नीम के फायदे - नीम की पत्ती और नीम की छाल के फायदे | Neem Ke Fayde

नीम के वृक्ष को संस्कृत में निम्ब, अरिष्ट, पारिभद्र, हिंगु, पिचुमर्द, तिक्तक आदि नामों से पुकारा जाता है। नीम का वृक्ष प्राणदायक, आरोग्यवर्द्धक, रोगनाशक होता है। कुछ विद्वान नीम को मृत्युलोक का कल्पवृक्ष कहते हैं। यह सभी प्रकार के रोगों का शमन करता है। इससे रक्त शुद्ध होता है। यह चर्मरोग-नाशक है।

नीम का वृक्ष 25-30 फुट ऊँचा, सदाबहार और घनी छाया प्रदान करने वाला है। इस पर आरे की तरह कटी हुई नुकीली पत्तियाँ लगती हैं और पीले रंग की निबोलियाँ इसके फल होते हैं, जिनमें गूदा भरा होता है। बीज एक ही होता है।

सभी तरह के कीड़ों को नष्ट करने में नीम एक असरदार वृक्ष है। इसका तेल भी निकाला जाता है। यह तेल बीजों से प्राप्त होता है।

नीम के रोगोपचार में फायदे

नीम की तासीर शीतल होती है और स्वाद कड़वा होता है। यह हृदय की जलन को शांत करता है, कफ का नाश करता है, कीड़ों को खत्म करता है,रक्त विकार को हटाता है तथा अनेकानेक विष के प्रभाव को कम करता है। नीम का तेल चर्मरोग नाशक है, नीम का तेल पुरानी गठिया और खुजली में काम आता है,

नीम की छाल अरुचि,वमन, यकृत और कफ विकारों में सहायक है, नीम की निबौरी रक्त विकार, नेत्र रोग, क्षय रोग को नष्ट करने वाली होती हैं, नीम की सीकें खाँसी, श्वाँस, बवासीर, कृमि और प्रमेह में लाभदायक हैं और नीम के पत्ते विष प्रभाव और चर्म रोग में सहायक होते हैं।

1. चर्मरोग- खुजली, छाजन, फंगस, कोढ़ आदि में नीम के फायदे

चर्मरोग जैसे की खुजली, छाजन, फंगस, कोढ़ आदि जितने भी त्वचा रोग हैं, उनमें नीम का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है। नीम के पत्तों को पानी में डालकर उबाल लें और उसे सहने योग्य ठंडा करके त्वचा पर उभरे रोगों के स्थान की अच्छी प्रकार से धोएँ। इससे घावों के कीटाणु मर जाते हैं और त्वचा पर उभरा रोग शांत होने लगता है। घाव सूख जाते हैं और दाद-खुजली में आराम आ जाता है। त्वचा साफ और चिकनी हो जाती है।

नीम की छाल, हल्दी 500-500 ग्राम, गुड़ 1 कि। मटकी में भरकर 25 लीटर पानी डालकर मुँह बंद कर दें और घोड़े की लीद से मटकी को ढक दें और जमीन या रेत में दबा दें। पन्द्रह दिन बाद उसे निकालकर अर्क खींच लें। उस अर्क में से 100 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से 'गलित कुष्ठ रोग' भी ठीक हो जाता है। दवा सेवन के बाद बेसन की रोटी घी के साथ सेवन कराएँ।

2. ज़ख्म में नीम के फायदे

नीम के काढ़े से जख्म को धोकर नीम की छाल का चूरा जख्म पर बुरक दें। पाँच-सात दिन में पूर्ण आराम आ जाएगा।

3. फोड़ा-फुसी में नीम के फायदे

नीम का 100 ग्राम तेल लेकर उसे अग्नि में पकाएँ और उसमें 25 ग्राम हरोजा दरदरा कूटकर डाल दें। जब वह तेल में मिल जाए तो उसमें साफ मोम 25 ग्रमा मिला दें। यह मलहम बन जाएगा। इसे त्वचा पर होने वाले फोड़े-फुसी पर लगाएँ। शीघ्र लाभ होगा।

4. कील-मुँहासे में नीम के फायदे

नीम की जड़ को पानी में घिसकर कील-मुंहासों पर लगाने से जल्द आराम आ जाता है और चेहरा सूंदर हो जाता है।

5. सिर की जुएँ में नीम के फायदे

नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस जल से स्नान करने पर त्वचा और सिर के अनेक रोग नष्ट हो जाते हैं। जुएँ मर जाती हैं और रुसी भी खत्म हो जाती है।

6. पेट के रोग में नीम के फायदे

नीम की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं, 'आँतें' साफ हो जाती हैं, 'कब्ज' खत्म हो जाती है, 'अपच' की शिकायत दूर हो जाती है, ‘रक्त' साफ हो जाता है और 'भूख' खुलकर लगती है।

7. रक्त शोधन में नीम के फायदे

‘रक्त शोधन' के लिए नीम के पत्ते, निबौरी, नीम की छाल, तीनों को 125 -125 ग्राम लेकर कूट-पीट लें। उस लुगदी को एक लीटर पानी में डालकर उबालें। पानी जब आधा रह जाए, तब उसे शीशी में भरकर रख लें प्रतिदिन खाना खाने के बाद एक-एक चम्मच सुबह-शाम शहद के साथ या पानी के साथ पी लें। इस रस से 15-20 दिन में रक्त पूरी तरह साफ हो जायेगा और रक्त संबंधी कोई विकार शरीर में नहीं रहेगा।

8. अतिसार में नीम के फायदे

नीम की 50 ग्राम छाल को 300 ग्राम जल में औटाएँ और आधा घंटे बाद उसे छान लें। इस छनी हुई शेष छाल को फिर से 300 ग्राम पानी में डालकर पकाएँ। जब पानी 200 ग्राम रह जाए तब उसे छानकर शीशी में भर लें। और इसमें पहले छाना हुआ जल भी मिला दें। इस जल की 50-50 ग्राम की खुराक रोगी को दिन में तीन बार पिलाएँ। इससे अतिसार अर्थात् पतले दस्तों में तत्काल आराम आ जाएगा।

9. पीलिया में नीम के फायदे

नीम की सींक 5 ग्राम और पुनर्नवा की जड़ 5 ग्राम लेकर दोनों को जल में पीस लें और उसे छानकर कुछ दिनों तक पीलिया से ग्रस्त रोगी को पिलाने से अवश्य लाभ होता है। नीम के पत्ते, छाल, निबौरी, फूल, जड़ सभी को समभाग लेकर चूर्ण बना लें और उस चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा शहद के साथ रोगी को दिन में तीन-चार बार चटाएँ।

10. दमा और श्वाँस रोग में नीम के फायदे

नीम के बीजों के शुद्ध तेल की 20-25 बूंदें पानी में डालकर चबाने से दमा और श्वाँस रोग में लाभ होता है।

11. कान का बहना में नीम के फायदे

नीम के रस में समभाग शहद मिलाकर कान को अच्छी तरह साफ करके 2-3 बूंदें सुबह-शाम डालें। इससे एक माह के भीतर ही कान का बहना बंद हो जाता है।

12. प्रमेह और सुजाक में नीम के फायदे

नीम के पेड़ से पत्ते लेकर उन्हें पीस लें और उसकी टिकिया बनाकर गाय के घी में तलें। जब टिकिया जल जाए तब उस घी को छानकर रोटी के साथ खाएँ। ‘प्रमेह' में बड़ा लाभ पहुँचेगा। ‘सुजाक' में भी लाभदायक है। नीम के पत्तों के जल से रोज इंद्री में जल की धारा डालकर उसे साफ रखें।

13. बवासीर में नीम के फायदे

नीम के 50 ग्राम तेल में 3 ग्राम कच्ची फिटकरी, 3 ग्राम चौकिया सुहागा खूब महीन पीसकर मिला दें। शौच के बाद जब गुदा द्वार को जल से धो लें, तब इस तेल को अंगुली से गुदा के भीतर लगाएँ। कुछ ही दिनों में बवासीर के मस्से नष्ट हो जाएँगे। 50 ग्राम कपूर और 50 ग्राम नीम के बीज की गिरी, दोनों का तेल निकालकर उसका थोड़ा-थोड़ा लेप गुदा के मस्सों पर अंगुली से करें । मस्से कुछ ही दिनों में सूखकर गिर जाएँगे।

14. योनिशुल में नीम के फायदे

जिन स्त्रियों को योनि में खुजली या दर्द रहता हो,उन्हें चाहिए कि वे नीम की निबौरियों को नीम के पत्तों के रस में अच्छी प्रकार से पीसकर उस लुगदी की छोटी-छोटी गोलियाँ बना लें। उस गोली को एक महीन कपड़े में सिल लें और लंबा धागा उसमें टाँका लगाकर बाँध दें। एक गोली को योनि में रखने से योनि की जलन, खुजली और दर्द जाता रहता है। एक-दो घंटे बाद गोली को धागे की मदद से बाहर निकाल लें और फेंक दें। ऐसा कुछ दिन करने से योनि के अनेकानेक रोग नष्ट हो जाते हैं।

15. पथरी में नीम के फायदे

नीम के पत्तों की 20 ग्राम राख को कुछ दिनों तक जल के साथ सेवन करें। दिन में 3 बार अवश्य खाएँ। कुछ ही दिनों में पथरी का नामोनिशान मिट जाएगा।

16. गर्भ निरोध में नीम के फायदे

नीम के तेल में रूई का फाया तर करके सहवास से पूर्व योनि में रखने से गर्भ नहीं ठहरता।

17. गठिया रोग में नीम के फायदे

20-25 ग्राम नीम की छाल को पानी से अच्छी तरह धोकर पानी के साथ महीन पीस लें और उसका गाढ़ा लेप दर्द के स्थान पर करने से और सूखने पर पुनः तीन-चार बार लेप करने से दर्द जाता रहता है। लकवा, अर्धाग- 10-15 बूंद नीम की छाल का अर्क दिन में 3-4 बार सेवन करने से और दो घंटे बाद ताजी रोटी खाने से लकवा, अग और गठिया आदि में लाभ होता है।

18. पीत ज्वर में नीम के फायदे

पीत ज्वर होने पर नीम की छाल 10 ग्राम, मुनक्का 5-6 नग, नीम गिलोय 10 ग्राम, तीनों को मिलाकर 100 ग्राम जल में औटाएँ और उसमें से 20 ग्राम की मात्रा में तीन बार रोगी को दें।

19. मलेरिया बुखार में नीम के फायदे

मलेरिया बुखार' में नीम के तेल की 5-6 बूंदें दिन में तीन बार रोगी को पिलाएँ।

20. चेचक में नीम के फायदे

नीम के बीजों की 10-12 गिरियाँ लेकर उन्हें पानी में पीस लें और उसका लेप त्वचा पर करने से चेचक की पीड़ा का शमन हो जाता है नीम के पत्तों को उबालकर उस पानी से चेचक ठीक हो जाने के बाद रोगी को स्नान करना चाहिए।

(और पढ़े : चेचक का घरेलू इलाज, चेचक के लक्षण और कारण)

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