार की अवस्था - अगर व्यक्ति को समय पर उपचार करके मृत्यु से बचा लिया जाता है तो उसके स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार आने लगता है। रक्तचाप सामान्य होने लगता है। शरीर का तापमान भी धीरे-धीरे बढ़कर सामान्य होने लगता है। मूत्र का निष्कासन भी धीरे-धीरे होने लगता है और व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने लगता है।

हैजा से बचाव के उपाय - Prevention From Cholera

हैजा से बचाव के उपाय कुछ इस प्रकार से हैं 

  1. संदूषित भोजन, जल, दूध, फल, सब्जियों इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  2. हैजे से ग्रसित व्यक्ति को तुरंत ही अस्पताल पहुँचाना चाहिए तथा स्वास्थ्य अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी आदि को फौरन सूचना देनी चाहिए जिससे कि रोग का निदान व उपचार किया जा सके।
  3. स्थानिक या महामारी फैलने पर प्रत्येक व्यक्ति को हैजे का टीका लगवाना चाहिए।
  4. भीड़, मेले, तीर्थ यात्रा, विदेश यात्रा आदि जाने से पूर्व इसके टीके लगवाने चाहिए।
  5. रोगी व्यक्ति को घर अथवा अस्पताल में अलग रखना चाहिए तथा उसके खाने के बर्तन, पीने के गिलास, बिस्तर, कपड़े, कंघी भी अलग रखनी चाहिए।
  6. रोगी के दस्त व उल्टी को कपड़े से पोंछकर जला देना चाहिए तथा उस स्थान की फिनाइल, क्रीसोल इत्यादि से सफाई कर देनी चाहिए।
  7. रोगी के वस्त्र, बर्तन तथा उसके उपयोग में ली गई अन्य वस्तुओं को फिनाइल, ब्लीचिंग पाउडर, क्रीसोल इत्यादि विसंक्रामक पदार्थ से धोना चाहिए।
  8. प्रत्येक खाद्य पदार्थ तथा दूध को ढंककर रखना चाहिए ताकि उस पर मक्खी न बैठने पाये।
  9. मलमूत्र, कूड़े-करकट एवं नाली के पानी के निष्कासन की उचित व्यवस्था करनी चाहिए।
  10. स्वच्छ वातावरण तथा शुद्ध पीने के जल की व्यवस्था करनी चाहिए।
  11. दूध को पीने से पूर्व आधे घंटे तक उबाल लेना चाहिए।
  12. महामारी की स्थिति में नीम्बू की शिकंजी, दही, मट्ठा इत्यादि का पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए।
  13. रोगी का तुरंत उपचार करना चाहिए।
  14. फल व सब्जियों को पोटैशियम परमैंगनेट से धोकर सेवन करना चाहिए।
  15. उबले हुए जल को ही पीने के कार्य में लेना चाहिए।
  16. बाजार की वस्तुएँ, जैसे-मिठाई, नमकीन, दही-बड़े, तली-भुनी चीजें आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  17. कैम्पा कोला, आइसक्रीम इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।

हैजा का घरेलू इलाज - Home Remedies For Cholera

नीचे बताए गए कुछ नुस्खे अपनाकर आप हैजा का घरेलू इलाज कर सकते हैं।

  • रोगी व्यक्ति को ओ.आर.एस. का घोल बार-बार देना चाहिए। ओ.आर.एस. के पैकेट सभी सरकारी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुफ्त मिलते हैं तथा लगभग सभी दवा विक्रेताओं एवं कैमिस्टों के यहाँ से 4-5 रुपये में खरीदे जा सकते हैं।
  • ओ.आर.एस. के एक पैकेट को, एक लीटर साफ पानी में मिलाएँ और घोल बनायें। इस घोल को चम्मच से बार-बार रोगी को पिलाते रहना चाहिए। अगर ओ.आर.एस. का पैकेट उपलब्ध नहीं हो तो घर पर ही नमक चीनी का घोल तैयार कर लेना चाहिए।
  • घर पर नमक-चीनी का घोल बनाने के लिए एक लीटर स्वच्छ पानी में 5 ग्राम नमक तथा 20 ग्राम चीनी मिलाएँ और घोल तैयार करें। अगर नीम्बू उपलब्ध हो तो उसका रस भी इस घोल में निचोड दें। एक वयस्क व्यक्ति को प्रति घंटा 750 मि.ली. तथा बच्चों को 300 मि.ली. प्रति घंटा यह घोल पिलाएँ। यह घोल जीवन रक्षक घोल'' है।
  • रोग की तीव्रता की स्थिति में जब रोगी मुँह के द्वारा तरल पदार्थ नहीं ले पा रहा हा तो शिराओं के द्वारा जल एवं लवण की पूर्ति ‘‘सेलाइन'' चढ़ाकर की जाती है। इसके "लए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने, दो प्रकार के घोल की प्रस्तावना की है-
  1. रिन्जर्स लैक्टेट घोल, तथा
  2. डायरिया ट्रीटमेन्ट घोल।

इन दोनों घोलों की अनपस्थिति में साधारण सेलाइन का भी प्रयोग किया जा सकता है।

हैजा का टीका - Vaccination For Cholera

रोग फैलने की स्थिति में मृत वित्रियो कॉलेरी से तैयार किया गया टीका लगाया जाता है। एक बार टीकाकरण होने से प्रतिरक्षण क्षमता 3 से 6 महीने तक बनी रहती है। मेले, भीड़, जलसे, त्यौहार, सामूहिक भोज इत्यादि के आयोजन से पहले इसके दो टीके लगाये जाते हैं।

प्रथम टीका 0.5 मि.ली। का तथा दूसरा टीका 1 मि.ली। का लगाया जाता है। दोनों टीकों में एक सप्ताह का अंतर होता है। इसे इनोकुलेशन कहते हैं। विदेश यात्रा, तीर्थ यात्रा इत्यादि करने के पूर्व इसके टीके को लगाना अनिवार्य होता है। अन्र्तराष्ट्रीय कानून के अन्र्तगत इस प्रकार के इनोकुलेशन पर जोर दिया जाता है तथा एक प्रमाण-पत्र दिया जाता है। बिना प्रमाण-पत्र के किसी भी व्यक्ति को विदेश यात्रा, हज इत्यादि करने की स्वीकृति नहीं दी जाती है।

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