टी.बी. का घरेलू इलाज

टी.बी। को क्षय रोग या राजयक्ष्मा या तपेदिक भी कहते हैं। यह एक विशिष्ट संचारी रोग है जो वायु के माध्यम से फैलता है। इस रोग को फैलाने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं माइको-बैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस या टी.बी। बैसीलस कहते हैं। यह रोग तीव्र तथा दीर्घावधि दोनों प्रकार का होता है।

माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस केवल मनुष्य के फेफड़े में ही आक्रमण करते हैं जो ऐसे रोग फैलाते हैं जबकि माइको-बैक्टीरियम बोवाइन मनुष्य के अलावा पशु (गाय, बकरी इत्यादि) में भी इस रोग को फैलाते हैं।

क्षयरोग के जीवाणु पहले फेफड़ों पर आक्रमण करते हैं जिसे फुफ्फुस यक्ष्मा कहते हैं। परन्तु इसके जीवाणु आँतों, गुर्दो, अस्थियों, लसिका ग्रंथियों, प्रजनन अंग, मूत्र संस्थान तथा मस्तिष्क पर भी आक्रमण कर सकते हैं, जिन्हें फुफ्सेत्तर यक्ष्मा कहते हैं। फेफड़ों की टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस से तथा फुफ्सेत्तर यक्ष्मा माइकोबैक्टीरियम बोवाइन से फैलती है। टीबी के घरेलू उपाए मे हम लहसुन, आंवला, काली मिर्च का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करके रोग से दूर रहा जा सकता है क्योकि इसमे बैक्टीरिया को खत्म करने के क्षमता होती है। टीबी से बचाव के अन्य तरीके भी है जो हम आगे बता रहे है-

टीबी का इलाज लहसुन से करे - Garlic Treatment For Tuberculosis

लहसुन मे सल्फयूरिक एसिड भरपूर्ण मात्रा मे होता है जो बैक्टीरिया को खत्म करने में सहायता करता है, जिसके कारण टीबी रोग उत्पन्न होता है। इसमें एलिसिन और अजोएन भी होते हैं, जो की बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं। इसके साथ ही इसके एंटी बैक्टीरियल गुण और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के प्रभाव को टीबी के मरीज के लिए बेहद फायदेमंद हैं। टीबी के घरेलू इलाज मे हम अपने खाने मे लहसुन को इस्तमाल करे तो काफी फायदेमंद है।

लहसुन को आप खाने में डालकर या कच्चा भी खा सकते हैं या इसे एक कप दूध मे एक चम्मच कुटी हुई लहसुन और दो कप पानी डाल कर उबाले जब तक एक चौथाई मिश्रण न बचे फिर इसे पी ले। यह मिश्रण दिन मे तीन बार पिये यह टीबी रोग मे बहुत फायदेमंद होता है।

आंवला से करे क्षय का इलाज - Amla Treatment For Tuberculosis In Hindi

आंवला सभी प्रकार के रोगो को ठीक करने मे सहायक है इस लिए हम घरेलू इलाज मे आंवला को शामिल करके टीबी रोग से छुटकारा पा सकते है। आंवला मे विटामिन भरपूर्ण मात्र मे पायी जाती है और आंवला मे सूजन रोधी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसमे कई पोषक तत्व होने की वजह से ये शरीर को ऊर्जा देता है और क्षमता को भी बढ़ाता है जिससे शरीर के अंगों के कार्य सही तरीके से हो सके।

काली मिर्च टीबी के उपचार मे सहायक - Black Paper Treatment For Tuberculosis In Hindi

काली मिर्च फेफड़ों में जमा कफ और खांसी को दूर करने में काफी फायदेमंद होती है और फेफड़ों को साफ़ करती है जिसकी मदद से छाती के दर्द से राहत मिलती है जो कि टीबी के कारण से होता है। इसके साथ ही इसके सूजन रोधी गुण सूजन को दूर करते हैं और जो बैक्टीरिया लगातर कफ के कारण को बढाते है। फेफड़ों में जमा कफ और खांसी को दूर करने में काली मिर्च काफी फायदेमंद होती है। इसके लिए थोड़े से मक्खन या घी में 8-10 काली मिर्च फ्राई करें और इसमें 1 चुटकी हींग मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को तीन बराबर भागों में बांटकर दिन में 7 से 8 बार लें।

टीबी से बचाव के अन्य तरीके - TB Prevention And Control In Hindi

टीबी से बचाव के अन्य तरीके भी है जैसे-

  • स्वच्छ वातावरण, चौड़ी गलियाँ, हवादार मकान (जिसमें सूर्य का प्रकाश एवं धूपपर्याप्त रूप से उपलब्ध हो) में रहने से यह घरेलू उपाए करने से रोग से बचाव होता है।
  • जन-स्वास्थ्य शिक्षा पर विशेष जोर देना चाहिए तथा जन-संचार के माध्यम से गाँवों में तथा निरक्षर लोगों तक इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
  • पौष्टिक एवं पर्याप्त भोजन लेना चाहिए। दूध को हमेशा उबालकर अथवा पाश्चुरी कृत करके ही पीना चाहिए।
  • क्षय रोग से संक्रमित रोगी की पहचान कर तुरंत अस्पताल भेजना चाहिए। सभी सरकारी अस्पतालों में इसका इलाज पूरी तरह से नि: शुल्क किया जाता है। रोग नाशक दवाइयो की सहायता दी जाती है।
  • सरकार एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा टीबी रोग नियंत्रण एवं उन्मूलन के कार्यक्रम चलाये गये हैं जिनमें जनता को सहयोग देना चाहिए तथा व्यक्ति को पूर्ण लाभ उठाकर स्वास्थ्य लाभ व रोगों से बचाव करना चाहिए।
  • अगर चार सप्ताह या इससे अधिक दिनों से खाँसी हो, रात में बुखार आता हो तथा दवाइयों से ठीक नहीं हो पाता हो तो तुरंत चिकित्सक से पूरे शरीर चेकअप कराना चाहिए। थूक एवं बलगम की जाँच के द्वारा इस रोग का पता चल जाता है। एक्स-रे की जाँच से भी इस रोग का पता लगता है।
  • रोगी व्यक्ति का पृथक्करण करके उचित इलाज एवं संतुलित खान-पान (प्रोटीन युक्त) शुरू कर देना चाहिए। उसके लिए अलग कमरे, बर्तन, वस्त्र, बिस्तर इत्यादि का प्रबन्ध करना चाहिए।
  • ताजा पौष्टिक आहार जिसमें विटामिन और प्रोटीन की मात्रा अधिक हो जैसे दूध, अण्डे, फल इत्यादि खाना चाहिए

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