शिशु को जुकाम होने के कारण एवं लक्षण | शिशु को जुकाम होने पर घरेलु इलाज

जुकाम बच्चों को होने वाला एक सामान्य रोग है। यह रोग सर्दी तथा गर्मी के असंतुलन के कारण उत्पन्न होता है। बच्चे का शरीर जब वातावरण के तापमान के अनुकूल अपने तापमान को समायोजित नहीं कर पाता, तो जुकाम हो जाता है। इसमें बच्चे की नाक बहना, छींके आना आदि लक्षण शुरू होते हैं।

ऋतु बदलाव के समय इसके वायरस का हमला तेज होता है एवं रोगियों के छींकने, थूकने व छुआछूत से भी यह रोग दूसरों को भी हो जाता है। यदि समय पर उपचार न किया जाए, तो निमोनिया और तेज बुखार होकर बच्चे की हालत गंभीर कर देते हैं।

शिशु को जुकाम होने के कारण

सहन शक्ति : शिशु में सहन शक्ति तभी पैदा होगी, जब उसे उस माहौल में रहने का अवसर दिया जाएगा। यदि शिशु को कपड़ों में लपेटकर कमरे की बंद चारदीवारी में, खिड़कियों से आने वाली हवा, रोशनी आदि से बचाकर रखा जाएगा तो वह थोड़ी-सी हवा पाकर, थोड़ा-सा खुला वातावरण पाकर ही तुरंत बीमार हो जाएगा। उसे तुरंत ठंड घेर लेगी। उसकी छाती में विकार आ जाएगा। उसको शीघ्र जुकाम हो जाएगा।

शिशु में जुकाम के लक्षण

  • इस रोग के जीवाणुओं को फेफड़ों में, वायु प्रणालियों में फैलने का डर बना रहता है।
  • इस रोग के कारण और गंभीर रोग होकर खांसी, ज्वर, दमा जैसी शिकायतें भी हो जाती हैं।
  • निमोनिया होना भी आम बात है।
  • श्वास की नलियां सूज सकती हैं।
  • खांसी, ज्वर, सांस लेने में परेशानी, कफ़ का बनना, फेफड़ों को क्षति आदि हो सकती है।
  • पहली बात तो यह है कि ऐसे हालात पैदा न होने दें, जिनसे खांसी हो सकती हो।

जुकाम से बचाव के उपाय

जिस बच्चे को हवादार कमरे में रखा जाएगा। कमरे की खिड़कियां खुली रखी जाएंगी। धूप, रोशनी, हवा अंदर आएगी। कपड़े भी हिसाब से पहनाते रहेंगे, तो वह अपने शरीर को वातावरण के अनुसार ढाल लेगा। उसे ठंड जल्दी नहीं लगेगी। वह जुकाम वगैरह का शिकार नहीं होगा। थोड़ी-सी सावधानी से आप आने वाली बड़ी मुसीबत को टाल सकती हैं।

अतः मां अपने दायित्व को समझे तथा अपने मुन्ने को खुला वातावरण प्रदान करे, तब उसे जुकाम जैसे रोग कोई हानि नहीं पहुंचा पाएंगे। जो बच्चा सेहतमंद होगा, स्वस्थ होगा उस पर ठंड का कम प्रभाव पड़ेगा। उसे जुकाम नहीं सताएगा। बच्चा ही सर्दी से शीघ्र घिरता है तथा उसे जुकाम भी तुरंत लग जाता है। आहार ठीक होगा, मालिश, धूप, शुद्ध वायु प्राप्त होंगे, तो न ठंड लगेगी और न ही जुकाम होगा।

जिन बच्चों को खाने को, खूब मिलता है, वे गुदगुदे तो हो जाते हैं। देखने में मोटे लगते हैं, मगर उनके शरीर में ताकत नहीं होती। सहनशक्ति कम होती है। रोग का निवारण करना उनके वश में नहीं होता। ऐसे बच्चे में रोग से बचने की शक्ति कम होती है। अतः बच्चों को रोगों से बचाने के लिए उन्हें वातावरण से समायोजन की आदत डालें। उनके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करें और भोजन आदि द्वारा उनको शक्तिशाली बनाएं।

शिशु के जुकाम में घरेलु इलाज

1। यदि शिशु को जुकाम हो गया हो, तो उसे परहेज से ठीक किया जा सकता है।

2। लहसुन की एक छोटी कली लेकर उसे पीसें। इसके बाद थोड़ा शहद मिलाकर पेस्ट बनाएं। दिन में एक या दो बार इसे बच्चे को दें।

3। जुकाम के दौरान सूप काफी फायदेमंद होता है। बच्चे को सब्जियों का गर्म सूप चम्मच से आराम से पिलाएं। इससे काफी राहत मिलेगी।

4। शिशु को गर्म पानी में गुड़, जीरा और काली मिर्च का मिश्रण दें। सर्दी में ये काफी आरामदायक होता है।

5। आधी कटोरी देसी घी में एक गांठ अदरक पीस कर उसमें 25 ग्राम गुड़ डालकर पकाएं। ठंडा होने पर इसे थोड़ा-थोड़ा करके बच्चे को खिलाएं। इससे भी सुधार होगा।

6। नींबू के रस, दालचीनी पाउडर और शहद का मिश्रण तैयार करें और बच्चे को बीच-बीच में दें। यह सर्दी और खांसी के वायरस से लड़ने में काफी असरदार होता है।

7। अजवाइन का काढ़ा पिलाएं।

8। जुकाम में यदि शिशु को बादाम घिसकर दें, तो बहुत फायदा होता है।

नोट:- यदि परिवार में किसी को जुकाम-खांसी आदि है, तो शिशु को उसके संपर्क से बचाएं, वरना शिशु को उसके संपर्क के कारण रोग पकड़ लेगा तथा शीघ्र बीमार पड़ जाएगा।

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