मानसिक रोग क्या हैं - मानसिक रोग के लक्षण, कारण और इलाज

साधारणतया जनमानस में एक धारण बनी हुई है कि मानसिक रोग एक ही प्रकार का होता है। ऐसा नहीं है। नवीनतम अंतरराष्ट्री वर्गीकरण के अनुसार मानसिक रोगी को लक्षणों एवं कारणों के आधार पर एक सौ बड़े समूहों एवं प्रत्येक को दस-दस उपवर्गों में विभक्त किया जा सकता है।

विखण्डित मानसिकता इन्हीं बड़े समूहों का एक गंभीर एवं जटिल मनोविकार है। इसके होने पर रोगी के मस्तिष्क की कार्य-प्रणली में विकार आ जाता है।

  • इससे रोगी सामान्य रूप से सोचने, समझने, महसूस करने के योग्य नहीं रह पाता।
  • विकृत विचारों के साथ अवास्तविकताओं को महसूस करने लगता है।
  • अंधविश्वासी बन जाता है, अंधविश्वासों पर पूरा विश्वास करने लगता है, दोषपूर्ण समझ व चिन्तन के कारण रोगी का व्यवहार असामान्य हो जाता है।

हमारे देश की जनसंख्या का 1 प्रतिशत भाग विखण्डित मानसिकता (सिजोफ्रेनिया) नामक रोग से ग्रसित है।

यह रोग प्रायः 15 से 45 वर्ष की आयु में प्रारंभ में होता है, पुरुष-महिलाएं, गरीब-अमीर में समान रूप से पाया जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्या के लक्षण- Symptoms of Mental Health Problem In Hindi

यह रोग प्रायः धीरे-धीरे प्रारम्भ होता है। अतः लक्षण भी धीरे-धीरे प्रकट होते हैं। कुछ सामान्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं जिनसे इस बीमारी के होने की पहचान की जा सकती है।

  • नींद में गड़बड़ी होना
  • भूख में कमी आना।
  • अपने कार्य में अरुचि होना।
  • परिवार के सदस्यों के साथ-साथ मित्रों से खिन्नता करना।
  • स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना।
  • शून्यभाव से घूरते रहेना।
  • अकेला रहना।
  • सामाजिक व पारिवारिक मेलजोल में कमी कर देना।
  • दिमागी कार्यो में कमी आना।
  • भयभीत सा रहना।
  • व्यवहार में एकदम परिवर्तन।
  • बेतुकी बातें करना व हमेशा चिन्ताग्रस्त रहना।
  • उसके बाद की अवस्था में स्नान न करना।
  • साफ-सुथरा न रहना।
  • अपने पहनावे, रख -रखाव, श्रृंगार के प्रति उदासीनता बरतना।
  • आसपास के वातावरण के प्रति लगाव की कमी हो जाना मुख्य कारण हैं।
  • ऐसे रोगी शक्की स्वभाव के बन जाते हैं, व ऐसी बेतुकी धारणा बना लेते हैं कि सभी उसे तंग (परेशान) करते हैं।
  • सहयोगी व मित्र उसके विरुद्ध षडयंत्र रच रहे हैं। ऐसे रोगी अपने जीवन-साथी की निष्ठा पर भी संदेह करने लगते हैं एवं बराबर उस पर नजर रखते हैं।
  • ऐसे रोगी को महसूस होता रहता है कि कोई बाहरी शक्ति उसके विचारों को नियंत्रित कर रही है। उसके विचार विभिन्न माध्यमों द्वारा प्रसारित किए जा रहे हैं, किसी के विचार रोगी दिमाग में भर दिए गए हैं।
  • कभी-कभी लगता है कि उसके विचार उसके दिमाग से कोई निकाल रहा है।
  • अत्यधिक बीमारी की हालत में रोगी को अक्सर कानों में विभिन्न प्रकार की आवाजें सुनाई देती हैं और वह भी उनसे बातें करना शुरू कर देता है।
  • रोगी को अपने-आप से बातें करते व ऐसे हाव-भाव करते देखा जा सकता है, जैसे मानों वे किसी से बातें कर रहा हो।
  • ऐसे समय में रोगी कभी हंसता है तो कभी इशारे करता है तो कभी मुस्कराता हैं।
  • कभी-कभी तो रोगी को भयानक आकृतियां भी दिखाई देने लगती हैं, रोगी भय के कारण क्रोधित, हिंसक व आत्महत्या तक करने पर उतारू हो जाता है।

ऐसे रोगी भावनात्मक रूप से निष्क्रिय होने के कारण उपर्युक्त भावों को व्यक्त करने में भी असमर्थ बन जाते हैं और महसूस करते हैं कि बाहरी दुनिया से उनका कोई रिश्ता ही नहीं है। जरूरी नहीं कि उपर्युक्त वर्णित समस्त लक्षण एक रोगी में एक साथ दिखाई दें।

कुछ लक्षणों की पहचान होने पर तुरन्त मनोचिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। बीमारी की पहचान, निदान और उपचार जितना जल्दी संभव हो, शुरू कर देना चहिए। इससे रोगी के ठीक होने की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं।

मानसिक स्वास्थ्य समस्या के संभावित कारण - Possible Causes Of Mental Health Problem In Hindi

उपर्युक्त प्रकार के मनोविकार के होने के सही-सही कारणों का पूर्ण रूप से ज्ञान नहीं हो पाया है। विश्व के मनोचिकित्सक इस पर अनुसंधान कर रहे हैं। अभी तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह रोग अनेक कारणों से होता है।

अनुसंधान से पता चलता है कि इस प्रकार के रोगी के मस्तिष्क की जैव रसायन प्रणाली में एक स्पष्ट असंतुलन दिखाई देता है। हालांकि किसी तरह के रासायनिक दोष की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। आनुवंशिक आधार के बारें में सभी वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि बीमारी का कुछ खतरा आनुवंशिकता के माध्यम से चला आता है।

यदि किसी व्यक्ति के वंश-वृक्ष में कोई विखण्डित मानसिकता से पीड़ित रहा हो तो उसके इस रोग से ग्रस्त होने की संभावना सामान्य की तुलना में अधिक होती है।

तेज बुखार, क्षय रोग, मलेरिया, मिर्गी, नशीले पदार्थों का सेवन भी कभी-कभी इस रोग के उत्पन्न होने के कारण बन जाते हैं।

प्रायः देखा गया है कि आनुवंशिक रूप से असुरक्षित व्यक्तियों में यह बीमारी किसी असहनीय मानसिक आघात की वजह से शुरू होती है, जैसे निकट संबंधी का अत्यधिक बीमार होना, आकस्मिक मृत्यु हो जाना, आर्थिक हानि, असफलता, निराशा या तिरस्कार आदि।

  • बचपन में मां-बाप के प्यार का अभाव
  • कठोर अनुशासन
  • निरंकुशता
  • अत्यधिक लाड़-प्यार
  • तिरस्कार
  • सामर्थ्य से अधिक अपेक्षाएं
  • कठोर प्रताड़ना
  • तीव्र ईष्र्या की भावनाएं

बच्चे के कोमल मस्तिष्क को ठेस पहुंचाती हैं और बच्चे के मन में विभिन्न प्रकार की कुंठाएं, हीन भावना, नैराष्य इत्यादि पैदा हो जाती हैं व बड़े होने पर अत्यधिक संवेदनशील, तनावपूर्ण वातावरण व प्रतिकूल परिस्थितियों में इन रोगों के हो जाने में सहायक सिद्ध होते हैं।

विखण्डित मानसिकता का संबंध जहां मस्तिष्क में जैव-रासायनिक तत्वों के असंतुलन से है, वहीं पारिवारिक व सामाजिक तनाव भी इस रोग को बढ़ाने व पनपाने में अहम् भूमिका निभाते हैं। विशेषकर उन व्यक्तियों में जिनके वंश में इस रोग से ग्रस्त कोई पहले रहा हो।

पारिवारिक व सामाजिक विकृतियां जैसे बार-बार गृह कलह, झगड़े-मारपीट, अशांति, संबंध-विच्छेद, मादक पदार्थों का अत्यधिक सेवन, वैवाहिक जीवन में अत्यधिक कटुता, पश्चिमी संस्कृति की अंधाधुन नकल, बढ़ती जनसंख्या, बेरोजगारों में कड़ी प्रतिस्पर्धा, आकांक्षा, आर्थिक बोझ, तीव्र गति से बदलते सामाजिक परिवेश और नैतिक मूल्यों का ह्रास, दूषित वातावरण, हिंसा इत्यादि मानसिक तनाव को बढ़ाती है। व अत्यधिक संवेदनशील व्यक्ति को शीघ्र बीमार होने का मार्ग प्रशस्त करती है।

 

मानसिक स्वास्थ्य समस्या का उपचार - Treatment Of Mental Health Problem In Hindi

आधुनिक औषधियों से लगभग 70 प्रतिशत से 90 प्रतिशत रोगी जिनको यह रोग पहली बार होता है, निश्चित रूप से स्वस्थ हो जाते हैं। विभिन्न प्रकार की औषधियां बाजार में उपलब्ध हैं जिनका चयन मनोचिकित्सक अपने विवेक से करता है।

रोगी जब तक पूर्ण रूप से स्वस्थ न हो, दवाएं बंद नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर रोग के दुबारा होने का अंदेशा बना रहता है, इसलिए कई रोगियों को तो कई-कई वर्षों तक दवाएं लेनी पड़ती हैं।

कभी-कभी ‘केटाटॉनिक'(Catatonic) विखण्डित मानसिकता में शीघ्र लाभ पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रोकनवसिलसव(Electroconvulsive)थैरेपी या संघात चिकित्सा की सलाह दी जाती है लेकिन दवाओं का सेवन अनिवार्य है।

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मानसिक स्वास्थ्य समस्या में प्रभावी मनोचिकित्सा - Effective Psychotherapy In Mental Health Problem In Hindi

  • चिकित्सकीय उपचार से मरीज में वांछित लाभ के उपरान्त आत्मबल में आई कमी एवं अवसाद की स्थिति में सिर्फ प्रभावकारी मनोचिकित्सक के द्वारा ही दूर किया जा सकता है।
  • ऐसे समय रोगी के परिवार एवं मित्रों द्वारा उत्साहवर्धन एवं सकारात्मक एमर्थन का इसमें बहुत योगदान रहता है।
  • रोगी को मनोचिकित्सकों या मनोविश्लेषकों के साथ नियमित रूप से मिलकर, सकारात्मक वार्ता करने, अपने दृष्टिकोण, समस्याएं एवं अनुभवों को खुलकर कहने से रोगी के शीघ्र स्वस्थ होने में सहायक सिद्ध होती है।
  • सहानुभूतिपूर्ण सुझाव उसे अवास्तविक एवं विकृत में से वास्तविकता की पहचान कराने में सहायक सिद्ध होते हैं। जिससे रोगी शनैः शनैः अपनी बीमारी एवं स्वयं को समझने की कोशिश करता है।
  • रोगी के स्वस्थ होने पर वह सामान्य रूप से कार्य कर सके व समाज का उत्पादक सदस्य बन सके, इसके लिए सामाजिक पुनर्वास का अत्यधिक महत्व है।
  • रोजगार चिकित्सा पुनर्वास का प्रमुख भाग है, इसके अन्तर्गत रोगी को उसकी योग्यता के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वह अपनी रोटी-रोजी स्वयं चला सके व अपना जीवन भली प्रकार जी सके।
  • मरीज में वापस आत्मविश्वास जगाने व उसमें छुपी योग्यता को पुनः समझने का अवसर प्रदान करती है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्या में पारिवारिक सलाह - Family Advice In Mental Health Problem In Hindi

मनोचिकित्सक रोगी के रिश्तेदारों एवं पारिवारिक सदस्यों के साथ मिलकर अनेक पहलुओं एवं समस्याओं पर विस्तार से वार्ता करते हैं। परिजनों को चाहिए कि ऐसे समय रोगी के लिए अनुकूल व धैर्य का वातावरण दें।

उसे आलसी, अक्खड़, असामाजिक नहीं बल्कि बीमार समझें। ध्यान रहे कि मनोचिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाओं को नियमित रूप से रोगी को दें, उसके क्रिया-कलापों में रुचि दिखाएं, कुछ जिम्मेदारी का कार्य सौंपें जिसे वह आसानी से कर सके।

हमेशा ऐसे रोगी को प्रोत्साहित करें व विश्वास दिलाएं कि वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो ही जाएगा व भविष्य में आगे बढ़ेगा।

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