मूसली के फायदे - सफ़ेद और काली मूसली खाने के लाभ | Moosli Ke Fayde

मूसली सफेद और काली दो प्रकार की होती है। इसे अंग्रेजी में 'White Musle' और 'Black Musle' कहते हैं। संस्कृत में 'तलपत्री', हिरणपुष्पी’, ‘हेम पुष्पी', 'ताल मूली' आदि नामों से पुकारा जाता है। इसका पौधा छोटा होता है और इसके पत्ते जमीन से ऊपर की ओर लंबे-लंबे निकले होते हैं। इसकी जड़ को ही मूसली नाम दिया जाता है। वही औषधियों में काम आती है। भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में यह पाई जाती है।

मूसली के रोगोपचार में फायदे

यह पुष्टिकारक, मधुर, तासीर में गर्म, स्वाद में कड़वी, भारी, वीर्यवर्द्धक, वात, पित्त, कफ निवारक, कामोत्तेजक होती है। काली मूसली सफेद मूसली की अपेक्षा अधिक पौष्टिकारक होती है।

1. वीर्य और बल वर्धक में मूसली के फायदे

सफेद मूसली का चूर्ण 2 ग्राम और मिश्री 2 ग्राम, दोनों को दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें। धीरे-धीरे इसकी मात्रा 10 ग्राम तक ले जाएँ। इससे वीर्य पुष्ट होगा और जीवन में ताजगी का अहसास होगा।

2. रक्तशोधक में मूसली के फायदे

काली मूसली का चूर्ण 5 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ लेने से रक्त विकार दूर होता है और शरीर की फालतू चरबी बँट जाती है। इस प्रकार से ‘मोटापा' भी दूर होता है।

3. नपुंसकता में मूसली के फायदे

कुछ लोग स्वप्नदोष, हस्तमैथुन, गुदामैथन, प्रमेह आदि के कारण अपने पौरुष को नष्ट कर लेते हैं। इससे उन्हें मानसिक अशांति का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए मूसली 25 ग्राम, शतावर 25 ग्राम, कौंच के बीज 25 ग्राम, गोखरू 25 ग्राम, असगंध 25 ग्राम, सभी को कूटपीसकर छान लें। रोज सुबह शाम 5-5 ग्राम की मात्रा लेकर दूध के साथ सेवन करें। एक माह में ही कमाल देखने को मिलेगा।

4. शीघ्र पतन में मूसली के फायदे

सफेद मूसली, काली मूसली, शतावर, बिदारीकंद, हेतरी इलायची, असगंध, केमल का मूसला, कौंच के बीज, गंगेरन की छाल, मुलहठी, हल्दी, बबूल की कच्ची फली, बड़ा गोखरू, मोचरस, सभी को 20-20 ग्राम लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें थोड़ी-सी स्वाद के अनुसार मिश्री मिला दें। रोज 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गर्म दूध के साथ सेवन करें। कम-से-कम 3 माह तक लें। शीघ्रपतन का रोग सदैव के लिए चला जायेगा। सफेद मूसली और क्रौंच के बीज समभाग में लेकर चूर्ण बना लें और सोते समय आधा चम्मच चूर्ण दूध में मिलाकर पी लें। शीघ्र लाभ होगा।

5. वात, कफ, पित्त में मूसली के फायदे

काली मूसली का चूर्ण 3 ग्राम रोज ताजे जल से सुबह शाम लेने से तीनों दोष जैसे वात, कफ, पित्त में बड़ा लाभ होता है। इसका प्रयोग 15 दिन तक अवश्य करें।

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