क्या होता है चेचक ये लोगो के मन मे बहुत से सवाल पैदा करता है क्यू कि इसे बड़ी माता या शीतला भी कहते हैं। चेचक एक विश्वव्यापी रोग है। यह एक तीव्र संचार रोग मतलब तेजी से फैलने वाला रोग है जो वेरिओला वायरस के द्वारा फैलता है। यह एक संक्रामक एवं भयंकर छूत की बीमारी है। चेचक एक अत्यंत संक्रामक और घातक वायरस है जिसके लिए कोई ज्ञात इलाज नहीं है। इस बीमारी में प्रारम्भ में अचानक बुखार हो जाता है। बुखार ठंड के साथ-साथ आती है तथा पूरा शरीर काँपने लगता है। रोगी को तीव्र सिर दर्द, कमर दर्द व पीठ दर्द होता है। कभी-कभी रोगी मूर्छित हो जाता है। 3-4 दिन बाद शरीर से दाने निकलन लगते हैं।
चेचक को वेरोला के नाम से भी जाना जाता है। लोग अब नियमित चेचक के टीकाकरण करवाते हैं। चेचक के टीके के संभावित घातक दुष्प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए जिन लोगों को जोखिम का अधिक खतरा होता है, उन्हें ही वैक्सीन मिलती है।
चेचक दो प्रकार के होते है-
चेचक को फैलाने वाले वायरस दो प्रकार के होते हैं जो है-
इनमें से वेरियोला मेजर सबसे अधिक खतरनाक होता है।वेरियोला माइनर मृदु प्रकृति का होता है। चेचक सर्दियों से लेकर बसंत ऋतु तक फैलता है। कभी-कभी इस रोग का प्रसार गर्मी में भी होता है।
यह रोग सभी उम्र के स्त्री एवं पुरुषों में हो सकता है। परन्तु बच्चे इस रोग के अधिकतर शिकार होते हैं। एक बार इस रोग से आक्रान्त हो जाने पर व्यक्ति में जीवनपर्यन्त प्रतिरक्षात्मक शक्ति उत्पन्न हो जाती है तथा दबारा रोग नहीं फैलता है। यह 7 से 17 दिन। औसतन 12 दिन तक रहता है।
चेचक के पहले लक्षण आमतौर पर संक्रमित होने के 10 से 14 दिन बाद दिखाई देते हैं। इसे बड़ी माता या शीतला भी कहते हैं। फ्लू जैसे संकेत से चेचक के लक्षण की अचानक शुरुआत होती है। चेचक के लक्षण मे शामिल है-
पैप्यूल बनने के बाद 4-5वें दिन ये दाने त्वचा से ऊपर की ओर उभरकर आ जाते हैं। तथा एक गोल मटमैले, सफेद बटन जैसे दिखाई देने लगते हैं। ये दाने अब वेसिकल कहलाते हैं। इसी वेसिकल में पानी जैसा तरल पदार्थ, लिम्फ तथा वायरस भर जाता है यह वेसिकल, वेसिकल केन्द्र में गहराई तक धंसे रहता है। यह बहुखण्डीय रहता है। उस भाग पर एक काला बिन्दु उभर आता है
चेचक का घरेलू इलाज और इससे बचाव के लिए टीका लगाया जाता है। वैक्सीन गो-चेचक वायरस से तैयार करते हैं। टीका लगाने के लिए लिम्फ के साथ ग्लिसरीन मिलाया जाता है तथा फीज डाइड वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है। इसमें पहला टीका बाजू पर तथा दूसरा टीका अग्र बाहु पर दिया जाता है। यह टीका दो मुंही सुई द्वारा दिया जाता है।
टीका देने से पूर्व सुई को लौ दिखाकर विसंक्रमित कर लेते हैं। जहाँ बाजू में टीका लगाना होता है वहाँ स्वच्छ पानी तथा रुई से साफ कर लेते हैं। सुई लगाते वक्त डिटॉल अथवा स्प्रिट का प्रयोग नहीं करते हैं क्योंकि इससे वैक्सीन में उपस्थित वायरस के मरने की आशंका रहती है।
अब सुई से निश्चित मात्रा में वैक्सीन लेकर 8 से 10 बार सई को घुमाते हैं जिससे वैक्सीन त्वचा में प्रवेश कर जाता है। परन्तु सुई लगाते समय ध्यान रखा जाता है कि त्वचा से रक्त न निकले।
बच्चे को अगर जुकाम, सर्दी, खाँसी अथवा त्वचा का रोग हो तो ऐसी परिस्थिति में टीका नहीं लगाया जाता है। आजकल दो मुंही सुई के स्थान पर जेट इन्जेक्टर का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इससे कम समय में अधिक वैक्सीन पहुँचाया जाता है तथा पीड़ा भी कम होती है। चेचक का घरेलू इलाज और इससे बचाव के लिए कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए-
1। रोगी की सूचना तुरन्त स्वास्थ्य केन्द्रों पर देनी चाहिए।
2। रोगी का पृथक्करण करके उचित घरेलू या चिकित्सा द्वारा इलाज शुरू करना चाहिए।
3। चेचक के घरेलू इलाज मे रोगी के नाक व मुँह द्वारा निकले स्राव को भूमि में गाड़ देना चाहिए अथवा जलादेना चाहिए।
4। रोगी के बिस्तर, बर्तन, किताबें आदि को फार्मेल्डीहाइड (Formaldehyde) का धुंआ दिखाकर विसंक्रमित करना चाहिए। यह घरेलू इलाज अपनाना चाहिए।
5। रोगी के वस्त्र, तौलिया, रुमाल इत्यादि को सोडा डालकर भाप द्वारा विसंक्रमित करना चेचक का घरेलू इलाज करना चाहिए। रोगी की सेवा के लिए चेचक से प्रतिरक्षित व्यक्ति को रखना चाहिए।
6। शिशु को टीका 3 माह से पहले लगा देना चाहिए। इस टीके का प्रभाव 5 वर्ष तक बना रहता है। इसका दूसरा टीका 5 वर्ष पूरा होने पर दिया जाता है।
7।
गाँवों में जनता को चेचक के बारे में विस्तृत जानकारी देनी चाहिए क्योंकि जनता इसे देवी का प्रकोप मानकर पूजती हैं।
चिकनपॉक्स एक वायरल संक्रमण है जो छोटे, द्रव से भरे हुये फफोले के साथ एक खुजलीदार दाने का कारण बनता है। चिकनपॉक्स उन लोगों के लिए बहुत संक्रामक है, जिन्हें यह बीमारी नहीं थी फिर भी इसके खिलाफ टीका लगाया गया था। क्यू की पहले चिकनपॉक्स के नियमित टीकाकरण से लगभग सभी लोग उस समय तक संक्रमित हो गए थे। जिसके बारे मे और पढे- चिकन पॉक्स का घरेलू इलाज और इससे बचाव - चिकन पॉक्स के कारण और लक्षण
पूछें गए सवाल