ईसबगोल के फायदे - ईसबगोल की भूसी खाने के फायदे | Isabgol Ke Fayde

संस्कृत में ईसबगोल को ‘स्निग्ध बीजम्', 'ईषदगोलम', 'श्लषण जीरक' आदि नामों से पुकारते हैं। यह पौधा तीन फीट ऊँचा झाड़ीनुमा होता है। इसकी टहनियाँ पतली होती हैं और उनके सिरों पर गेहूँ की तरह बालियाँ निकलती हैं। उन बालियों में चाकलेटी रंग का छोटा-छोटा बीज होता है। उस बीज पर भूसी होती है। इस भूसी को ईसबगोल की भूसी कहते हैं। इस भूसी को बीजों के ऊपर से साफ किया जाता है। भारत में इसकी खेती बहुतायत से होती है। यह भूसी अत्यंत गुणकारी है।

ईसबगोल के रोगोपचार में फायदे

पेट के रोगों के लिए ईसबगोल रामबाण जड़ी है। इसकी तासीर शीतल होती है। यह अत्यंत पुष्टिकारक होती है। इसकी भूसी चिकनी होती है, जो पानी में या दूध में डालने पर फूलकर गाढ़ी हो जाती है। वात, कफ, पित, दस्त, कब्ज, प्रमेह आदि में यह अत्यंत गुणकारी है। आँव खून को दूर करती है। घरेलू औषधि के रूप में यह अत्यधिक प्रसिद्ध है। यह शुक्रमेह में बहुत अच्छा काम करती है और कब्ज नहीं होने देती।

1. पेट के रोग में ईसबगोल के फायदे

पेट में कैसा भी रोग हो, यथा कब्ज-वायु-कोप, पेट-दर्द, अपच, मन्दाग्नि, अरुचि, जलन, कफ, पित्त, गर्मी आदि होने पर ईसबगोल की एक-दो चम्मच भूसी रात्रि में सोते समय गर्म दूध के साथ सेवन करें। सुबह पेट साफ हो जाएगा और बड़ा आराम महसूस होगा।

2. पेचिस, रक्त आँव, दस्त अथवा उल्टी में ईसबगोल के फायदे

ईसगोल की एक-दो चम्मच भूसी ताजी दही में मिलाकर हल्का-सा काला नमक छिड़क लें और जरासा भुना हुआ जीरा मसलकर डाल लें। फिर उसे मिलाकर चम्मच से खाएँ। दिन में सुबह, दोपहर, शाम खाने से दो दिन में ही उपर्युक्त सारी बीमारियों में आराम आ जाएगा।

3. शरीर की गर्मी को दूर करने में ईसबगोल के फायदे

ईसबगोल के पत्ते धनिये के पत्तों की तरह ठण्डे होते हैं। इसके पत्तों को चबाने से शरीर की गर्मी शांत हो जाती है।

4. पेचिस में ईसबगोल के फायदे

ईसबगोल के बीज एक चम्मच, इन्द्रायण के बीज एक चम्मच, दोनों को मिलाकर चूर्ण बना लें और उसे गर्म दूध या जल के साथ सेवन करें। पेचिश ठीक हो जाएगी।

5. कफ और ठण्ड में ईसबगोल के फायदे

ईसबगोल के बीजों का काढ़ा बनाकर रात्रि में सेवन करने से कफ और ठंड में राहत मिलती है।

6. सूजन दूर करने में ईसबगोल के फायदे

शरीर के किसी अंग में सूजन होने पर इसके पत्तों और जड़ को पानी के साथ पीसकर लेप करने से सूजन उतर जाती है।

7. कफ के साथ रक्त आने पर में ईसबगोल के फायदे

ईसबगोल के हरे पत्तों को कूटकर उसका10 ग्राम रस ले लें और उसे पी जाएँ। दो चार बार पीने से कफ के साथ खून आना बंद हो जाएगा।

8. मल-मूत्र की रुकावट में ईसबगोल के फायदे

ईसबगोल का बीज स्वाद में मीठा होता है और उसे खाने पर मुख में चिपचिपापन सा महसूस होता है। उसे पेट में पहुँचाने के लिए गर्म दूध का प्रयोग करना चाहिए। एक बार में आधा चम्मच से अधिक सेवन न करें। रात्रि में दूध के साथ लेने पर वायु खारिज होती है, आँतों में चिकनापन उत्पन्न होता है और मल-मूत्र खुलकर साफ हो जाता है।

9. खूनी बवासीर में ईसबगोल के फायदे

२ चम्मच ईसबगोल की भूसी गर्म दूध के साथ नित्य रात्रि में सोने से पहले लेने पर शीघ्र ही खूनी बवासीर दूर हो जाती है।

10. संग्रहणी में ईसबगोल के फायदे

आँतों में जल, मल और वायु रुक जाती है और पेट का भोजन हजम न होकर सड़ने लगता है और बिना पचे ही मलद्वार से बाहर निकल जाता है, तब वह ‘संग्रहणी रोग' का रूप धारण कर लेता है। इसके कारण पेट में भयानक पीडा होने लगती है और ऐसा लगता है कि जैसे पेट में आग लगी हो। तब रात्रि में ईसबगोल की भूसी को गर्म दूध के साथ लेना चाहिए। दूध में शहद या मिश्री मिला लेनी चाहिए। मल गाढ़ा होकर संतुलित होकर निकलने लगता है।

11. आँतों में जख्म में ईसबगोल के फायदे

आँतों में जख्म हो जाने से पाचन-शक्ति नष्ट हो जाती है। इसके लिए ईसबगोल की भूसी रामबाण औषधि है। इसे गर्म जल या दूध से सुबह शाम दो-दो चम्मच लें। जल्द आराम मिलेगा। यह शरीर की विषैली सामग्री और कीड़ों को अपने साथ बाहर निकाल लाती है।

12. ज्वरातिसार, पितातिसार, रक्तस्राव एवं शुक्रमेह में ईसबगोल के फायदे

ईसबगोल की भूसी 2 चम्मच, छोटी इलायची और धनिया एक-एक चम्मच लेकर उसका चूर्ण बना लें। नित्य 5 ग्राम दिन में दो-तीन बार गर्म जल और दूध से लेने पर उपर्युक्त सभी बीमारियों में बड़ा लाभ होता है।

13. स्वप्नदोष में ईसबगोल के फायदे

प्रायः कामोतेजना के कारण स्वप्न में वीर्य स्खलित हो जाता इसे स्वप्नदोष कहते हैं। यह कोई बीमारी नहीं है। उम्र के किसी भी पड़ाव में यह हो जाता है। किन्तु इसका बार-बार होना चिन्ता का कारण बन जाता है। कभी कभी रात्रि में स्वप्न दोष हो जाने के बाद मूत्र त्याग न करने से वीर्य के कतरे लिंग की नली में रह जाते हैं और वे जरक बना लेते हैं। वह बाद में ‘सुजाक' का रूप धारण कर लेता है। पेशाब करने में बड़ी जलन और पीड़ा होती है। पेशाब की नली से पीब आने लगता है। यह घातक रोग है।

इसलिए स्वप्नदोष होने पर तत्काल पेशाब करके मूत्र नली को साफ पानी से धो लेना चाहिए और रात्रि में गर्म या ठंडे दूध के साथ ईसबगोल की एक चम्मच भूसी का प्रयोग करें। इससे स्वप्नदोष रुक जाते हैं। सोने से पहले पैरों को शीतल जल से धो लेना चाहिए।

14. शीघ्र पतन या स्तम्भन में ईसबगोल के फायदे

ईसबगोल की भूसी, खसखस और मिश्री, प्रत्येक 5-5 ग्राम लेकर पानी के साथ लेने पर शीघ्र ही शीघ्रपतन की बीमारी दूर हो जाती है और आदमी की स्तम्भन शक्ति में वृद्धि होती है। काम सुख में पूर्णता प्राप्त होती है। इसका सेवन 3-4 माह तक करना चाहिए। धातु (वीर्य)गाढ़ी और पुष्ट हो जाएगी।

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