सांप काटने के लक्षण | सांप के काटने पर तुरन्त करे 11 घरेलु उपचार

सभी तरह के सांप के काटने में गंभीर ऊतक क्षति (ऊतकों की मौत) होने की संभावना होती है। यह विष कोशिकाओं को बडा नुकसान पहुँचा देते हैं। सांप का काटना इसमें अधिकतर मनुष्य को भय से सदमा हो जाता है। सांप बहुत कम जहरीले होते हैं। परन्तु सामुद्रिक सांप लगभग सब जहरीले होते हैं।

सांप काटने के लक्षण

1। कटे भाग में अत्यधिक पीड़ा होती है जो चुभती सी मालूम पड़ती है।

2। कटे हुए स्थान के चारों ओर रक्त और रंग में अन्तर हो जाता है।

3। रोगी को बेहोशी होने लगती है तथा नींद आने लगती है।

4। पांव तथा टांगें थोड़ी देर में सुन्न हो जाती हैं। यह सुन्नपन जल्दी से मस्तिष्क तरफ बढ़ता है और मुंह के सब पट्ठे सुन्न हो जाते हैं और बूंद-बूंद करके मुंह से लार टपकने लगती है। वमन होने लगता है।

5। आंखों की पुतलियां सिकुड़ जाती हैं।

6। श्वास तथा नाड़ी की गति धीमी पड़ जाती है।

7। रोगी से बोला नहीं जाता है।

नोट:- यदि रोगी सांप के काटने के एकदम बाद मर जाये तो उसका मतलब है कि अधिक विष शरीर में प्रवेश कर गया है। अधिकतर मृत्यु मस्तिष्क में श्वास लेने के केन्द्र को लकवा मार जाने से होती है। यदि रोगी के बोलने के अंगों में लकवे के चिह्न नहीं दिखाई देते तो रोगी के अच्छे होने के अवसर अधिक होते हैं।

सांप के काटने पर घरेलु उपचार:

1। तुरन्त डाक्टर को बुलाओ जिससे कि वह उचित उपचार कर रोगी का जीवन बचा सके। क्योंकि सांप के काटने के बाद कुछ क्षणों की देरी का परिणाम रोगी की मृत्यु हो सकती है।

2। शीघ्र ही हृदय तथा घाव के पास एक पट्टी को खूब कसकर बांध दो, जिससे कि विष हृदय की ओर न जाये तथा और भागों में न फैल सके। हर बीस मिनट के बाद एक मिनट के लिए पट्टी को थोड़ा ढीला कर देना चाहिए। पट्टी यदि उपलब्ध न हो तो कोई भी रस्सी, रूमाल, रबड़ की नली, टाई आदि बांध सकते हैं।

3। रोगी को सीधा लिटा देना चाहिए तथा हर प्रकार से धैर्य देना चाहिए।

4। चाकू या ब्लेड को कीटाणुरहित करके घाव के स्थान पर एक X का चिन 3/4 इंच गहरा लगा दो तथा घाव को पोटैशियम परमैगनेट के घोल से धोकर पोटैशियम परमैगनेट के कण उसमें भर देने चाहिए।

5। एसेटिक एसिड भी लगा सकते हैं।

6। रोगी को सोने नहीं देना चाहिए।

7। रोगी को धैर्य देना चाहिए, जिससे डर के कारण उसकी दशा खराब न हो।

8। रोगी को गर्म रखना चाहिए और पूरा-पूरा आराम देना चाहिए।

9। सांस लेने में कठिनाई हो तो कृत्रिम श्वास क्रिया से श्वसन करायें।

10। यदि रोगी कुछ निगल सके तो गर्म चाय, काफी या दूध पिलाना चाहिए।

11। विष विरोधी सुइयां लगवानी चाहिए। आजकल इस विष के इलाज के लिए ऐन्टीविनन नामक सुइयां लगती हैं।

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