मानसिक तनाव | मानसिक तनाव के कारण,लक्षण, प्रभाव, और इससे बचाव का उपाय

टेंशन या तनाव भी हमारी जिंदगी का अभिन्न अंग-चाहे अनावश्यक ही सही बन गया है। आज के मशीनी युग में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जिसको तनाव न हो; हां, फर्क सिर्फ डिग्री का हो सकता है। किसी को कम तनाव हो सकता है तो किसी को ज्यादा परन्तु ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति मिले जिसको बिल्कुल ही तनाव न हो। और यह तनाव और चिन्ता ही मनुष्य की सोने जैसी देह को धीरे-धीरे दीमक की तरह खा जाती है और अच्छी-भली सेहत वाला व्यक्ति उम्र और वक्त से पहले ही बूढ़ा नज़र आने लगता है।

टेशन या मानसिक तनाव क्या होता है ? | Tension ya Mansik Tanav kya hai

मानसिक तनाव एक खतरनाक बीमारी के तरह है, जिसमे कोई भी व्यक्ति तनाव या चिन्ता का शिकार कैसे हो जाता है, यह उसके निजी स्वभाव पर निर्भर करता है। कई व्यक्ति बहुत ही ज्यादा भावुक स्वभाव के होते हैं और मामूली-सी बुरी बात होने पर वह चिन्ताग्रस्त हो जाते हैं। परन्तु कई व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जिन पर छोटी-मोटी बात का कोई विशेष असर नहीं होता और इस प्रकार वे बेवजह के तनाव से बचे रहते हैं।इस प्रकार शरीर की अनुकूलता पर बुरा असर पड़ता है और बुढ़ापा आना यानी एजिंग शुरू हो जाता है यानी बुढ़ापा जल्दी आ जाता है। यही कारण है कि टेंशनग्रस्त लोगों को समय से पहले ही बुढ़ापा आ जाता है।

मानसिक तनाव के कारण | Mansik Tanav ke karan

  • कई लोगों को नौकरी के कारण हर रोज़ घर से दूर जाना पड़ता है। सुबह घर से निकलने की जल्दी होती है और इसके अलावा यह डर भी बना रहता है कि कहीं रेलगाड़ी या बस ही न निकल जाए। फिर सड़कों पर बहुत ज्यादा भीड़ और शोर-शराबा। ऐसे वातावरण में अच्छा-भला व्यक्ति भी तनावग्रस्त हो जाता है।
  • छोटे कस्बों और गांवों में रहने वाले लोगों के मुकाबले शहरों और महानगरों में रहने वाले लोगों का जीवन ज्यादा तनाव-भरा होता है।
  • परिवार में रहन-सहन का तौर-तरीका भी किसी व्यक्ति के लिए तनाव का कारण बन जाता है। आजकल संयुक्त परिवार बहुत कम मिलते हैं। संयुक्त परिवार में व्यक्ति किसी-न-किसी से दिल की बात कह देता है और शांत हो जाता है। परन्तु छोटे परिवार में यदि केवल दो जने रहते हों और उनमें ही अनबन हो जाए तो टेंशन होने की ज्यादा संभावना होती है। इसी प्रकार अकेले रहने वाले व्यक्ति को संयुक्त परिवार में रहने वाले व्यक्तियों से ज्यादा टेंशन होती है।
  • कुछ लोगों के ख्यालात अपने जवान हो रहे बच्चों से मेल नहीं खाते। उनकी प्रायः बहस हो जाती है। ऐसी स्थिति में वे तनावपूर्ण हो जाते हैं।
  • इसके अलावा पति-पत्नी में आपसी तालमेल न होने के कारण से भी तनाव हो जाना स्वाभाविक है।
  • कुछ लोगों का तो स्वभाव ही ऐसा होता है या ऐसा कह लें कि वे तो जैसे तनावग्रस्त होने का बहाना ही ढूंढते हों। बच्चे स्कूल से आते हुए थोड़ा लेट हो गए तो भी वह टैन्स हो जाते हैं और यदि बच्चे के कम नम्बर आएं तो भी या अध्यापक ने किसी बात पर बच्चे को डांट दिया तो भी वह टेन्स हुए बिना नहीं रहते। कहने का भाव यह है कि उस समस्या का कोई हल ढूंढने की बजाय यह तनावग्रस्त होकर खुद अपने आपको भी मुश्किल में डाल लेते हैं और घर वालों को भी।
  • बहुत से लोगों को नौकरी की चिन्ता लगी रहती है। किसी की नौकरी अस्थाई है, किसी की अफसर से नहीं बनती। किसी की रिटायरमेंट नज़दीक है तो उसको यही फिक्र लगी रहती है कि सेवामुक्ति के बाद वह घर का खर्च कैसे चलाएगा या और ज़िम्मेवारी कैसे निभाएगा।
  • इस प्रकार बहुत से लोगों में हीन भावना पैदा हो जाती है कि वह सुन्दर नहीं या गरीब हैं। इस हीन भावना के कारण वे तनावग्रस्त रहते हैं।
  • विद्यार्थियों को पढ़ाई, पेपरों, और फिर नतीजे की फिक्र लगी रहती है। इसके बाद अपने मनपसन्द क्षेत्र या कॉलेज में दाखिले की फिक्र सताने लग जाती है।

इन सब कारणों से यह स्पष्ट हो जाता है कि शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे टेंशन न होती हो।

मानसिक तनाव के लक्षण | Mansik Tanav ke lashan

  • चिन्ता, तनाव व फिक्र या टेंशन का हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। शायद ही कोई ऐसा रोग हो जिसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में टेंशन से संबंध न हो।
  • चिन्ता का व्यक्ति की पाचन-क्रिया पर भी बुरा असर पड़ता है।
  • चिन्ताग्रस्त व्यक्ति को पहले तो कुछ खाने को मन ही नहीं करता, अगर यदि खाता भी है तो खाया हुआ भोजन पूरी तरह से हज़म नहीं होता। बदहज़मी की शिकायत तो हो ही जाती है, साथ ही पेट में फोड़ा (Ulcer) होने की भी शंका रहती है।
  • इसके अलावा तनावग्रस्त व्यक्ति को नींद भी अच्छी तरह नहीं आती। नींद के अभाव से उसका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। उसको थोड़ी देर काम करने से थकावट हो जाती है। उसका स्वभाव चिड़चिड़ा और गुस्से वाला हो जाता है
  • इस प्रकार बेशुमार रोग हैं जो टेंशन के कारण व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लेते हैं।
  • जब किसी को टेंशन होती है तो हमारे शरीर में टेंशन से छुटकारा दिलाने के लिए कुदरत द्वारा कार्रवाई शुरू हो जाती है। तुरन्त एडरिनलिन (Adrenaline) और नौर-एडरिनलिन
  • (NorAdrenaline) नाम के हारमोन निकलते हैं जिनके कारण जिगर से ग्लूकोज़ (Release) निकलता है ताकि ज्यादा शक्ति प्राप्त हो सके। उस समय ब्लडप्रेशर थोड़ा-सा बढ़ जाता है। दिल की धड़कन भी तीव्र हो जाती है। पाचन-क्रिया रुक जाती है और खून का थक्का (Clot) बनने का समय भी कम हो जाता है। ताकि चोट लगने पर खून ज्यादा न बहे।
  • परन्तु हमारा शरीर ज्यादा समय के लिए ऐसी अवस्था में तो नहीं रह सकता। यदि ऐसा होने लगे फिर तो शरीर का सारा कामकाज ही ठप हो जाए। इसलिए कुछ समय बाद एडरिनोकार टिकोट्रोफिक (Adrenocar Ticotrophic) नामक एक और हारमोन के खारिज होने के बाद यह बदली हुई क्रियाएं दोबारा पहले रूप में आ जाती हैं। परन्तु बार-बार टेंशन से यह बढ़ी हुई अवस्थाएं एक तरह से नियमित हो जाती हैं यानी बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर दोबारा नारमल नहीं होता।
  • इस प्रकार शरीर की अनुकूलता पर बुरा असर पड़ता है और बुढ़ापा आना यानी एजिंग शुरू हो जाता है यानी बुढ़ापा जल्दी आ जाता है।
  • यही कारण है कि टेंशनग्रस्त लोगों को समय से पहले ही बुढ़ापा आ जाता है।

मानसिक तनाव से ब्लड प्रेशर पर प्रभाव | Mansik Tanav Se Blood Pressure Par Parbhav

  • टेंशन से व्यक्ति के खून का दबाव बढ़ जाता है यानी उसको हाई ब्लड-प्रैशर हो जाता है।
  • हाई ब्लडप्रेशर को तो चुपचाप घातक असर करने वाला (Silent Killer) कहते हैं।
  • ब्लड प्रेशर चैक करवाने पर ही इसके बारे में पता चलता है; नहीं तो आम व्यक्ति को तो इसके बारे में पता ही नहीं चलता कि उसका ब्लड प्रैशर बढ़ा हुआ है।
  • जब किसी व्यक्ति का ब्लड प्रैशर लंबे समय तक ज़रूरत से ज्यादा बढ़ा हुआ हो तो इससे दिल, गुर्दे तथा आंखों पर घातक असर पड़ने लगता है।
  • यहां एक बात मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हाई ब्लड प्रेशर केवल टेंशन करने से ही नहीं होता। इसके और भी कई कारण हैं। परन्तु टेंशन भी एक प्रमुख कारण है।

मानसिक तनाव से बचने के लिए आहार | Mansik Tanav Me Aahar

  • तनाव के कारण खून की नाड़ियों में अचानक खिंचाव आने से कई तरह के भोजन की संभाल-समर्थता पर प्रभाव पड़ता है।
  • इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है तथा अंतड़ियों और जिगर में जाने वाले खून की मात्रा कम हो जाती है।
  • एन्जाइम के प्रवाह की दर घट जाती है। जिससे भोजन पूरी तरह हज़म नहीं हो पाता।
  • तनाव में खून को ज्यादा ग्लूकोज़ की जरूरत पड़ती है।
  • चाय तथा कॉफी का सेवन कम-से-कम करना चाहिए क्योंकि इन पदार्थों में कैफीन होती है। कैफीन तथा अल्कोहल तनाव को बढ़ाते हैं।
  • ज्यादा पोटाशियम वाले फल जैसे कि केला, संतरा आदि का प्रयोग करना चाहिए।
  • तनाव से शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है। इसलिए रोज़ाना एक गिलास दूध ज़रूर पीना चाहिए जिससे कैल्शियम की कमी को पूरा किया जा सके।
  • तनाव के कारण शरीर में विटामिन-सी की मात्रा भी कम हो जाती है जिससे खून की नाड़ियां सिकुड़ जाती हैं।
  • विटामिन-सी केपिलरीज़ (Capillarics) की दीवारों को लचकदार रखता है। इस प्रकार खुराक में विटामिन-सी की मात्रा पूरी करने के लिए आंवला, टमाटर, नींबू जैसे पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • तनाव में विटामिन बी-वर्ग का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। शरीर में ऊर्जा पैदा करने के लिए विटामिन बी एक कैटालिस्ट का काम करता है। इसके अतिरिक्त प्रोटीन और चिकनाई के पाचन में काम आता है। यह केंद्रीय नाड़ी प्रबंधन के लिए भी काम करता है।
  • हरे पत्तों वाली सब्जियों, दूध, अनाज तथा यीस्ट के सेवन को बढ़ाया जा सकता है।
  • तनाव के दिनों में प्रोटीन की मात्रा 10 प्रतिशत बढ़ा देनी चाहिए क्योंकि तनाव के कारण शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है।

मानसिक तनाव से बचाव के उपाय | Mansik Tanav Se Bachav Ke Upay

तनाव पर काबू पाने के लिए अपने स्वभाव पर थोड़ा कंट्रोल करने के अलावा जिंदगी की कदर-कीमत के नज़रिए में तबदीली लानी होगी। आज के मशीनी युग में जैट स्पीड से भाग रही इंसानी ख्वाहिशों की भी थोड़ी लगाम खींचनी पड़ेगी।

  • इसके अलावा खान-पान में खास ध्यान देना चाहिए। ज्यादा फैट यानी चिकनाई वाले और ज्यादा मिर्च-मसाले वाले भोजन की बजाए हल्का भोजन करना चाहिए।
  • नशे वाली चीज़ों के सेवन से परहेज़ करना चाहिए।
  • कुछ लोग तनाव से छुटकारा पाने के लिए नशे का सेवन करने लगते हैं या ट्रंकलाइज़रज़ (Tranquillizers) का सेवन करना शुरू कर देते हैं। इन सभी के सेवन से अस्थाई तौर पर दिमाग की सोचने की शक्ति कम हो जाती है और व्यक्ति को तनाव से मुक्ति मिलती है। असल में यह अपने आपको धोखा देने वाली बात है। नशे का असर कम होने के बाद पहले से भी ज्यादा टेंशन होने लगती है और साथ ही इन वस्तुओं का इस्तेमाल करने से शरीर पर और भी बुरे प्रभाव पड़ने लगते हैं। ट्रंकलाइज़र्स तो किसी खास किस्म का सदमा होने पर ही इस्तेमाल करने चाहिए और वह भी थोड़े समय के लिए, नहीं तो व्यक्ति इनका गुलाम बन जाता है।
  • नींद न आने की शिकायत पर रात को कम खाना चाहिए। सोने से पहले टॉयलेट (Toilet) जाकर पेट साफ कर लेना चाहिए या हल्के गर्म पानी से नहा लेना चाहिए या थोड़ा गर्म दूध भी पी लेना चाहिए। इस तरह से नींद आ जाएगी।
  • टेंशन से राहत लेने के लिए वैज्ञानिकों ने 4-डी (D) का तरीका बताया है जिसके अनुसार आप अपने काम को चार हिस्सों में बांटकर कम-से-कम टेंशन के शिकार हो सकेंगे।
  • पहली-डी यानी डम्प (Dump) करना है। अनावश्यक काम आप कुछ समय के लिए छोड़ सकते हैं
  • दूसरी-D अनुसार डिले (Delay) कर सकते हैं यानी तुरंत करने की बजाय बाद में समय मिलने पर कर सकते हैं।
  • तीसरी-डी के अनुसार डेलीगेट (Delegate) कर दें। यानी खुद वह काम करने की बजाए किसी और की ड्यूटी लगा दें।
  • चौथी-डी का मतलब है डू (Do) यानी किसी भी प्रकार से न हो तो आप खुद ही वह काम कर लें। इस तरह आप पहली तीन-D के सेवन से अपने आपको बिन ज़रूरी टेंशन से बचा सकते हैं क्योंकि शायद ही कोई ऐसा काम होगा जिसको कि आप Dump, Delay या Delegate न कर सकें।
  • सैर, व्यायाम या योग द्वारा अपने शरीर को स्वस्थ रखना चाहिए क्योंकि बीमार शरीर तो वैसे ही चिन्ता को गले लगाने के लिए तैयार रहता है।

You can share this post!

विशेषज्ञ से सवाल पूछें

पूछें गए सवाल