क्या होता है चेचक - चेचक का घरेलू इलाज, चेचक के लक्षण और कारण

क्या होता है चेचक ये लोगो के मन मे बहुत से सवाल पैदा करता है क्यू कि इसे बड़ी माता या शीतला भी कहते हैं। चेचक एक विश्वव्यापी रोग है। यह एक तीव्र संचार रोग मतलब तेजी से फैलने वाला रोग है जो वेरिओला वायरस के द्वारा फैलता है। यह एक संक्रामक एवं भयंकर छूत की बीमारी है। चेचक एक अत्यंत संक्रामक और घातक वायरस है जिसके लिए कोई ज्ञात इलाज नहीं है। इस बीमारी में प्रारम्भ में अचानक बुखार हो जाता है। बुखार ठंड के साथ-साथ आती है तथा पूरा शरीर काँपने लगता है। रोगी को तीव्र सिर दर्द, कमर दर्द व पीठ दर्द होता है। कभी-कभी रोगी मूर्छित हो जाता है। 3-4 दिन बाद शरीर से दाने निकलन लगते हैं।

चेचक smallpox

चेचक को वेरोला के नाम से भी जाना जाता है। लोग अब नियमित चेचक के टीकाकरण करवाते हैं। चेचक के टीके के संभावित घातक दुष्प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए जिन लोगों को जोखिम का अधिक खतरा होता है, उन्हें ही वैक्सीन मिलती है।

चेचक दो प्रकार के होते है-

  • चेचक जिसे बड़ी माता या शीतला भी कहते है (Small Pox)
  • चिकन पॉक्स इसे छोटी माता या कुक्कुट चेचक भी कहते है (Chicken Pox)

चेचक को फैलाने वाले वायरस - Types Of Virus in Hindi

चेचक को फैलाने वाले वायरस दो प्रकार के होते हैं जो है-

  • वेरियोला मेजर
  • वेरियोला माइनर

इनमें से वेरियोला मेजर सबसे अधिक खतरनाक होता है।वेरियोला माइनर मृदु प्रकृति का होता है। चेचक सर्दियों से लेकर बसंत ऋतु तक फैलता है। कभी-कभी इस रोग का प्रसार गर्मी में भी होता है।

वायरस विषाणु

यह रोग सभी उम्र के स्त्री एवं पुरुषों में हो सकता है। परन्तु बच्चे इस रोग के अधिकतर शिकार होते हैं। एक बार इस रोग से आक्रान्त हो जाने पर व्यक्ति में जीवनपर्यन्त प्रतिरक्षात्मक शक्ति उत्पन्न हो जाती है तथा दबारा रोग नहीं फैलता है। यह 7 से 17 दिन। औसतन 12 दिन तक रहता है।

चेचक के लक्षण - Symptoms Of Smallpox In Hindi

चेचक के पहले लक्षण आमतौर पर संक्रमित होने के 10 से 14 दिन बाद दिखाई देते हैं। इसे बड़ी माता या शीतला भी कहते हैं। फ्लू जैसे संकेत से चेचक के लक्षण की अचानक शुरुआत होती है। चेचक के लक्षण मे शामिल है-

  1. इस रोग के प्रारम्भ में जाड़े के साथ तीव्र बुखार होता है। शरीर ठंड से काँपने लगता है तथा बुखार बढ़कर 104°C से 105°C तक हो जाता है। यह चेचक होने के लक्षणो मे से इक है
  2. चेचक होने पर हाथ-पैरों व जोड़ों में तीव्र दर्द होता है। सिर दर्द एवं कमर दर्द भी रहता है
  3. चेचक होने पर कभी-कभी रोगी को उल्टी हो जाती है। रोगी कमजोर एवं मूर्छित हो जाता है
  4. बुखार के दो-तीन दिन बाद शरीर में दाने निकल आते हैं। ये दाने शरीर के खुले अंग, जैसे-
  • मुँह
  • हाथ
  • पैर
  • तलवे एवं हथेलियों पर अधिक निकलते हैं
  • छाती तथा पीठ में भी दाने निकल आते हैं
  1. दाने निकलने के पश्चात् बुखार उतर जाता है। दाने पहले छोटे-छोटे व लाल रंग के होते हैं। इन छोटे लाल रंग के दाने को मैक्यूल कहते हैं। 24 से 36 घंटे के बाद ये दाने मटमैले, धूसर एवं नीले रंग के हो जाते हैं तथा ये त्वचा में काफी गहराई तक धंसे रहते हैं। ये पैप्यूल कहलाते है
  2. ये दाने दृढ़ प्रकृति के होते हैं।

    पैप्यूल बनने के बाद 4-5वें दिन ये दाने त्वचा से ऊपर की ओर उभरकर आ जाते हैं। तथा एक गोल मटमैले, सफेद बटन जैसे दिखाई देने लगते हैं। ये दाने अब वेसिकल कहलाते हैं। इसी वेसिकल में पानी जैसा तरल पदार्थ, लिम्फ तथा वायरस भर जाता है यह वेसिकल, वेसिकल केन्द्र में गहराई तक धंसे रहता है। यह बहुखण्डीय रहता है। उस भाग पर एक काला बिन्दु उभर आता है

  3. दानों का विकास समान गति से होता है। ये सभी दाने एक ही समय पर विकसित होते हैं। इसलिए इन दानों की अवस्थाएँ मैक्यूल, पैप्यूल, वेसिकल तथा पस्ट्यूल सभी क्षेत्रों में एक ही समय दिखाई देती हैं
  4. 10वें दिन पस्ट्यूल बनना आरम्भ हो जाता है। इस अवस्था में पुन: रोगी को कम्पन के साथ ज्वर आने लगता है। इसमें केन्द्र नहीं होता परन्तु पीब बन जाता है
  5. 14वें दिन पस्ट्यूल परिपक्व हो जाता है तथा इस पर पपडियाँ पड़ने लगती हैं। अब यह सूखने लगता है
  6. 20वें - 21वें दिन पपड़ियाँ सूखकर गिरने लगती हैं। 28-30 दिन तक सभी क्षेत्रों का पपड़ियाँ सूखकर गिर जाती हैं
  7. पपड़ियों के दाग स्थायी होते हैं तथा जीवनपर्यन्त बने रहते हैं
  8. इस रोग में अधिकतर जटिलताएँ हो जाती हैं। परन्तु ये जटिलताएँ तब उग्र रूप धारणकरती हैं जब रोगी को पहले से न्यूमोनिया, गठिया, जोड़ों में दर्द, मस्तिष्क मेंबीमारी, श्वसन रोग, तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ी इत्यादि हो
  9. इस रोग से अक्सर अँधापन हो जाता है। भारत में इस रोग के रोगी अधिकांशतःअँधेपन के शिकार हुए हैं। जटिलताएँ बढ़ने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती है। रोग की जटिलता की स्थिति मे अँधापन व मृत्यु

चेचक का घरेलू इलाज और इससे बचाव - Home Remedy For Smallpox In Hindi

चेचक का घरेलू इलाज और इससे बचाव के लिए टीका लगाया जाता है। वैक्सीन गो-चेचक वायरस से तैयार करते हैं। टीका लगाने के लिए लिम्फ के साथ ग्लिसरीन मिलाया जाता है तथा फीज डाइड वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है। इसमें पहला टीका बाजू पर तथा दूसरा टीका अग्र बाहु पर दिया जाता है। यह टीका दो मुंही सुई द्वारा दिया जाता है।

टीका देने से पूर्व सुई को लौ दिखाकर विसंक्रमित कर लेते हैं। जहाँ बाजू में टीका लगाना होता है वहाँ स्वच्छ पानी तथा रुई से साफ कर लेते हैं। सुई लगाते वक्त डिटॉल अथवा स्प्रिट का प्रयोग नहीं करते हैं क्योंकि इससे वैक्सीन में उपस्थित वायरस के मरने की आशंका रहती है।

अब सुई से निश्चित मात्रा में वैक्सीन लेकर 8 से 10 बार सई को घुमाते हैं जिससे वैक्सीन त्वचा में प्रवेश कर जाता है। परन्तु सुई लगाते समय ध्यान रखा जाता है कि त्वचा से रक्त न निकले।

बच्चे को अगर जुकाम, सर्दी, खाँसी अथवा त्वचा का रोग हो तो ऐसी परिस्थिति में टीका नहीं लगाया जाता है। आजकल दो मुंही सुई के स्थान पर जेट इन्जेक्टर का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इससे कम समय में अधिक वैक्सीन पहुँचाया जाता है तथा पीड़ा भी कम होती है। चेचक का घरेलू इलाज और इससे बचाव के लिए कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए-

1। रोगी की सूचना तुरन्त स्वास्थ्य केन्द्रों पर देनी चाहिए।

2। रोगी का पृथक्करण करके उचित घरेलू या चिकित्सा द्वारा इलाज शुरू करना चाहिए।

3। चेचक के घरेलू इलाज मे रोगी के नाक व मुँह द्वारा निकले स्राव को भूमि में गाड़ देना चाहिए अथवा जलादेना चाहिए।

4। रोगी के बिस्तर, बर्तन, किताबें आदि को फार्मेल्डीहाइड (Formaldehyde) का धुंआ दिखाकर विसंक्रमित करना चाहिए। यह घरेलू इलाज अपनाना चाहिए।

5। रोगी के वस्त्र, तौलिया, रुमाल इत्यादि को सोडा डालकर भाप द्वारा विसंक्रमित करना चेचक का घरेलू इलाज करना चाहिए। रोगी की सेवा के लिए चेचक से प्रतिरक्षित व्यक्ति को रखना चाहिए।

6। शिशु को टीका 3 माह से पहले लगा देना चाहिए। इस टीके का प्रभाव 5 वर्ष तक बना रहता है। इसका दूसरा टीका 5 वर्ष पूरा होने पर दिया जाता है।

7।

गाँवों में जनता को चेचक के बारे में विस्तृत जानकारी देनी चाहिए क्योंकि जनता इसे देवी का प्रकोप मानकर पूजती हैं।

चिकन पॉक्स - Chicken Pox In Hindi

चिकनपॉक्स एक वायरल संक्रमण है जो छोटे, द्रव से भरे हुये फफोले के साथ एक खुजलीदार दाने का कारण बनता है। चिकनपॉक्स उन लोगों के लिए बहुत संक्रामक है, जिन्हें यह बीमारी नहीं थी फिर भी इसके खिलाफ टीका लगाया गया था। क्यू की पहले चिकनपॉक्स के नियमित टीकाकरण से लगभग सभी लोग उस समय तक संक्रमित हो गए थे। जिसके बारे मे और पढे- चिकन पॉक्स का घरेलू इलाज और इससे बचाव - चिकन पॉक्स के कारण और लक्षण

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