पीलिया (जोंडिस) क्या है | पीलिया के प्रकार और घरेलु इलाज

जिस रोग में रोगी की आंखें, त्वचा, मुख एवं नाखून हल्दी के समान पीले हो जाते हैं। रोगी का वर्ण बरसाती मेढक के समान पीला हो जाता है। उसे पीलिया या जोंडिस कहते हैं।

पीलिया (जोंडिस) दो प्रकार के होते है-

(1) कोष्ठाश्रित जोंडिस

(2) शाखाश्रित जोंडिस।

1. कोष्ठाश्रित जोंडिस के लक्षण-

  • भूख का कम लगना
  • दुर्बलता, थकावट
  • कब्ज का होना
  • खाए हुए भोजन का पाचन न होना
  • भोजन में अरुचि
  • मितली
  • मुंह का रंग पीला या लाल रंग का होना

ये लक्षण मुख्य रूप से कोष्ठाश्रित जोंडिस के हैं।

2. शाखाश्रित जोंडिस के लक्षण-

  • उदर शूल
  • भूख कम लगना
  • दुर्बलता
  • पेट के दक्षिण की तरफ बेचैनी
  • शरीर के वजन की लगातार कमी
  • पेट में अफारा, गुड़गुड़ाहट होना
  • मूत्र का पीला होना
  • मल का सफेद होना

ये लक्षण मुख्य रूप से शाखाश्रित जोंडिस के हैं।

 

पीलिया में घरेलु इलाज 

(1) गिलोय का ताजा रस 15 मि.लि। शहद में मिलाकर दिन में दो बार दें।

(2) आरोग्यवर्द्धनी वटी 500 मि.लि। ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार दें।

(3) मंडूर भस्म 1-2 ग्राम शहद में मिलाकर दो बार दें।

(4) निशालौह 500 मि.ग्राम दिन में तीन बार मिलाकर साथ दें।

(5) कुटकी चूर्ण 1 ग्राम, हरीतकी चूर्ण 1 ग्राम दिन में तीन बार मधु व नींबू के रस से दें।

(6) कामलाहर रस 500 मि.ग्राम दिन में तीन बार लेना चाहिए।

(7) काशीस भस्म 240 मि.ग्राम, त्रिकटु चूर्ण 1 ग्राम दिन में तीन बार मधु व नींबू के रस के साथ दें।

(8) फलत्रिकादि काढा 50 मि.लि। प्रातः एक बार दें।

(9) पर्पटाद्यारिष्ट या धात्र्यारिष्ट 30 मि.लि। समभाग जल मिलाकर दें।

(10) द्रोण पुष्पी का रस या नीम के पत्तों का रस आंखो में अंजन करें।

(11) पुनर्नवा तेल की मालिश करें।

(12) तीखी मूली का रस 40 मि.लि., और अदरक रस 15 मि.लि।

शक्कर 12 ग्राम मिलाकर दो बार पिलाएं।

लाभ - गेहं, जौ, चना, दलिया, खिचड़ी, पालक, मेथी, बथुआ, लौकी, तोरई, टिंडा, परवल, कच्ची मली। पपीता, मौसमी, अनार, सेव, नारियल पानी, आंवला, बकरी या गाय का दूध, छाछ, गन्ने का रस लाभकारी है।

नुकसान - मिर्च, तेल, गरम मसाला, आलू, चावल, पीले रंग की वस्तु, हल्दी, तले पदार्थ, चाय, काफी उडद का सेवन हानिकारक है।

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