हाई ब्लड प्रेशर गुर्दो की सूजन से, उपवृक्कों के विकारयुक्त होने से, पीयूष ग्रंथि के विकार के कारण, थायराइड ग्रंथि की सूजन से, मस्तिष्क की सूजन से, खून में ठोस पदार्थों की बढ़ोत्तरी से, हृदय से अतिरिक्त प्रवाह आदि कारणों से हाई ब्लड प्रेशर हो जाता है। चिंता, मानसिक परेशानी, नमक का अधिक सेवन, तीक्ष्ण पदार्थों के अधिक खाने से, शराब का लगातार सेवन करने से, अंडा-मांस के लगातार सेवन से भी यह रोग होता है।
रोगी को बेचैनी, बदन दर्द, भोजन में अरुचि, भोजन के बाद शिथिलता आदि लक्षण मिलते हैं। बाद में तेज सिर दर्द, चक्कर, निद का न आना, कार्य करने की अनिच्छा, छाती में दर्द, हृदय प्रदेश में पीड़ा, धड़कन का तेज होना, ललाट पर पसीना आना, सांस फूलना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं।
1।
रसराज रस 60 मि.ग्राम प्रवाल पिष्टी 120 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।
2। योगेंद्र रस या चर्तुमुख रस तथा जहरमोहरा पिष्टि या अकीक पिष्टी का प्रयोग लाभकर होगा।
3। वृहत वात चिंतामणि रस, हृद्य विश्वेश्वर रस, चिंतामणि चतुर्मुख रस या ब्राह्मीवटी का प्रयोग हितकार होगा।
4। सर्पगंधा घनवटी 2 गोली दिन में दो या तीन बार पानी से दें।
5। ब्राह्मी रसायन 10 ग्राम दिन में दो बार दें।
6। सारस्वतारिष्ट या अर्जुनारिष्ट 15-30 मि.लि। बराबर पानी मिलाकर भोजन के बाद दें।
7। सपना टेब, सरपानील टेब, सर्पगंधा मिश्रण, सपेरा टेबदो गोली दिन में दो-तीन बार लें।
8। शंखपुष्पी सीरप, बॅटो सीरप, बॅटो टेब दिन में दो बार दें।
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