इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपको मलेरिया से जुड़ी सभी जानकारियों जैसे- कुष्ठ रोग क्या होता है, कुष्ठ रोग का प्रसार कैसे होता है एवं इससे बचने के उपाय जैसी हर जानकारी से अवगत कराना चाहते हैं ताकि आप इस बीमारी से खुद को एवं अपने बच्चों को बचा सकें।
कुष्ठ रोग को ‘हेन्सेन का रोग' भी कहते हैं क्योंकि हेन्ये ने ही सबसे पहले कुष्ठ रोग के बैक्टीरिया का पता लगाया था। यह जीर्ण संक्रामक है। जो M.leprae के कारण फैलता है। इसके अलावा यह त्वचा, पेशियों, अस्थियों, हड़ियों, पुरुष के अण्डकोषों एवं शरीर के अन्य आन्तरिक अंगों को भी प्रभावित करता है और उन्हें अपना शिकार बनाता है। कुष्ठ रोगी की तंत्रिकाएँ मोटी हो जाती हैं। त्वचा में संवेदनशीलता नहीं रहती है। हाथ-पैरों की अँगुलियों में घाव हो जाता है तथा धीरे-धीरे गलकर वे नष्ट होने लगती हैं। इसके अतिरिक्त शरीर में अन्य कई विकृतियाँ भी उत्पन्न हो जाती हैं। नाखुनं गलकर गिर जाते हैं। हाथ-पैर ढूँठ हो जाते हैं। कुष्ठ रोगी का शरीर देखने में अत्यन्त ही भयावह एवं डरावना लगता है।
कुष्ठ रोग को ‘सामाजिक रोग' भी कहते हैं। क्यो कि सामाजिक कारक भी इसके प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि यह रोग पापियों को होता है जिन्होंने चोरी, डकैती, हत्या, बलात्कार, आगजनी जैसे जघन्य अपराध किये हैं और इसी की सजा ईश्वर ने कुष्ठ देकर दी है। इसी कारण इसे सामाजिक रोग' की संज्ञा दी गई है। अन्यथा कुष्ठ रोग का प्रसार निम्नलिखित कारणों से होता है:-
अप्रत्यक्ष रूप से यह रोगी के बर्तन, बिस्तर, पहनने-ओढ़ने के वस्त्र से फैलता है।
अगर नीचे दी गयी निम्नलिखित बातों का ध्यान दिया जाये तो कुष्ठ रोग से बचाव किया जा सकता है:-
व्यक्तिगत स्वच्छता अपनानी चाहिए,आसपास के वातावरण को भी साफ-सुथरा रखना चाहिए।
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