खसरा का घरेलू इलाज, इसके कारण, लक्षण एवं बचाव
इस आर्टिकल में हम आपको खसरा से जुडी हर जानकारी से अवगत कराएँगे कि खसरा क्या होता है, खसरा किन कारणों से होता है, खसरा के लक्षण क्या-क्या हैं, खसरा का घरेलू इलाज कैसे कर सकते हैं इत्यादि। तो आइये जानते हैं कि आप खसरा जैसी भयानक बीमारी से कैसे खुद को एवं अपने बच्चों को बच सकते हैं।
।
।
।
खसरा एक तीव्र संक्रामकरोग है जो अधिकांश 6 माह से 10 वर्ष के बालकों में होता है। यह एक विश्वव्यापी रोग है। संसार का शायद ही कोई ऐसा कोई देश होगा जहाँ इस रोग ने अपना आक्रमण नहीं फैलाया होगा। यद्यपि खसरा स्थानिक बीमारी है परन्तु कभी-कभी यह उग्र रूप धारण कर महामारी भी बन जाता है। जब से खसरे के टीके का आविष्कार हुआ है, तब से इस पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सका है। विकसित देश इस रोग से लगभग मुक्त हैं। परन्तु विकासशील देशों में खसरा यदा-कदा अपना उग्र रूप दिखा ही देता है।
।
।
खसरा को रूबेओला भी कहा जाता है। जिसका अर्थ होता है ‘Red Spot' अर्थात् लाल धब्बे। खसरा रोग की खोज का श्रेय अरब चिकित्सक अबु बैकर को जाता है। उन्होंने ही सर्वप्रथम (865-925 A.D) इस रोग के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन किया। सन् 1946 में पैनम नामक वैज्ञानिक ने इसका वर्गीकरण किया। 1958 में सबसे पहले खसरे के टीका का प्रयोग रोग विषयक जाँच के आधार पर किया गया। फिर 1963 में खसरा टीका को प्रयोग हेतु लाइसेंस दिया गया।
।
।
खसरा रोग एक प्रकार के वायरस से फैलता है। यह वाइरस मिक्सोवायरस फॅमिली का है, इस वाइरस का नाम है-'RNA पैरामिक्सो वाइरस'। इस रोग का उदभवन काल 10-14 दिन का होता है तथा इसका संक्रमण काल दाने निकलने के 4-5 दिन पूर्व से 8 दिन बाद तक रहता है।
खसरा एक जानलेवा रोग है जिसके कारण प्रतिवर्ष हजारों बच्चों की मृत्यु हो जाती है। विकासशील देशों में विकसित देशों की अपेक्षा इस रोग के कारण शिशु मृत्यु दर अधिक है। प्रतिवर्ष विकासशील देशों में केवल खसरे के कारण 2-15% बच्चे मर जाते हैं जबकि विकसित देशों में मत्यु दर 0.2 प्रति 10,000 है। कुपोषित बालकों की मृत्यु इस रोग के कारण सर्वाधिक होती है क्योंकि उनके शरीर में रोगरोधक क्षमता कम होती है।
।
।
खसरा के कारण कुछ इस प्रकार हैं:
।
।
।
खसरा के लक्षणों को मुख्य तीन चरणों में बाँटा जा सकता है:-
- 1. प्रारम्भिक चरण
- 2. द्वितीयक/विस्फोटक चरण
- 3. खसरा होने के बाद वाला चरण
।
1। प्रारम्भिक चरण: यह संक्रमण होने के लगभग 10 दिनों बाद शुरू होता है तथा 14 दिनों तक चलता रहता है। इस चरण के लक्षण कुछ इस प्रकार से हैं।
- रोगी को हल्का बुखार, जुकाम, सिरदर्द, खाँसी, छींक, कंपकंपी, बदन दर्द, जोड़ों मेंदर्द होने लगता है। 1-2 दिन बाद बुखार बढ़कर 103°F तक हो जाता है।
- आँखें लाल हो जाती हैं।
- नाक एवं आँखों से पानी निकलने लगता है।
- कभी-कभी रोगी को उल्टी एवं दस्त लगने शुरू हो जाते हैं।
- दाने निकलने से 1-2 दिन पूर्व मुँह के भीतरी भाग में मसूडों के पास ‘कॉपलीक के धब्बे' दिखाई देने लगते हैं। ये धब्बे लाल आधार लिए, नीलापन तथा सफेद रंग के होते हैं।
।
2। द्वितीय चरण/विस्फोटक चरण: इस चरण में निम्नांकित लक्षण दिखाई पड़ते हैं
- रोगी व्यक्ति के कानों के पीछे से मटमैले रंग के लाल दाने निकलने शरू हो जाते हैं। ये दाने कुछ ही घण्टों में चेहरे, गर्दन, पेट, पीठ, हाथ, पैर, जाँघ आदि हिस्सों मेंफैल जाते हैं।
- सम्पूर्ण शरीर पर लाल दाने निकल आते हैं।
- दानों को पकने में 2-3 दिन का समय लगता है।
- इन दोनों में 1-2 दिन तक बहुत अधिक तीव्रता रहती है परन्तु इनमें चेचक तथा छोटी माता की भाँति पस नहीं रहता।
- 3-4 दिन बाद दाने मुरझाने लगते हैं तथा बुखार उतर जाता है।
- 8-9 दिन में लगभग सभी दाने सूख जाते हैं। वहाँ खुरंट पड़ जाता है और ये खूरंट स्वत: ही झड़-झड़कर गिरने लगते हैं।
- दाने/खुरंट वाले स्थान पर भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं जो 2 महीने तक चलते हैं।
।
3। खसरा होने के बाद वाला चरण:
- इस चरण में दाने सूखकर झड़ जाते हैं।
- खसरा रोग का अन्त हो जाता है परन्तुबालक बहुत ही कमजोर एवं निर्बल हो जाता है।
- बच्चे का वजन कम हो जाता है।
- कमजोरी की अवस्था में दूसरे संक्रामक रोग भी शीघ्रता से आक्रमण कर देते हैं, जिससे दस्त, वमन, न्यूमोनिया, क्षय रोग आदि होने का खतरा बढ़ जाता है।
।
।
।
घर में मौजूद कई चीजों से हम खसरा का घरेलू इलाज कर सकते हैं, जिनमे से कुछ सामान्य सामाग्री इस प्रकार हैं:
- नारियल पानी: नारियल पानी में कई पोषक तत्व और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो शरीर के अवांछित विषाक्त तत्वों को साफ करने में मदद करते हैं। यह खसरे से शीघ्र स्वस्थ होने में भी मदद करता है। खसरे से पीड़ित होने पर दिन में कम से कम दो बार नारियल पानी पीना चाहिए।
- आंवला: आंवला, जिसे भारतीय करौदा के रूप में भी जाना जाता है, विटामिन सी का एक उत्कृष्ट स्रोत है जो खसरे का कारण बनने वाले वायरस के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है। इसकी उच्च एंटीऑक्सीडेंट सामग्री भी खसरे के प्रभावी उपचार में मदद करती है।
- हल्दी: हल्दी में अद्भुत एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो इसे खसरे के खिलाफ बहुत प्रभावी बनाते हैं। इसके लिए आपको दें में एक बार एक चम्मच हल्दी के साथ दो गिलास दूध पीना बहुत ही बेहतरीन इलाज माना गया है। यह जल्दी से लक्षणों को कम कर देता है।
- नीम: नीम या भारतीय बकाइन अपने जीवाणुरोधी और एंटी-एलर्जेनिक गुणों के लिए बहुत लोकप्रिय है। खसरे से पीड़ित होने पर, त्वचा पर प्रभावित क्षेत्रों पर नीम की पत्तियों का पेस्ट लगाएँ। यह चकत्ते के कारण होने वाली खुजली से जल्द राहत दिलाता है।
- करेला: करेले में भी एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो खसरे के विभिन्न लक्षणों से निपटने में मदद करते हैं। इसके अलावा, इसमें विटामिन सी, जस्ता, लोहा, पोटेशियम और आहार फाइबर हैं, जो प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने और उपचार प्रक्रिया को गति देने में सहायता प्रदान करते हैं।
।
।
।
खसरा रोग से बचाव के उपाय कुछ इस प्रकार हैं:
- पृथक्करण: रोग का सन्देह होते ही रोगी व्यक्ति को तुरन्त स्वस्थव्यक्ति से अलग कर देना चाहिए। इस बात का कदापि इन्तजार नहीं किया जाना चाहिए कि दाने निकलेंगे तभी अलग किया जाएगा।
- अधिसूचना: चूँकि खसरा एक तीव्र संक्रामक रोग है। अत: इसकी सूचना तत्काल स्वास्थ्य अधिकारी/जिलाधीश/सम्बन्धित अधिकारियों को दी जानीचाहिए।
- रोगी व्यक्ति के नाक, गले, मुँह आदि से निकले स्राव को कागज,कपड़े या रूई पर लेकर जला देना चाहिए।
- रोगी के बिस्तर, वस्त्र, कमरे आदि का विसंक्रमण करते रहना चाहिए। रोग ठीक होजाने पर रोगी द्वारा उपयोग में ली गई सभी सामग्रियों का विसंक्रमण किया जानाअत्यावश्यक है।
- खसरा से पीड़ित बच्चों को कम-से-कम 10 दिन तक विद्यालय नहीं भेजना चाहिए और न ही स्वस्थ बच्चों के साथ खेलने की इजाजत देनी चाहिए।
- यदि खसरा स्थानिक बीमारी की तरह फैला है तो कुछ दिनों के लिए विद्यालय बन्द कर देना चाहिए।
- खसरा महामारी का उग्र रूप धारण करे, इससे पहले ही बच्चों को खसरे का टीका जरूर लगा देना चाहिए।
- रोगी व्यक्ति की उचित देखभाल की जानी चाहिए क्योंकि रोग की तीव्रता की स्थिति में जुकाम होता है।
।
पूछें गए सवाल