मलेरिया के लक्षण, कारण और मलेरिया से बचाव के उपाय

इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपको मलेरिया से जुड़ी सभी जानकारियों जैसे- मलेरिया क्या होता है, मलेरिया के लक्षण एवं कारण जैसी हर जानकारी से अवगत कराना चाहते हैं ताकि आप इस बीमारी से खुद को एवं अपने बच्चों को बचा सकें।

मलेरिया क्या है? - What is Malaria in Hindi?

मलेरिया ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है - माल + एरिया = मलेरिया, माल का मतलब होता है अशुद्ध, दूषित तथा एरिया का अर्थ है हवा अत: यह अशुद्ध, दूषित हवा से फैलने वाला रोग है।

मलेरिया एक प्रमुख जन-स्वास्थ्य समस्या है। यह मादा एनोफिलीज मच्छर काटने के कारण होता है। इसी मच्छर में इस रोग को फैलाने वाले प्रोटोजोआ संघ के परजीवी प्लाज्मोडियम विद्यमान रहते हैं। यह जीव पराश्रयी होता है।

यह अशुद्ध, दूषित पानी एवं हवा से फैलने वाला रोग है। यों तो मलेरिया का प्रकोप सम्पूर्ण विश्व में है परन्तु भारत में मलेरिया का प्रकोप काफी प्राचीन काल से है। सम्पूर्ण भारतवर्ष में मलेरिया एक प्रमुख जन-स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है।

मलेरिया पूरे वर्ष होता है परन्तु अप्रैल से नवम्बर माह तक यह अधिक होता है। गर्मी एवं वर्षा ऋतु में मच्छरों का प्रजनन एवं वृद्धि तीव्र गति से होती है क्योंकि इसके लिए आर्द्रता एवं गर्मी आवश्यक है।

मलेरिया सभी उम्र के व्यक्तियों में होता है। परन्तु पुरुषों में स्त्रियों की अपेक्षा यह रोग अधिक होता है क्योकि भारतीय स्त्रियाँ अधिकांश समय वस्त्रों से अपना बदन ढककर रखती हैं तथा कुछ पुरुष अधिकांश घर से बाहर रहते हैं। नवजात शिशु में यह रोग कम होता है क्योंकि इस रोग के प्रति प्रतिरोधकता शक्ति उनमें विद्यमान रहती है।

इनका उद्भवन काल परजीवी की प्रजाति पर निर्भर करता है, जैसे

  • प्लाज्मोडियम वाइवेक्स - 14 दिन,
  • प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम - 12 दिन,
  • प्लाज्मोडियम ओवेल - 17 दिन, तथा
  • प्लाज्मोडियम मलेरिये - 28 दिन।

परन्तु इनका उद्भवन काल 9 माह का भी हो सकता है अगर व्यक्ति ने एन्टी मलेरियल दवा न ले रखी हो तो।

मलेरिया का प्रसार - Spread Of Malaria

मलेरिया का सूक्ष्म परजीवी प्लाज्मोडियम है, जो व्यक्ति के रक्त में पाया जाता है। जब इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को मादा एनोफिलीज मच्छर काटता है तो यह रोग मादा एनोफिलीज मच्छर के पेट में चल जाता है। पुन: इस मच्छर के काटने पर रोग स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है। इस मलेरिया का प्रसार मच्छर द्वारा होता रहता है। वर्षा के दिनों में उपयुक्त नमी एवं ताप पाकर मच्छरों की वृद्धि एवं विकास भी तिर्वगति गति से होता है।

मलेरिया का कारण - Causes Of Malaria

मलेरिया रोग प्लाज्मोडियम परजीवी के चार वर्गों द्वारा फैलता है, जो इस प्रकार हैं -

  1. प्लाज्मोडियम वाइवेक्स- इनका जीवन चक्र 48 घंटे का होता है। जिससे बुखार हर दूसरे दिन आता है।
  2. प्लाज्मोडियम ओवेल- इनका जीवन चक्र भी 48 घंटे का होता है। ये मृदु प्रकृति के होते हैं तथा बुखार हर दूसरे दिन आता है।
  3. प्लाज्मोडियम मलेरिए - यह भी मृदु प्रकार का रोग फैलाता है।

    इनका जीवन चक्र 72 घंटे का होता है। अत: हर चौथे दिन बुखार आता है।

  4. प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम - यह परजीवी सबसे खतरनाक होता है। यह मस्तिष्क-ज्वर फैलाता है जिससे रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। इनका जीवन चक्र भी 48 घंटे का होता है।इसमें भी बुखार हर दूसरे दिन आता है।

मलेरिया के लक्षण - Symptoms of Malaria in Hindi

मलेरिया के लक्षण निम्न प्रकार के हो सकते हैं:-

  • मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति के पूरे शरीर में दर्द रहना, हाथ-पैरों में ऐंठन रहना एवं सिर दर्द होने लगता है
  • सर्दी लगकर तेज बुखार आता है, सर्दी इतनी तीव्र लगती है कि पुरा शरीर ही काँपने लगता है
  • ज्वर 105°F से 106°F तक पहुँच जाता है और रोगी को कम्बल या रजाई ओढ़ना पड़ता है
  • भूख कम हो जाती है, खाने के प्रति अरुचि पैदा हो जाती है, रोगी का जी मिचलाने लगता है।
  • बुखार हर दूसरे, तीसरे या चौथे दिन आता है, यह बुखार मलेरिया के परजीवी पर निर्भर करता है।
  • रोगी कमजोर हो जाता है तथा शरीर में रक्त की कमी हो जाती है।
  • रोगी सुस्त एवं चिड़चिड़ा हो जाता है।

रोग की तीव्रता की स्थिति में मस्तिष्क ज्वार हो सकता है, रोगी की अवस्था अत्यन्त गम्भीर हो जाती है।

मलेरिया से बचाव के उपाय - Measures To Prevent Malaria

मलेरिया से बचाव के उपाय निम्नलिखित प्रकार से हैं:-

  • मच्छरों को नष्ट करने के लिए घरों के भीतर कीटनाशक डी.डी.टी., बी.एच.सी.(D.D.T., B.H.C.) आदि का छिड़काव करना चाहिए।
  • घर के आस-पास के सभी गड्ढों को जहाँ पानी का जमाव होता है भर देना चाहिए क्योंकि अधिकतर मच्छर साफ अथवा रुके पानी में अण्डे देते हैं।
  • गंदी नालिया, पानी के बर्तनों, कूलर की टंकी, पानी का हौद, गमले, बेकार पड़े खाली डिब्बे इत्यादि को जहाँ पानी एक सप्ताह तक जमा रहता है उनकी सफाई कर देनी चाहिए ताकि मच्छर अण्डे न देने पाये।
  • गड्ढों तथा आस-पास में एकत्रित पानी में लार्वानाशक/कीटनाशक तेल अथवा केरोसीन तेल डाल देना चाहिए जिससे मच्छर के लार्वा मर जाएँ।
  • घर की खिड़कियों एवं दरवाजों पर बारीक तार की जाली लगानी चाहिए जिससे कि मच्छर प्रवेश न कर पायें।
  • सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। मच्छरों को भगाने के लिए क्रीम या अगरबत्ती का भी प्रयोग किया जा सकता है।
  • बुखार होने पर रक्त की जाँच करानी चाहिए तथा मलेरिया होने की दशा में उचित इलाज कराना चाहिए।
  • मलेरिया ग्रस्त क्षेत्र में गर्भवती स्त्रियों को पूरे गर्भकाल में डॉक्टर के आदेश से मलेरिया की गोलियाँ लेनी चाहिए।
  • छोटे बच्चों को विशेषकर रात को, मच्छर के काटने से बचाना चाहिए।
  • जन चेतना, जन जागृति एवं स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा इस रोग को फैलने से रोका जा सकता है।
  • राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में जनता को सक्रिय रूप से सहयोग देना चाहिए तथा मच्छर के लार्वा मारने व मच्छरों को पैदा नहीं होने देने में मदद करनी चाहिए।

धयान रखे - मलेरिया से बचाव के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। परन्तु दवाइयों का प्रयोग करके इस रोग से  बचा जा सकता है जैसे—क्लोरोक्वीन, प्रीमाक्वीन, कैमोक्वीन, लैरिगो इत्यादि।

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