सिर दर्द क्यों होता है? | सिर दर्द होने के कारण, लक्षण और घरेलु उपचार

आपने अनेकों को कहते सुना होगा कि दर्द से सिर फटा जा रहा है (कदाचित आप भी कहते होंगे,) किन्तु वास्तविकता यह है कि सिर दर्द से सिर कभी नहीं फटता और न ही किसी की मृत्यु होती है। केवल यही एक ऐसा रोग है जिसमें मृत्यु की सम्भावना नहीं रहती। किन्तु सामान्यतः ऐसा होता नहीं। कारण एक तो दर्द ऐसा होता है जो कुछ करने नहीं देता, दूसरे दर्द नाशक औषधियों की बहुतायत से इस पर ध्यान नहीं जाता। फिर सिर में दर्द इतनी तेजी से फैलता है कि यह पता लगाना कठिन हो जाता है कि वह कहां से और क्यों फैल रहा है।

यह रोग बाल्यावस्था तथा वृद्धावस्था में बहुत कम होता है। स्त्रियां इससे अधिक पीड़ित होती हैं। अविवाहित पुरुषों तथा स्त्रियों में यह रोग विवाहितों की अपेक्षा अधिक होता है।

सिर दर्द के कारण।

  • वास्तव में मस्तिष्क निश्चेष्ट द्रव है जिसे बिना दर्द उत्पन्न किये, काटा, जलाया तथा शीतल किया जा सकता है। कितु मस्तिष्क के चारों ओर के कपाल टिश्यू तथा रक्त नलिकायें दर्द का अनुभव करती हैं, न कि अन्दर की।
  • सिर दर्द का एक कारण यह हो सकता है कि इन टिश्यू तथा नलिकाओं का फ़ोड़ा गिल्टी इत्यादि हो, सम्भावना अत्यन्त कम है।
  • सिर दर्द का एक अन्य कारण है, रक्त नलिकाओं का सुजना।
  • जब रक्त नलिकायें सूजती हैं तो वे फैलती हैं तथा संवेदनशील तंत्रिकाओं को स्पर्श करना आरम्भ कर देती हैं, जिससे दर्द उत्पन्न हो जाता है।
  • कुछ सामान्य कारण हैं जैसे कि थकावट, भोजन का समय से प्राप्त न होना, दूषित शयन तथा विश्राम स्थल और मानसिक थकावट कभी-कभी समय से चाय, कॉफी या अन्य कोई पेय न मिलने पर भी सिर दर्द हो जाता है।
  • उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त एक असाधारण कारण है मानसिक अशान्ति लगभग 10 प्रतिशत रोगियों के लिए यही कारण है।
  • यदि मानसिक अशान्ति समाप्त न हो तो रोग असाध्य बन जाता है।
  • यदि कपाल में कोई रोग हो तो भी सिर दर्द हो सकता है।
  • यह कपाल के अंदर तथा बाहर दोनों ही ओर हो सकता है।
  • कपाल के अंदर के रोग होने के अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे नडिका के हट जाने या सेरेबल धमनियों में ऐंठन या हटाव।

सिर दर्द के लक्षण

सिर दर्द अधिकतर स्त्रियों के होता है तथा ऐसा प्रतीत होता है कि सिर में स्पन्दन हो रहे हैं, और उसे कूटा जा रहा है। अधिकतर यह सिर के एक भाग में होता है। कुछ लोगों को जी मिचलाने तथा उल्टी की शिकायत भी होती हैं वैसे सामान्यतः यह एक घण्टे तक रहता है। किन्तु कुछ को दो-दो दिन तक बना रहता है। कुछ रोगियों की इस सिर दर्द के पूर्व दृष्टि धुंधली हो जाती है तथा उन्हें आड़ी तिरछी रेखायें दिखलाई पड़ती हैं। इसके रोगी दृढ़ स्वभाव, पूर्णता में विश्वास करने वाले, अत्यन्त आशावान तथा क्रोधी होते हैं। बहुधा ये लोग अपनी इच्छा को पूर्ण न होता देख मन-ही-मन दुखी होते हैं तथा क्रोध करते हैं। इन सब का मिश्रित प्रभाव यह होता है कि उनको मेग्रन सिर दर्द हो जाता है। यह रोग कुछ व्यक्तियों को समयांतर से भी होता है।

सिर दर्द के प्रकार

सिर दर्द 2 प्रकार के होते हैं।

1। तंत्रिका या तनाव सर दर्द (सर फटना सा प्रतीत होना)

2। मेग्रेन सर दर्द (सर के आधे भाग में सर दर्द।) असाध्य रोगियों में 90 प्रतिशत को उपरोक्त सिर दर्द मेग्रेन होते हैं।

सिर दर्द में घरेलु इलाज

  • इस रोग के निदान के लिए इरगोटेमीनारेट का उपयोग करते हैं।
  • इस औषधि का कार्य सिर की तनी हुई रक्त नलिकाओं को फिर से पूर्व स्थिति में ले आना होता है।
  • इससे सिर दर्द के आरम्भिक काल में ही छुटकारा पा जायेंगे, साथ ही डॉक्टरों और वैद्यों से भी छुट्टी पा लेंगे। यदि समय पर औषधि ले ली जाय तो शीघ्र कार्य करती है।
  • इसके अतिरिक्त एक अन्य औषधि जो विख्यात औषधि एल० एस० डी० का प्रतिरूप है,
  • इसे मेथाइ-सरगिड कहते हैं।
  • इसके उपयोग से एल० एस० डी० की भांति-भ्रमित नहीं होती तथा लाभ भी होता है।
  • एसपिरीन भी इस रोग को समाप्त कर सकती है
  • इसकी तीव्रता को कम कर सकती है।
  • वैसे यदि सहन करने की क्षमता हो तो बिना औषधि के भी यह रोग स्वतः समाप्त हो जाता है।
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