खैर के फायदे – खैर के लकड़ी व छाल के फायदे | Khair Ke Fayde In Hindi

खैर को संस्कृत में ‘खदिर', 'रक्तसार', ‘सोमवल्क’, ‘कदर', 'दन्तधावत', ‘कण्ठकी', ‘यक्षीय' आदि नामों से पुकारा जाता है। खैर वृक्ष जंगल में होते हैं। ये अधिकतर नैनीताल, नेपाल और बिहार की तराई में पड़ने वाले जंगलों में बहुतायत से पाए जाते हैं। इसकी शाखाएँ काँटे दार होती हैं। इसके पत्ते बबूल के पत्तों की तरह परस्पर सटे हुए होते हैं। इसकी शाखाओं और तने से निकलने वाले दूध को सुखाकर ‘कत्था' बनाया जाता है, जो प्रायः पान में लगाकर या पान मसाले में मिलाकर खाया जाता है। लगभग दो हजार साल से कत्थे का भारत में प्रयोग होता रहा है।

खैर के रोगोपचार में फायदे

खैर (कत्थे) का प्रयोग मुख में होने वाले अनेक रोगों में, जैसे-छाले, दाँत का कीड़ा, पायरिया, मुँह की बदबू आदि में बड़ा लाभकारी होता है। यह तासीर में शीतल होता है। स्वाद में कसैला होता है। खाँसी, प्रमेह, घाव, बवासीर, सफेद दाग, पित्त, कफ, दाह आदि रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है। यह वीर्यवर्द्धक नेत्रों के लिए हितकारी, दुर्गन्ध को दूर करने वाला होता है।

1. दाँत के रोग में खैर के फायदे

दाँतों में कीड़ा लगने पर, दाँत खोखले होने पर, दाँत दर्द होने पर, दाँतों में कत्थे का पान के साथ प्रयोग करें। ये रोग शांत हो जाएँगे। कत्थे के पानी के कुल्ले करने से पायरिया रोग ठीक हो जाता है। पित्त, त्वचारोग, प्यास- कत्था, कपूर की मालिश करने पर त्वचा के रोगों का शमन तो होता ही है, 'पित्त' और 'प्यास' भी शांत होती है।

2. मसूड़ों से रक्त आना में खैर के फायदे

खैर की छाल या लकड़ी का काढ़ा बना लें और उसके कुल्ले करें तथा उसे पी लें। इससे मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं और मसूड़ों से रक्त आना बंद हो जाता है।

3. पेचिस, संग्रहणी, उल्टी,यदि में खैर के फायदे

खैर की लकड़ी की छाल उतारकर अलग कर दें और उस भीतरी लकड़ी को कूटकर उसे कपड़छन करके महीन चूर्ण बना लें या फिर कत्था लेकर उसे पीस लें। पाँच-पाँच ग्राम की खुराक शहद के साथ रोगी को चटाएँ। निश्चित रूप से लाभ होगा।

4. खाँसी, कफ, साँस की तकलीफ में खैर के फायदे

खाँसी, कफ, साँस की तकलीफ में कत्था और बेल को सम भाग में लेकर गोलियाँ मटर के दाने के बराबर बना लें। एक गोली मुँह में रखकर चूसने से उपर्युक्त रोगों में बड़ा लाभ पहुँचता है।

5. बवासीर में खैर के फायदे

बवासीर के मस्सों को कत्थे के जल से धोने पर बड़ा आराम मिलता है और चुटकी भर कत्थे के चूर्ण को केले पर डालकर उसे 15 दिन तक दिन में 2-3 बार खाएँ। कैसी भी बवासीर हो बादी या खूनी, दोनों में आराम मिलता है। और यह रोग ठीक हो जाता है।

6. कान का बहना और दर्द में खैर के फायदे

कत्थे के जल से रात को धोने से पीब आनी बंद हो जाती है और दर्द भी जाता रहता है। रूई की फुरेरी से बाद में कान को अच्छी प्रकार से साफ कर लेना चाहिए।

7. चर्म रोग में खैर के फायदे

चर्म रोग में शरीर की त्वचा ‘फटने लगे, ‘खुश्क' हो जाए, 'जख्म' या ‘फोड़े-फुसी' हो जाएँ या ‘दाद छाजन', ‘खाज-खुजली' अथवा 'कोढ़', 'सफेद दाग' हो जाएँ तब खैर की लकड़ी का काढ़ा बनाकर रोगी को कम-से-कम 15-20 दिन पिलाएँ। इससे सभी रोगों में आराम मिलता है। काढ़ा लकड़ी पर से छाल उतारकर ही बनाना चाहिए। भीतरी लकड़ी को सिल पर घिसकर सफेद दाग' पर लेप करना चाहिए।

8. सफेद दाग' में खैर के फायदे

के लिए एक उपचार यह भी है कि खैर की लाल लकड़ी को बर्तन में पानी भरकर रख दें। दूसरे दिन उस पानी में थोड़े-से आवले या उनका चूर्ण डालकर उबालें और उसका काढ़ा बना लें। उस काढ़े में थोड़ा-सा 'सावची' का चूर्ण डालकर अच्छी तरह मिला दे। फिर प्रतिदिन तीन बार एक-एक चम्मच या दो-दो चम्मच सेवन करें। इससे सफेद दाग' जल्द ठीक हो जाते हैं।

9. प्रदर रोग में खैर के फायदे

प्रदर रोग में खैर के काढ़े की पिचकारी योनि में देनी चाहिए। इससे प्रदर रोग में बड़ा आराम मिलता है और यह रोग जल्दी ठीक हो जाता है।

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