मुलेठी के फायदे एवं मुलेठी के चूर्ण से लाभ | mulethi ke fayde

मुलेठी को संस्कृत में मधुमाष्टिका, ‘मधुक', 'क्लीतनक', 'यष्टि मधु' आदि नामों से जाना जाता है। मुलेठी प्राचीन काल से ही आयुर्वेद औषधियों में प्रयोग होती रही है। भारत में इसका उत्पादन कम होता है। अधिकतर इसका आयात किया जाता है। इसका वृक्ष ज्यादा बड़ा नहीं होता है। तराई के इलाकों में यह प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होता है। इसके पत्ते अण्डाकार कुछ लंबे होते हैं। इस पर लाल रंग का फल लगता है। इसकी जड़ों और टहनियों का प्रयोग अधिक मात्रा में होता है। इसकी टहनी को कूटने पर उसमें से पीले रंग का चूरा निकलता है, जो मधुर होता है। इसका प्रयोग प्रायः पान में डालकर किया जाता है।

मुलेठी के रोगोपचार में फायदे

मुलेठी का स्वाद मीठा होता है और इसकी तासीर ठण्डी होती है। मुख के स्वाद, गले की खराश, खाँसी, मुँह के छाले, आवाज की खरखराहट, स्तम्भन शक्ति, वात, कफ, पित्त, नेत्र आदि के लिए अत्यन्त हितकारी होती है। रक्त विकार, जख्म, वमन, प्यास, क्षय आदि रोगों में भी यह अत्यंत लाभकारी होती है।

1. बल वीर्य वृद्धि में मुलेठी के फायदे

मुलेठी का 2 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन शहद के साथ सेवन करने से वीर्य में वृद्धि होती है और बल बढ़ता है तथा स्तम्भन-शक्ति बढ़ जाती है।

2. सर्दी-जुकाम में मुलेठी के फायदे

मुलेठी का चूर्ण 3 ग्राम, दालचीनी का चूर्ण 1 ग्राम, दो नग छोटी इलायची, इनको कूट-पीसकर 250 ग्राम पानी में आग पर चढ़ा दें। जब पानी आधा रह जाए तो इसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पी लें। कैसा भी जुकाम या नजला होगा, शीघ्र ठीक हो जाएगा, मुलेठी, गुलाबनफशा और देसी अजवायन, तीनों को बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर छान लें। नित्य सुबह शाम 1 ग्राम की मात्रा में गरम पानी से सेवन करें। इससे नजला, ‘जुकाम' और 'खाँसी' ठीक हो जाता है।

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3. कफ, खाँसी, गले की खराश, दर्द में मुलेठी के फायदे

1ग्राम मुलेठी का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से छाती पर जमा हुआ कफ निकल जाता है खाँसी और गले की खराश दूर हो जाती है। मुलेठी, नागरमोथा, पित्तपावड़ा और काली मिर्च, इन्हें समभाग में लेकर 500 ग्राम पानी में मिलाकर आग पर चढ़ा दें। जब पानी चौथाई इस जाए तो उसे रोगी को सुबह-शाम देने से गले की खुश्की', 'सर्दी जुकाम', 'मोतीझरा', आदि रोग दूर हो जाते है। पान में मुलेठी का चूर्ण डालकर चूसने से भी गले में बड़ा लाभ होता है।

4. चर्म रोग, रक्तशोधक में मुलेठी के फायदे

चर्म रोग में मुलहठी का लेप फोड़े-फुसी, घाव आदि पर लगाने से लाभ होता है।

5. मुँह के छाले में मुलेठी के फायदे

मुलेठी की जड़ का टुकड़ा शहद लगाकर चूसने से मुँह के छाले नष्ट हो जाते हैं।

6. प्यास में मुलेठी के फायदे

मुलेठी का चूर्ण चूसने से प्यास नहीं लगती और गला भी खुल जाता है।

7. हृदय रोग में मुलेठी के फायदे

मुलेठी और कुटकी का समभाग चूर्ण जल के साथ लेते रहने से हृदय रोग की संभावना नहीं रहती।

(और पढ़ें - हृदय रोग क्या है, इसका कारण और रोकथाम)

8. शिशु का सूखा रोग में मुलेठी के फायदे

बच्चे को सूखा रोग होने पर मुलेठी, गम्भारी फल, मिश्री सभी को समभाग में लेकर कूट पीस लें। इस चूर्ण की 15 ग्राम को सुबह-शाम दूध में उबालकर नियमित रूप से सूखा रोग से ग्रस्त बच्चों को पिलाना चाहिए। गर्भवती महिला के लिए भी यह अत्यंत हितकारी है।

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