काली खाँसी का घरेलू इलाज, इसके लक्षण और बचाव

काली खाँसी सांस से संबन्धित एक बीमारी है जिसके बारे में आज हम आपको विस्तार से बताने वाले है। अगर आप काली खाँसी से जुड़ी जानकारी जैसे - काली खाँसी क्या होती है, काली खाँसी का प्रसार कैसे होता है, काली खाँसी के लक्षण एवं बचाव क्या-क्या हैं, और काली खाँसी के घरेलू इलाज के बारे में जानना चाहते हैं तो यह आर्टिक्ल पूरा पढ़ें इसमे आपको काली खाँसी से जुड़ी हर जानकारी विस्तार में मिल जाएगी।

काली खाँसी क्या होती है? - What Is Whooping Cough in Hindi?

काली खाँसी या कुकुर खाँसी एक तीव्र संक्रामक वायु संचारित श्वसन सम्बन्धी रोग है। यह रोग खासकर छोटे बच्चों पर जिनकी उम्र 5 वर्ष से कम है उन पर अधिक और जल्दी आक्रमण करता है। छ: महीने के बच्चों को यह रोग बुरी तरह से परेशान करता है, लड़के की अपेक्षा लडकियाँ इस रोग का अधिक शिकार होती हैं

इस रोग को फैलाने वाले जीवाणु को बोर्डेटेला परटूसिस कहते हैं। बोडैटेला जीवाणु तीन प्रकार के होते हैं। जिनमें से बोर्डटेला परटूसिस तथा बोर्डटेला पैरापरटूसिस बच्चों में काली खाँसी फैलाते हैं तथा इसकी तीसरी जाति जानवरों में श्वसन सम्बन्धी रोग फैलाती है।

यह रोग विश्व के लगभग सभी देशों में पाया जाता है। चीन में इस रोग को ‘सौ दिन वाली खाँसी'' कहा जाता है। सर्दी एवं बसंत ऋतु में यह रोग अधिक फैलता है। ठंडे प्रदेश तथा ठंड के मौसम में इसके जीवाणु अधिक पनपने हैं तथा रोग को फैलाते हैं।

काली खाँसी का प्रसार - Expansion of Whooping Cough

काली खाँसी एक एक छूत की बीमारी है जो इन कारणों से फैलती है:

  • जब इस रोग से ग्रसित व्यक्ति खाँसते अथवा छींकते हैं तो लाखों की संख्या में इसके जीवाणु वातावरण में फैल जाते हैं।
  • रोगी के इधर-उधर थूकने तथा नाक के स्राव को जहाँ-तहाँ पोंछने से यह रोग फैलता है।
  • रोगी के बर्तन, कपड़े, रुमाल, तौलिया तथा अन्य वस्तुएँ जो उनके उपयोग में ली गई हैं, से इस रोग का प्रसार होता है।
  • रोगी व्यक्ति के सीधे सम्पर्क से।

काली खाँसी के लक्षण - Symptoms of Whooping Cough in Hindi

शुरुआत में तो काली खाँसी पता नहीं चलती लेकिन अगर आपको काली खाँसी होती है तो कम से कम 8 से 10 दिन में इसके लक्षण शरीर में देखने को मिलते हैं इनमे से कुछ मामूली लक्षण हैं जुखाम तथा हल्का बुखार, अन्यथा काली खाँसी के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं।

  • प्रारम्भ में हल्का बुखार एवं खाँसी रहती है
  • 8-10 दिन बाद खाँसी तीव्र हो जाती है तथा खाँसी के दौरे पड़ने लगते हैं
  • रोगी के खाँसते समय आँखें लाल हो जाती हैं
  • मुँह एवं होंठ नीले पड़ जाते हैं
  • रोगी साँस लेते समय कठिनाई अनुभव करता
  • लम्बी-लम्बी साँस लेने लगता
  • भूख में कमी लगती है
  • खाना अच्छा नहीं लगता है
  • कमजोरी आ जाती है
  • नींद नहीं आती है
  • दिन की अपेक्षा रात को अधिक खाँसी रहती है।

काली खाँसी से बचाव - Prevention From Whooping Cough

काली खाँसी से बचाव के उपाय कुछ इस प्रकार हैं:

  • रोगी की पहचान करके तुरन्त पृथक्करण करना चाहिए
  • अस्पताल ले जाकर चिकित्सीय जाँच शुरू कर देनी चाहिए तथा रोग के निदान हेतु उपचार शुरू कर देना चाहिए।
  • रोगी बच्चे को कम-से-कम 2-3 सप्ताह तक स्कूल नहीं भेजना चाहिए।
  • रोगी बच्चे के साथ स्वस्थ बच्चों को नहीं खेलने देना चाहिए।
  • रोगी के कमरे, वस्त्र, पेंसिलें, खिलौने तथा अन्य उपयोग में ली गई वस्तुओं को विसंक्रमित करना चाहिए।

काली खाँसी का घरेलू इलाज - Home Remedies For Whooping Cough in Hindi

काली खाँसी का घरेलू इलाज हमारी रसोई में ही मौजूद है, आवश्यकता है तो बस हमें उन चीजों को पहचानने की, तो आइये बात करते हैं उन घरेलू सामाग्री की जिनकी मदद से हम आसानी से काली खाँसी का घरेलू इलाज कर सकते हैं:

1. अदरक

काली खाँसी को रोकने के लिए अदरक एक बहुत ही बढ़िया सामग्री है। अदरक में एंटीबैक्टीरियल इम्यून बूस्टिंग गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में हमारी मदद करते हैं और जल्द ठीक होने में सहायता प्रदान करते हैं।

तरीका: एक बड़ा चम्मच अदरक का रस निकालकर शहद में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें, काली खाँसी दूर हो जाएगी।

2. हल्दी

हल्दी में भी एंटीवायरल गुण होते हैं जो काली खाँसी को ठीक करने में आपकी काफी मदद कर सकते हैं।

तरीका: एक चम्मच शहद में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करें, ऐसा करने से काली खाँसी से जल्द आराम मिलेगा।

3. लहसुन

लहसुन में काली खाँसी से लड़ने के लिए अच्छे गुड़ मौजूद हैं। इसमें पर्याप्त मात्रा में जीवाणुरोधी गुण हैं जो आपको काली खासी से आराम दिलाने में काफी सहायक हैं।

तरीका: इसमें आपको एक सप्ताह में पूरे दिन में दो बार ताजे लहसुन के रस का भाप लेना है, भाप लेने के लिए आप लहसुन के रस को गर्म पानी में डालकर इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर आप भाप कि मशीन का भी उपयोग कर सकते हैं।

काली खाँसी का टीका - Vaccination For Whooping Cough

समय से DPT का टीका लगाकर बच्चों को इस रोग से बचाया जा सकता है। DPT का टीका मृत बेसिलस से तैयार किया जाता है। यह टीका 1.5 माह से शुरू करके 9 माह की उम्र तक 3 खुराक में दिया जाता है। दो टीकों के बीच एक माह का अंतराल रहता है, जैसे-अगर पहला DPT का टीका 1.5 माह में दिया गया है तो दूसरा 2.5 माह में तथा तीसरा टीका 3.5माह में देना होगा। इसके बाद बूस्टर डोज 18-24 माह (1.5-2 वर्ष) में तथा 5 वर्ष की आयु में दिया जाता है। परन्तु विशेष परिस्थिति में, जैसे-समुदाय में काली खाँसी फैली हो, तो DPT का टीका नवजात शिशु में 1 महीने की उम्र में लगा देना चाहिए। यह टीका मांसपेशियों में सुई लगाकर दिया जाता है।

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